मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद: कृष्ण वाटिका की तरह खुले कूप, मुक्ति न्यास ने मांगा पूजा अधिकार!

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मथुरा स्थित शाही ईदगाह में कृष्ण कूप की पूजा को लेकर श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने मांग की है कि ज्यों ही श्री कृष्ण जन्मस्थान के पास स्थित श्री कृष्ण वाटिका को आम जनता के लिए खोल दिया गया, वैसे ही कृष्ण कूप को भी खोलने की आवश्यकता है। महेंद्र प्रताप सिंह के अनुसार, यह पूजा हजारों वर्षों से आसपास के हिंदू समुदाय द्वारा की जा रही है, लेकिन हर बार इसके लिए ईदगाह पक्ष का विरोध देखने को मिलता है।

महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष भी कृष्ण कूप की पूजा के लिए कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया गया था, ताकि स्थानीय हिंदू श्रद्धालुओं को इस धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा बनने का मौका मिल सके। हालांकि, केवल आस-पास की बस्ती के निवासी ही इस पूजा में सहभागी हो पाते हैं, जबकि अन्य हिंदू समुदाय को इस अवसर से वंचित रखा जाता है। उन्होंने आग्रह किया है कि सभी सनातनी हिंदुओं को कृष्ण कूप की पूजा करने की अनुमति मिलनी चाहिए, जिसको लेकर लंबे समय से मांग उठाई जा रही है।

कृष्ण कूप के बारे में महेंद्र प्रताप सिंह ने स्पष्ट किया कि यह शाही ईदगाह की सीढ़ियों के पास स्थित है। ईदगाह पक्ष के लोग इस कूप पर अपना अधिकार जमाना चाहते हैं, जिससे विरोध का माहौल बना हुआ है। उन्होंने बताया कि इस कूप का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने किया था, और इस कूप के पवित्र जल से पहले भगवान केशव देव का स्नान एवं पूजन किया जाता था।

एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि महेंद्र प्रताप Singh ने केशव वाटिका का जिक्र करते हुए कहा कि इसे 24 वर्षों के बाद सरकार के आदेश पर खोला गया था, जिसे पहले पूरी तरह से उजाड़ दिया गया था। अब वहां होली का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है, जिससे हिंदू श्रद्धालुओं में गर्व का अनुभव होता है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह केशव वाटिका का ताला खोला गया, उसी तरह कृष्ण कूप की पूजा का अधिकार भी सभी सनातनों को मिलना चाहिए।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कृष्ण कूप पर असल में कोई लिखित आदेश नहीं है, जो पूजा पर रोक लगाता हो। उनका यह कहना है कि सभी श्रद्धालुओं को समान अधिकार मिलना चाहिए, ताकि वे अपने धर्म का पालन कर सकें और कृष्ण कूप की पूजा में भागीदारी कर सकें। इससे सभी आस्थावान लोग अपनी धार्मिक भावनाओं को संजोए रख सकेंगे और इस ऐतिहासिक स्थल की पूजा का हक सभी हिंदुओं को मिल सकेगा।


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