पोषण भी, पढ़ाई भी – शिक्षा और स्वास्थ्य का अद्भुत संगम….

पोषण भी, पढ़ाई भी – शिक्षा और स्वास्थ्य का अद्भुत संगम….
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रायपुर: महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित पोषण भी, पढ़ाई भी कार्यक्रम ने छत्तीसगढ़ में बाल विकास की दिशा में नई ऊर्जा और सकारात्मक सोच का संचार किया है। यह पहल शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के समन्वय का एक उत्कृष्ट उदाहरण बनकर उभरी है। इस कार्यक्रम ने न केवल बच्चों के सर्वांगीण विकास की राह खोली है, बल्कि माताओं, किशोरियों और समुदाय के लोगों में भी जागरूकता की नई लहर उत्पन्न की है।

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने इस नवाचारी पहल की सराहना करते हुए कहा कि “राज्य सरकार बच्चों के समग्र विकास के लिए निरंतर प्रयासरत है। स्वस्थ, शिक्षित और आत्मविश्वासी बच्चे ही छत्तीसगढ़ के उज्जवल भविष्य की नींव हैं। ‘पोषण भी, पढ़ाई भी’ जैसे कार्यक्रम शिक्षा और स्वास्थ्य के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में प्रेरणादायी कदम हैं।”

मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला के मनेन्द्रगढ़ शहरी सेक्टर में एकीकृत बाल विकास परियोजना अंतर्गत आयोजित इस कार्यक्रम की थीम प्रारंभिक देखभाल और शिक्षा रही, जिसका उद्देश्य प्रारंभिक आयु से ही बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति, खेल-कूद की समझ और स्वस्थ जीवनशैली की आदतें विकसित करना रहा। सुपरवाइजर मलिा एवं बाल विकास के नेतृत्व में यह आयोजन सामुदायिक सहभागिता का उत्कृष्ट उदाहरण बना। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका ने समर्पण से इस कार्यक्रम को जीवंत बना दिया।

पोषण भी, पढ़ाई भी - शिक्षा और स्वास्थ्य का अद्भुत संगम

कार्यक्रम के दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों में रंगोली, पोस्टर और झांकी के माध्यम से पोषण और शिक्षा के महत्व को आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया गया। बच्चों ने रंग-बिरंगे चित्रों और गतिविधियों के माध्यम से ‘संतुलित आहार’, ‘साफ-सफाई’ और ‘खेल-सीख’ के संदेश दिए। माताओं और किशोरियों ने भी इसमें सक्रिय भागीदारी निभाई।

सुपरवाइजर ने बताया कि जीवन के प्रारंभिक छह वर्ष के बच्चों के मस्तिष्क विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इस आयु में उन्हें पौष्टिक आहार, खेल, कहानी और रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ना आवश्यक है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर माताओं को “सही भोजन” के महत्व के बारे में बताया और बच्चों को पौष्टिक खिचड़ी, फल एवं दाल वितरित कर व्यावहारिक सीख दी। इस कार्यक्रम में लगभग 40 से 50 हितग्राहियों – माताएँ, शिशुवजी माताएं, किशोरियाँ, स्व-सहायता समूह की महिलाएँ और वार्डवासी शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में कहा कि अब आंगनबाड़ी केंद्र केवल बच्चों के लिए नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के सीखने और सकारात्मक बदलाव का केंद्र बन गए हैं।


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