इन्वेस्टमेंट फर्म इन्वेस्को ने पाइन लैब्स और स्विगी की फेयर वैल्यू में की कटौती 

इन्वेस्टमेंट फर्म इन्वेस्को ने पाइन लैब्स और स्विगी की फेयर वैल्यू में की कटौती 
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वाशिंगटन। अमेरिकी इन्वेस्टमेंट फर्म इन्वेस्को ने फिनटेक फर्म पाइन लैब्स और फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी की फेयर वैल्यू में कटौती कर दी है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई है। इन्वेस्को ने अप्रैल तक पाइन लैब्स की वैल्यूएशन 3.5 अरब डॉलर की है, जबकि 31 जनवरी को यह 3.8 अरब डॉलर और 31 दिसंबर 2023 को 4.8 अरब डॉलर थी। डेटा प्लेटफार्म ट्रैक्शन के मुताबिक इन्वेस्को के पास पाइन लैब्स में करीब 2.8 फीसदी हिस्सेदारी है, बारोन कैपिटल के पास 1.3 फीसदी, और पार्क एक्सवी पार्टनर के पास 20.6 फीसदी हिस्सेदारी है। इसके अलावा, एक्टिस के पास 7.8 फीसदी, टेमासेक के पास 7.7 फीसदी और अल्फा वेव के पास 3.4 फीसदी हिस्सेदारी है। फिनटेक कंपनी पेपाल के पास 6.0 फीसदी और मास्टरकार्ड के पास 5.2 फीसदी हिस्सेदारी है। 
सूत्रों के मुताबिक पाइन लैब्स भारत में एक बिलियन डॉलर का आईपीओ लाने की तैयारी में है। इन्वेस्को की कार्रवाई पाइन लैब्स को सिंगापुर कोर्ट से अपना बेस भारत में रीलोकेट करने की मंजूरी मिलने के बाद आई है, जिससे उसकी सिंगापुर और भारतीय यूनिट्स का मर्जर हो जाएगा। कंपनी आईपीओ में 6 बिलियन डॉलर से ज्यादा की वैल्यूएशन प्राप्त कर सकती है। यह नए और सेकंडरी शेयर दोनों जारी कर सकती है और किसी भी लिस्टिंग से पहले एक प्री-आईपीओ फंडरेजिंग राउंड भी कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक पाइन लैब्स ने न्यूयॉर्क में आईपीओ के लिए यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन के साथ गुप्त रूप से डॉक्यूमेंट फाइल किए थे। लिस्टिंग पाइन लैब्स को 5.5 बिलियन डॉलर से सात बिलियन डॉलर की वैल्यूएशन दे सकती थी। कंपनी ने अस्थिर बाजार के कारण विदेशी आईपीओ की योजना स्थगित कर दी है।
इन्वेस्को ने स्विगी के पिछले फंडिंग राउंड का नेतृत्व किया था। फर्म ने पिछली तिमाही के मुकाबले, 30 अप्रैल तक फूड डिलीवरी दिग्गज स्विगी की फेयर वैल्यू में कटौती की है। स्विगी ने जनवरी 2022 में इन्वेस्को के नेतृत्व में 700 मिलियन डॉलर कमाए थे, जिससे भारतीय कंपनी की वैल्यूएशन दोगुना होकर 10.7 बिलियन डॉ़लर हो गई थी। रेगुलेटरी फाइलिंग्स के मुताबिक इस साल की शुरुआत में, इन्वेस्को ने आईपीओ की योजना बना रही कंपनी स्विगी की वैल्यूएशन को तीसरी बार बढ़ाकर 12.7 बिलियन डॉलर कर दिया, जो पिछले फंडिंग के समय वैल्यूएशन से 19 फीसदी ज्यादा है।


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