उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के हालिया पेपर लीक कांड के बाद लाखों युवा सड़कों पर उतर आए हैं। पर इस पेपर लीक कांड में कई सवाल अब तक अनसुलझे हैं, जिनका जवाब किसी के पास नहीं है। इनमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि मोबाइल एक्जाम सेंटर के भीतर कैसे पहुंचा। आयोग का दावा था कि परीक्षा केंद्रों पर अभ्यर्थियों की कड़ी तलाशी हो रही थी। नियम स्पष्ट थे- एडमिट कार्ड, पेन, पैसे और गाड़ी की चाबी के अलावा कुछ भी अंदर नहीं ले जाने दिया जाएगा। अंगूठी और चेन तक बाहर रखवाई जा रही थी। फिर भी हरिद्वार के बहादरपुर जट गांव स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज से पेपर मोबाइल के जरिए बाहर भेजा गया। सबसे बड़ा सवाल यही है: जब इतनी सख्ती थी, तो मोबाइल सेंटर के भीतर कैसे पहुंच गया? इसको लेकर राहुल गांधी ने भी राज्य की धामी सरकार को निशाना बनाया है। उन्होंने सोशल मीडिया X पर लिखा- आज BJP का दूसरा नाम है – पेपर चोर! देशभर में बार-बार होने वाले पेपर लीक ने करोड़ों मेहनती युवाओं की जिंदगी और सपनों को तबाह कर दिया है। उत्तराखंड का UKSSSC पेपर लीक इसका ताजा उदाहरण है। आयोग बोला- परीक्षा केंद्र में जैमर लगे; सवाल- पेपर की फोटो बाहर कैसे आई आयोग का कहना है कि परीक्षा केंद्र में जैमर लगे थे। लेकिन पेपर मोबाइल से फोटो खींचकर बाहर भेजा गया। यानी या तो जैमर चालू ही नहीं थे, या फिर जानबूझकर उन्हें कमजोर कर दिया गया। क्या केवल आरोपी खालिद के पास ही मोबाइल था या और भी लोग सेंटर के अंदर फोन लेकर आए थे? इन सवालों का जवाब आज तक नहीं मिला है। सेंटर ड्यूटी पर तैनात दारोगा रोहित कुमार और सिपाही ब्रह्मदत्त जोशी को निलंबित कर दिया गया है, लेकिन असली राज अब भी बरकरार है। एसआईटी का ट्रैक रिकॉर्ड खराब, सीबीआई जांच की मांग
उत्तराखंड सरकार ने पेपर लीक केस की जांच के लिए एसआईटी बनाई है। लेकिन युवाओं का कहना है कि एसआईटी का रिकॉर्ड भरोसेमंद नहीं है। पिछले 9 बड़े मामलों में से 8 में न तो दोषियों को सजा हुई और न ही जांच पूरी हुई। हरिद्वार कुंभ मेले के दौरान हुए फर्जी कोविड-टेस्ट मामले में भी एसआईटी किसी को सजा नहीं दिला सकी। देहरादून फर्जी रजिस्ट्री केस अब तक कोर्ट में अटका हुआ है। 500 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में गिरफ्तार आरोपी जमानत पर छूट गए। वहीं एनएच-74 भूमि अधिग्रहण घोटाले में आरोप लगे कि एसआईटी ने आरोपी नेताओं और आईएएस अधिकारियों को बचाने का काम किया। हरिद्वार ‘धर्म संसद’ में हेट-स्पीच मामले में भी आरोपी बरी हो गए। 2022 के पेपर लीक कांड में मुख्य आरोपी हाकम सिंह कुछ समय जेल में रहा और बाद में जमानत पा गया। अब मौजूदा पेपर लीक में उसी हाकम सिंह का 15 लाख में पेपर बेचने का ऑडियो वायरल हो चुका है। खालिद, सुमन और बॉबी पंवार का कनेक्शन पहेली बना पेपर की तस्वीरें सबसे पहले टिहरी में असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन के पास पहुंची थीं। पूछताछ में सुमन ने बताया कि खालिद की एक बहन ने खुद को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही अभ्यर्थी बताकर उनसे प्रश्नों के उत्तर मांगे। उसने खालिद को एक मीटिंग में व्यस्त बताया था। सुमन का कहना है कि उन्हें लगा कि खालिद की बहन तैयारी कर रही है, इसलिए उन्होंने फोटो के माध्यम से उत्तर उपलब्ध करा दिए। पर बाद में स्क्रीनशॉट में ओएमआर शीट दिखने पर उन्हें आशंका हुई कि पेपर बाहर आ रहा है। उन्होंने यह जानकारी उत्तराखंड बेरोजगार संघ के नेता बॉबी पंवार को दी। सेपियंस स्कूल केंद्र में कैमरे पर काली पन्नी क्यों चढ़ाई? सबसे ज्यादा चर्चा विकासनगर के सेपियंस स्कूल परीक्षा केंद्र की रही। यहां कैमरे लगे थे, लेकिन उन पर काली पन्नी चढ़ा दी गई। स्कूल प्रबंधन ने कहा कि परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था ने अपने कैमरे लगाए थे। लेकिन बाद में यह खुलासा हुआ कि आयोग ने यहाँ अपने कैमरे लगाए ही नहीं थे। तो फिर बड़े सवाल उठते हैं- यदि पारदर्शिता थी, तो कैमरे बंद क्यों करवाए गए?
उत्तराखंड में पेपरलीक, UKSSSC की रणनीति पर उठे कई सवाल:चेकिंग के बीच एग्जाम सेंटर में फोन कैसे पहुंचा; राहुल बोले- पेपर चोर, गद्दी छोड़
