असम की चटाई-बंगाल के बांस से 40 लाख का पंडाल:पूर्णिया में 30 बंगाली कारीगर एक महीने से डेवलप कर रहे; 1000 हजार साड़ी से भी सजावट

असम की चटाई-बंगाल के बांस से 40 लाख का पंडाल:पूर्णिया में 30 बंगाली कारीगर एक महीने से डेवलप कर रहे; 1000 हजार साड़ी से भी सजावट
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पूर्णिया में इस साल के दुर्गा पूजा में लोगों को मां के भव्य रूप और खूबसूरत पंडालों के दीदार करने का मौका मिलेगा। शहर में कोलकाता, पटना और रांची वाली रौनक होगी। लोग न सिर्फ एक से बढ़कर इनोवेटिव थीम पर बने पूजा पंडालों के दीदार कर पाएंगे, बल्कि असम, बंगाल और उत्तराखंड की झलक पूजा पंडालों में दिखाई देगी। इस दुर्गा पूजा असम की चटाई और बंगाल के बांस से बने 40 लाख के भव्य पंडाल बन रहे हैं। बंगाल के प्रसिद्ध मंदिर, बांग्ला वर्ण लिपि और उत्तराखंड के वर्ल्ड फेमस केदारनाथ टेंपल की झलक दिखाई देगी। इन पूजा पंडालों का टोटल कॉस्ट 35 से 20 लाख के बीच है। दशहरा को खास बनाने शहर की प्रमुख पूजा समितियां दिन-रात तैयारियों में जुटी है। प्रतिमा, लाइटिंग और पूजा पंडालों को भव्य और आकर्षक रूप देने में लगे हैं। बंगाल से आए कारीगर पिछले एक महीने से पूजा पंडाल, प्रतिमा और लाइटिंग को फाइनल टच देने में लगे हैं। लोगों को बड़ी ही बेसब्री से सप्तमी पूजा का इंतजार है। इनमें कुछ पंडाल षष्टी पूजा की रात, जबकि कुछ सप्तमी को खोले जाएंगे। इस रिपोर्ट में देखिए शहर की हाई कॉस्ट वाले 7 पूजा पंडाल 1. शहर के मोस्ट फेमस पूजा पंडालों में से एक कप्तानपुल स्थित ग्रीनवैली में है। फ्रेंडशिप क्लब दुर्गा पूजा समिति की ओर से आसाम की चटाई और बंगाल से आए बांस से भव्य और अनूठा पंडाल बनाया जा रहा है। ये सबसे हाई कॉस्ट वाला पंडाल है। यहां 55 फिट ऊंचा और 70 फीट चौड़ा बेहद ही नायाब पंडाल बनाया जा रहा है। इसके ऊपर 40 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। पिछली बार की तरह इस बार भी ये पूर्णिया का सबसे महंगा पंडाल है। बंगाल से 30 कारीगर पिछले महीने भर से दिन रात एक कर पंडाल निर्माण में लगे हैं। कारीगरों की ओर से बंगाल और आसाम की संस्कृति की झलक दिखाने की कोशिश की जा रही है। नायाब कारीगरी का मिसाल है। पंडाल पर 25 लाख, लाइटिंग पर 7 लाख, प्रतिमा पर 3.50 लाख और अन्य खर्चों पर 4 लाख से अधिक रुपए खर्च किए गए हैं। इसे इवेंट गुलाबबाग के रितेश जायसवाल की देखरेख में इसे तैयार किया जा रहा है। पंडाल नायाब कारीगरी का मिसाल बनेगा रितेश कहते हैं कि ग्रीनवैली का पूजा पंडाल नायाब कारीगरी का मिसाल बनेगा। पंडाल की फिनिशिंग और साज-सज्जा ऐसी होगी कि एक नजर पड़ते ही दोबारा लोगों को दीदार के लिए मजबूर कर देगा। बांस, चटाई और वास्तुकला की कारीगरी का बेमिसाल नमूना देखने को मिलेगा। मां की प्रतिमा भी बंगाली संस्कृति के अनुरूप बनाई जा रही है। बंगाल के प्रसिद्ध कलाकार प्रतिमा को मां का स्वरूप देने में लगे हैं। प्रणव मुखर्जी इस पूजा समिति के सदस्य थे 2. शहर के प्रसिद्ध भट्टा दुर्गाबाड़ी में पिछले 110 साल से मां की प्रतिमा बैठाई जा रही है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी इस पूजा समिति के सदस्य थे। पूजा पंडाल बांग्ला वर्ण लिपि थीम पर बेस्ड है। ये अब तक का सबसे इनोवेटिव क्रिएशन है। ये शहर का दूसरा सबसे महंगा पूजा पंडाल है। जिसका बजट 35 लाख का है। बंगाल से आए 20 कारीगर पिछले एक महीने से इसे डेवलप करने में लगे हैं। फेमस आर्टिस्ट गुल्ला दा और शिवा टेंट हाउस की देखरेख में इसे फाइनल टच दिया जा रहा है। समिति के अध्यक्ष डॉ अमित भट्टाचार्य, वाइस प्रेसिडेंट सोनाली चक्रवर्ती, सेक्रेटरी सुचित्रा घोष और सदस्य सपन भट्टाचार्य ने बताया कि बंगाली कलाकर प्रतिमा को भव्य आकार दे रहे हैं। जबकि बंगाल से आए कारीगर पंडाल को क्रिएटिव लुक देने में लगे हैं। पंडाल को इस तरीके से सजाया जा रहा जो आकर्षण का केंद्र रहेगा। बंगाली पाड़ा के बांग्ला वर्ण लिपि थीम पर बेस्ड इस पंडाल में आकर लोगों को बंगाल में आने का एहसास होगा। मां की प्रतिमा, पंडाल की थीम, बंगाली पूजा के अलावा लाइटिंग में भी बंगाल के दुर्गा पूजा पद्धति की छाप दिखेगी। षष्टी पूजा पर रात 10 बजे ढाक, ढोल और मृदंग के बीच मां दुर्गा के अलौकिक दर्शन होंगे। 1 महीने से पंडाल को डेवलप कर रहे 20 बंगाली कारीगर 3. शहर के मोस्ट फेमस पूजा पंडालों में से एक गुलाबबाग पुराना सिनेमा रोड स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में साल 1966 से ही मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। बंगाल से आए कारीगरों ने बेहद ही अलग कॉन्सेप्ट पर इस पंडाल को विकसित किया है। बंगाल से आए 20 कारीगर 1 महीने से पंडाल को डेवलप करने में लगे हैं। समिति के अध्यक्ष दिलीप कुमार पोद्दार, अमन जायसवाल, सन्नी चौधरी, शंकर भगत, गुड्डू भगत, बिट्टू भगत के मुताबिक पूजा पंडाल का कॉस्ट 25 लाख है। मूर्ति और लाइट पर 10 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। ये शहर का तीसरा सबसे हाई बजट पंडाल है। 1000 हजार बंगाली साड़ी से सजावट समिति से जुड़े चिंटू वर्णवाल, विप्लव और तापस दा, अमित साह कहते हैं कि सार्वजनिक दुर्गा पूजा समिति ने हर साल की तरह इस साल भी पंडाल को अलग लुक दिया है। इसकी खूबसूरती और भव्यता देखते ही बनेगी। 1000 हजार बंगाली साड़ी से 700 मीटर तक सजावट की गई है। यहां ऑपरेशन सिंदूर की झलक दिखाई देगी। पूजा पंडाल, साड़ियों और लाइटिंग की सजावट लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा। 4. रजनी चौक पूजा समिति शहर के प्रमुख पूजा पंडालों में गिना जाता है। एक रजनी चौक पर बंगाल के मंदिर के तर्ज पर पंडाल को डेवलप किया जा रहा है। 20 लाख के बजट से पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है। इसमें प्रतिमा और लाइटिंग और झांकियों का भी कॉस्ट शामिल हैं। पंडाल के संरक्षक सांसद पप्पू यादव हर साल की तरह इस बार भी पूजा पंडाल और प्रतिमा का भव्य लुक लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र होगा। पूजा पंडाल के संरक्षक सांसद पप्पू यादव हैं। थीम क्रिएटर रितेश जयसवाल ने बताया कि बंगाल से आए 40 कारीगर पिछले एक महीने से इसे बनाने में लगे हैं। अध्यक्ष दिवाकर चौधरी, सेक्रेट्री मनोहर लाल दास और कोषाध्यक्ष बबूल कर्मकार ने बताया कि पंडाल आकर्षक और भव्य होगा। लोग सप्तमी से इस पूजा पंडाल का दीदार कर पाएंगे। 5. मधुबनी में 1917 से ही मां दुर्गा की प्रतिमा बैठाई जा रही है। यहां बंगाली विधि विधान से पूजा की परंपरा है। इस बार मधुबनी स्थित दुर्गा मंदिर में समिति की ओर से भव्य पूजा पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है। पंडाल को बंगाल के प्रसिद्ध टेंपल का रूप दिया गया है। बंगाल से आए दर्जन भर कारीगर पंडाल को भव्य रूप देने में लगे हैं। इसपर 18 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। मूर्ति और लाइटिंग का बजट भी इसी में शामिल है। नवमी को लाखों लोग उमड़ेंगे समिति के सचिव कपिल देव प्रसाद, संयुक्त सचिव गगन जयपुरिया, पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि सप्तमी को साढ़े 4 बजे लोगों के दर्शन के लिए पट खोला जाएगा। पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि अष्टमी को महाप्रसाद का वितरण किया जाएगा। बलि की प्रथा के लिए नवमी को लाखों लोग उमड़ेंगे। 6. खुश्कीबाग स्थित प्रभात पाठागार पूजा पंडाल शहर के प्रमुख पूजा पंडालों में शुमार है। इस बार उत्तराखंड के प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर की थीम पर पंडाल का लुक दिया गया है। पंडाल और मां दुर्गा की प्रतिमा बेहद आकर्षक है। मां का पट सप्तमी को खुलेगा पूजा पंडाल का बजट 15 लाख है। यहां पंडाल, मां दुर्गा की प्रतिमा और मोहक लाइटिंग एक नजर में ही लोगों का दिल जीत लेगा। यहां बंगाली छाप देखी जा सकती है। पंडाल को शिवम टेंट हाउस के मालिक पिंटू राय की देखरेख में तैयार किया गया है। पिछले 1 महीने से 12 कारीगर इसे बनाने में लगे हैं। सप्तमी की देर शाम भक्तों के दर्शन के लिए मां का पट खोल दिया जाएगा। 7. बाड़ीहाट में 1966 से दुर्गा पूजा की परंपरा कायम है। इस बार बाड़ीहाट दुर्गा पूजा समिति की ओर से 12 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। पूजा पंडाल को केदारनाथ टेंपल का लुक देने की कोशिश की गई है। प्रतिमा को भव्य रूप देने बंगाल के कारीगर पिछले एक महीने से लगे हैं। यहां की लाइटिंग लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगी। समिति के अध्यक्ष कन्हैया लाल महासचिव दीपक कुमार दीपू और सचिव गौरव कुमार बब्लू ने बताया कि यहां षष्टी को रात 9 बजे दर्शन के लिए पट खोल दिए जाएंगे। मालदा से पंडित बंगाली पद्धति से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करेंगे।


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