सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि 2022 से पहले अगर महिला ने भ्रूण (फर्टिलाइज एग्स) फ्रीज करा दिया है तो उसे सरोगेसी कानून के तहत एज लिमिट से छूट मिल सकती है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने सरकार की तरफ से बढ़ती उम्र को चिंता का कारण बताने पर फटकार भी लगाई। कोर्ट ने कहा- कौन मां-बाप बन सकता है, ये सरकार तय नहीं कर सकती क्योंकि नेचुरल प्रोसेस में भी कोई एज लिमिट नहीं है। दरअसल, यह पूरा मामला सरोगेसी कानून 2021 से जुड़ा है, जो जनवरी 2022 में लागू हुआ था। कानून के मुताबिक, जिन पुरुष की आयु 26-55 साल और महिला की आयु 23-50 साल के बीच है, उन्हीं को सरोगेसी की परमिशन होगी। इस कानून के खिलाफ कई याचिकाएं लगाई गईं। मुख्य याचिकाकर्ता चेन्नई बेस्ड इन्फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ अरुण मुथुवेल हैं, जिन्होंने कॉमर्शियल सरोगेसी पर बैन हटाने की भी मांग की थी। कोर्ट ने महीनों चली सुनवाई के बाद जुलाई 2025 में फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला….4 पॉइंट में ————————— ये खबर भी पढ़ें… सुप्रीम कोर्ट बोला- शादी विश्वास पर आधारित रिश्ता: इसका मकसद खुशी और सम्मान है, विवाद नहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शादी का रिश्ता आपसी भरोसे, साथ और साझा अनुभवों पर टिका होता है। अगर ये चीजें लंबे समय तक नहीं हों तो शादी सिर्फ कागजों पर रह जाती है। कोर्ट ने आगे कहा कि शादी का उद्देश्य दोनों की खुशी और सम्मान है, न कि तनाव और विवाद। पूरी खबर पढ़ें…
2022 से पहले भ्रूण फ्रीज, तो सरोगेसी कानून से छूट:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मां-बाप कौन बनेगा, यह सरकार तय नहीं कर सकती
