रांची यूनिवर्सिटी के डोरंडा कॉलेज में एमबीए सत्र 2024–26 के लगभग 45 छात्रों को कम अटेंडेंस के कारण सोमवार को मिड सेमेस्टर परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया। जब छात्र परीक्षा देने कॉलेज पहुंचे तो उन्हें यह कहकर रोका गया कि उनका अटेंंडेंस 75% से कम है। इस पर छात्रों ने विरोध जताते हुए प्रदर्शन किया। छात्रों के विरोध के बाद एमबीए विभाग के एचओडी ने कहा कि यदि हर छात्र कॉलेज के पुस्तकालय को एक-एक किताब दान कर दे, तो उसे परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। इसके बाद छात्रों ने परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन लिखा, जिसपर एमबीए विभाग द्वारा प्रत्येक आवेदन पर एक किताब का नाम लिख दिया गया। इसमें लिखा गया था कि किस छात्र को कौन-सी किताब खरीदकर दान करनी है। इन छात्रों की परीक्षा किसी और दिन ली जाएगी। प्रभावित छात्रों ने प्रबंधन के इस निर्णय को परीक्षा के बदले दान लेना बताया है। स्टूडेंट्स ने कहा कि इस बैच का अब तक सेकेंड सेमेस्टर का रिजल्ट आ जाना चाहिए था, लेकिन अभी फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षा हुई है। इस ओर विवि प्रशासन और कॉलेज प्रबंधन का ध्यान नहीं है, जिससे करियर प्रभावित हो रहा है। प्रोफेशनल कोर्स में सेशन लेट रहने पर छात्र जॉब से वंचित हो जाएंगे। निर्धारित क्लास किए बिना कोई छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हो सकता। यह कदम छात्रहित में उठाया गया है, ताकि छात्र नियमित रूप से कक्षा में उपस्थित रहें। किताब दान की पहल एक प्रतीकात्मक अनुशासनात्मक उपाय है, जिससे छात्र जिम्मेदारी का भाव समझें। क्वालिटी एजुकेशन के लिए यह जरूरी है। डॉ. हेमचंद तिवारी, एचओडी, एमबीए विभाग, डोरंडा कॉलेज
एमबीए… अटेंडेंस बढ़ाने का एचओडी ने खोजा फॉर्मूला- किताब दान करो, परीक्षा दो
