गोरखपुर में पोती बोली-बॉयफ्रेंड बनाने को दबाव बनाती थीं दादी:सोते वक्त गड़ासा से तीन वार में गर्दन कर दिया अलग, मां-बेटी को जेल भेजा

गोरखपुर में पोती बोली-बॉयफ्रेंड बनाने को दबाव बनाती थीं दादी:सोते वक्त गड़ासा से तीन वार में गर्दन कर दिया अलग, मां-बेटी को जेल भेजा
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मुझे अपना शुरुआती बचपन बहुत ज़्यादा याद नहीं है। बस इतना पता है कि मैं महज 2 साल की थी, जब मेरी मां मुझे लेकर बंगाल से गोरखपुर आ गई थीं। दादी हमेशा मुझे बंगालन कहकर बुलाती थीं। दादी ने पढ़ाई छुड़वा दी। मैं गिड़गिड़ाती रही, लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। पेन की जगह हाथ में हंसिया थमा दिया गया। कहतीं कोई लड़का सेट कर ले, वही तुझे पैसे देगा। ये बातें गोरखपुर की खुशी ने कही। पुलिस ने उसे अरेस्ट किया है। आरोप है कि प्रताड़ना से ऊबकर अपनी 60 साल की दादी की हत्या कर दी। पुलिस पूछताछ में उसने कहा- मुझे अपनी दादी की हत्या करने का कोई पछतावा नहीं है। दादी ने मेरी जिंदगी के 18 साल नर्क बना दिए। अब जेल जाना पड़ेगा, तो जाऊंगी लेकिन अब कोई बोझ नहीं रहा। दरअसल, गोरखपुर के पीपीगंज थाना क्षेत्र के भुईधरपुर गांव में 26 सितंबर को 60 वर्षीय कलावती यादव की सिर कटी लाश उनके घर से करीब 500 मीटर दूर मिली थी। पुलिस ने बताया कि जांच में सामने आया कि यह हत्या उनकी 19 वर्षीय पोती खुशी यादव ने ही की थी। पुलिस पूछताछ में खुशी ने आप बीती बताई, दैनिक भास्कर के साथ सिलसिलेवार पढ़िए पूरी कहानी… सबसे पहले पढ़िए खुशी का पूरा कबूलनामा दादी ने मेरी पढ़ाई छुड़वा दी… खेतों में घास कटवाती थीं
मेरे दोनों भाई खेलते थे, पढ़ते थे, उन्हें घर में प्यार और सम्मान मिलता था। पिता उनसे फोन पर बातें करते थे, क्योंकि वो उनके बेटे थे। मुझसे कभी हालचाल तक नहीं पूछा। मेरे लिए सिर्फ मेरी मां थीं। वही मेरी दुनिया थी। बाकी सब मुझे बोझ समझते थे। त्योहारों में भी मुझे नजरअंदाज किया जाता। मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती थी।
जब मैं 9वीं में पहुंची, तो मन में था कि पढ़ाई करूंगी, कुछ बनूंगी। लेकिन दादी ने पढ़ाई छुड़वा दी। मैं गिड़गिड़ाती रही, लेकिन किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। पेन की जगह हाथ में हंसिया थमा दिया गया। रोज मुझे घास काटने के लिए भेजा जाता। ताने मिलते बंगालन बाहर से आकर मेरे बेटे की कमाई खा रही है। दादी कहती थीं- बॉयफ्रेंड बना लो
हर दिन दादी ताने मारती थी। कभी बोलतीं काम नहीं करती, मोटी होती जा रही हो। कभी कहतीं मेरे बेटे की कमाई क्यों खा रही हो? कोई लड़का सेट कर ले, वही तुझे पैसे देगा। एक दिन तो यहां तक कह दिया कहो तो मैं बात करूं किसी से? ये सुनकर मैं कांप जाती थी। गुस्सा आता, लेकिन कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी। बस आंखों में आंसू होते थे। 25 सितंबर को दादी ने फिर जहर उगला
रक्षाबंधन वाले दिन दादी ने मुझे बहुत भला-बुरा कहा था। मां से उन्होंने कहा कि न जाने कहां से ये लड़की ले आई हो, सिर पर बोझ बन गई है। मैं खूब रोई थी। 25 सितंबर को मां बैंक गई थीं। दादी मुझे खेत में घास कटवाने ले गईं। खेत में भी ताने देने लगी कि मेरे बेटे के पैसे खा रही है, काम नहीं करती, मोटी होती जा रही हो। एक लड़का बना लो, वो सब खर्च उठाएगा। मैं कुछ नहीं बोली। रोती हुई चुपचाप घर लौट आई। मन में गुस्सा था।दोपहर करीब 1:30 बजे दादी भी घर आईं। थोड़ी देर बाद अपने कमरे में जाकर खाट पर लेट गईं। उनकी नाक बजने लगी थी। मैं चुपचाप गड़ासा उठाकर उनके पास पहुंची। एक वार गर्दन पर किया। चीख निकली। खून बहने लगा। मैंने तीन और वार किए। गर्दन अलग हो गई। इसके बाद कुछ नहीं सूझा। मैं वहीं बैठ गई। जैसे सब थम गया हो। मां आईं, घबरा गई, मुझे बचाने के लिए मदद की
थोड़ी देर बाद मां घर लौटीं। खून देखा तो चौंक गईं। फिर लाश देखी। वो सिर पकड़कर बैठ गईं। उनको भी कुछ सूझ नहीं रहा था। कुछ देर बाद उन्होंने मेरी मदद करते हुए बोरी लाकर लाश को उसमें भर दी, गर्दन को दरी में लपेटा और फिर आसपास बिखरे खून को साफ किया। रात हुई तो साइकिल से लाश ले जाकर थोड़ी दूर फेंक दिया। अगले दिन 26 सितंबर को जब पुलिस वाला खोजी कुत्ता लाया गया तो वो बार-बार हमारे घर की ओर लौट रहा था। तब लगा कि अब बचना आसान नहीं होगा। मां ने कहा, कुछ मत बोलना, मैं संभाल लूंगी पुलिस ने कई दिन तक CCTV खंगाले, गहनों को देखकर लूट से इनकार किया, गांव में ड्रोन चोरों की चर्चा हुई। लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। जब पुलिस ने बोरे की दरी के बारे में पूछा और मां ने कहा ये हमारे घर की नहीं है, तब मेरे चाचा राजेश ने कहा ये तो मैं ही लाया था राजकोट से। बस यहीं से बात खुल गई। 17 दिन बाद पुलिस ने सब पकड़ लिया। 12 अक्टूबर को पुलिस हमें थाने ले गई। गांव में थोड़ा हंगामा हुआ। लेकिन जब मैंने सब कुछ बताया, सब चुप हो गए। मां समझा रही थीं सब ठीक हो जाएगा लेकिन अब मुझे समझ नहीं आता कि कैसा ठीक? अब तो सब खत्म हो गया है। मेरा बचपन, मेरी पढ़ाई, मेरा भविष्य… सबकुछ। जेल में रातभर जागती रही खुशी
जेल में पहली रात खुशी पूरी तरह जागते हुए गुजारी। उसकी मां उत्तरा देवी उसे समझाने की कोशिश करती रही, लेकिन वह गुमसुम हो गई। खुशी का कहना है, अब तो कुछ भी बाकी नहीं रहा, मेरा जीवन खत्म हो गया। जेलर अरुण कुमार ने बताया कि दोनों को महिला बैरक में रखा गया है और नई बंदियों की निगरानी के साथ लड़की की काउंसलिंग भी कराई जाएगी। मनोवैज्ञानिक बोलीं – भावनात्मक उत्पीड़न अत्यंत घातक हो सकता है सेंट एंड्रयूज कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर व मनोवैज्ञानिक श्वेता जॉनसन ने बताया कि यदि किसी बच्चे को लगातार ताने, आलोचना और अपमान झेलनी पड़े तो उसके भीतर धीरे-धीरे नकारात्मक भावनाएं जैसे क्रोध, नफरत और अस्वीकृति की भावना घर कर जाती है। जब किसी व्यक्ति को लंबे समय तक मानसिक रूप से नीचा दिखाया जाए, तो उसका भावनात्मक संतुलन बिगड़ सकता है। ऐसे हालात में वह कभी भी नियंत्रण खो सकता है। यह स्थिति कई बार इम्पल्स कंट्रोल डिसऑर्डर जैसी मानसिक समस्याओं का रूप ले सकती है। निरंतर भावनात्मक उत्पीड़न के कारण व्यक्ति डिप्रेशन, क्रॉनिक एंगर या पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से भी पीड़ित हो सकता है। इन मानसिक अवस्थाओं में व्यक्ति के भीतर यह भावना जन्म ले सकती है कि कोई उसकी सुनता नहीं, सब उसे गलत समझते हैं और अब उसे खुद को साबित करना होगा। जब ये विचार भीतर ही भीतर सुलगते रहते हैं और व्यक्ति को कोई भावनात्मक सहारा नहीं मिलता, तो वह या तो भीतर से टूट जाता है या फिर अचानक आक्रामक प्रतिक्रिया दे बैठता है जैसा कि इस मामले में देखा गया। उन्होंने यह भी कहा कि Gen Z पीढ़ी में त्वरित परिणाम पाने की प्रवृत्ति अधिक देखी जाती है। उनमें धैर्य की कमी के कारण छोटी-छोटी बातें भी उन्हें गहराई से प्रभावित कर देती हैं, जिससे मानसिक दबाव और अस्थिरता की संभावना बढ़ जाती है। अब जानिए क्या था पूरा मामला गोरखपुर के पीपीगंज थाना क्षेत्र के भुईधरपुर गांव में 26 सितंबर को कलावती यादव (60) की सिर कटी लाश घर से लगभग 500 मीटर दूर मिली थी। मृतका के साथ घर में उसकी बहू उत्तरा देवी, पोती खुशी और दोनों बेटे रहते थे।
उत्तरा देवी ने पुलिस को बताया था कि 25 सितंबर को उनकी सास पीपीगंज दवा लेने गई थीं, लेकिन लौटकर नहीं आईं। बहू की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। चूंकि, शव के साथ सोने-चांदी के गहने बरामद हुए थे, इसलिए लूट की आशंका को दरकिनार कर पुलिस ने तंत्र-मंत्र के एंगल से जांच शुरू की। कुछ ग्रामीणों ने ड्रोन चोरों का नाम लिया, लेकिन पुलिस ने शुरुआत में ही इस संभावना से इनकार कर दिया।
पुलिस ने 50 से अधिक स्थानों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, लेकिन कलावती कहीं नजर नहीं आईं। इसके बाद शक की सुई बहू उत्तरा देवी की ओर घूमी। उसका मोबाइल भी खंगाला गया, मगर कोई ठोस सुराग नहीं मिला।
कलावती के दोनों बेटे घटना के समय घर से बाहर थे। बड़ा बेटा राजेश यादव राजकोट में और छोटा बेटा जितेंद्र पुणे में काम करता था। मां की हत्या की सूचना पर दोनों भाई घर पहुंचे। एक दरी बनी सुराग की कड़ी
शव एक बोरे में बंद था, जिसकी गर्दन एक दरी से लपेटी गई थी। जब पुलिस ने उत्तरा से दरी के बारे में पूछा तो उसने उसे पहचानने से इनकार कर दिया। बाद में जब वही दरी राजेश को दिखाई गई, तो उसने बताया कि यह दरी वह राजकोट से खरीदकर लाया था।
यह जानकारी मिलते ही पुलिस का संदेह और गहरा गया। 12 अक्टूबर को उत्तरा देवी और उसकी बेटी खुशी को थाने लाया गया। पहले तो गांव में इस कार्रवाई को लेकर विरोध हुआ, लेकिन जब पुलिस ने सबूत सामने रखे, तो लोग शांत हो गए।
पूछताछ के दौरान खुशी ने अपना जुर्म कबूल कर हत्या की पूरी कहानी पुलिस को बता दी। इसके बाद रविवार को मां-बेटी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। पिता बोले – खुशी ऐसा कर सकती विश्वास नहीं हो रहा
बेटी द्वारा मां की हत्या किए जाने की बात से बड़ा बेटा राजेश स्तब्ध है। उसका कहना है, मेरा पूरा परिवार उजड़ गया। खुशी ऐसा कर सकती है, यह सोच भी नहीं सकता था। थाने में जब उसकी बात सुनी, तो मैं चुप हो गया। मेरी पत्नी उतनी दोषी नहीं है, वह अपनी बेटी को बचाने के चक्कर में फंस गई। – ———— ये खबर भी पढ़िए प्रेमानंदजी बोले- हर जन्म में मेरी किडनी खराब हो, VIDEO:धीरेंद्र शास्त्री को गले लगाकर भावुक हुए, कहा- अब मिलन हो न हो… बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री मंगलवार को मथुरा पहुंचे। उन्होंने संत प्रेमानंद महाराज से मुलाकात की। दो संतों के बीच का यह मिलन काफी भावुक था। धीरेंद्र शास्त्री ने प्रेमानंद जी को दो बार दंडवत होकर प्रणाम किया। प्रेमानंद महाराज उनकी बातों पर खिलखिलाकर हंसे। जाते वक्त महाराज ने बाबा बागेश्वर से कहा- जीवन रहे न रहे। आओ गले मिल लें। सीने से लग जाओ। VIDEO में देखिए पूरी बातचीत…


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