इस मंदिर से भरत जी सिर में रखकर अयोध्या लाए थे प्रभु श्री राम की चरण पादुका

इस मंदिर से भरत जी सिर में रखकर अयोध्या लाए थे प्रभु श्री राम की चरण पादुका
Share Now

धर्म नगरी चित्रकूट भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है. यह स्थान भगवान राम के वनवास का एक प्रमुख हिस्सा रहा है. वनवास काल के दौरान प्रभु श्री राम ने यहां साढ़े ग्यारह वर्ष बताया था. ऐसे में आज हम चित्रकूट में बने एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां से भरत जी प्रभु श्री राम की चरण पादुका को सर में रखकर अयोध्या के लिए निकले थे. जिस मंदिर में  आज भी हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

सर में चरण पादुका रखकर अयोध्या लौटे थे भरत

बता दें कि  रामघाट के मंदाकिनी तट पर स्थित भरत मंदिर इस ऐतिहासिक संवाद का प्रतीक है.जब श्री राम वनवास के दौरान चित्रकूट आए, तब भरत जी अपनी तीनों माताओं केकई, कौशल्या और सुमित्रा के साथ अयोध्या से चित्रकूट पहुंचे थे. भरत जी की भक्ति और प्रेम के कारण राम जी ने उनसे मिलने का निर्णय लिया और भरत मंदिर में चार-पांच दिन तक रहे. इस दौरान भरत जी ने राम को अयोध्या लौटने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन श्री राम ने अपने धर्म का पालन करते हुए वनवास को स्वीकार किया. इस दौरान भरत जी अयोध्या में राम राज्य चलाने के लिए उनकी चरण पादुका को लेकर भरत मंदिर से अयोध्या के लिए निकल गए थे.

पुजारी ने दी जानकारी

चित्रकूट भरत मंदिर के पुजारी श्याम दास ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि भरत जी अयोध्या से श्री राम को मनाने के लिए तीन माताओं और गुरुओं के साथ चित्रकूट आए थे. उन्होंने रामघाट के तट में मंदाकिनी नदी में स्नान किया और भरत मंदिर में श्री राम से चार-पांच दिन तक वार्ता भी की थी.और प्रभु श्री राम से घर वापस लौट चलने की जिद में अड़े हुए थे.हालांकि,श्री राम अयोध्या जाने के लिए राजी नहीं हुए. इस दौरान श्री राम ने भरत जी को आदेश दिया कि वे अयोध्या का राज्य संभालें तब भरत जी राम राज्य चलाने के लिए भाई राम से उनकी खड़ाऊं मांगी,प्रभु राम से अपनी चरण पादुका देकर भरत जी को अयोध्या भेज दिया, जबकि खुद चित्रकूट में वनवास के लिए रुक गए. आज भी इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त मंदिर में विराजमान श्री राम के पूरे परिवार के दर्शन करने के लिए आते हैं. और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति करवाते हैं.


Share Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *