अयोध्या में धमाका, 30 मीटर तक बिखरीं लाशें:72 घंटे बाद भी सुराग नहीं, सिलेंडर फटा या पटाखे; लोग बोले- FIR दर्ज नहीं हुई

अयोध्या में धमाका, 30 मीटर तक बिखरीं लाशें:72 घंटे बाद भी सुराग नहीं, सिलेंडर फटा या पटाखे; लोग बोले- FIR दर्ज नहीं हुई
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टाइम- शाम 7.10 बजे, (9 अक्टूबर) स्पॉट- पगला भारी गांव (अयोध्या) गांव के बाहर सड़क किनारे बने घर में जोरदार धमाका हुआ। 3 km दूर तक आवाज सुनाई दी। गांव के लोग जब वहां पहुंचे, एक मंजिला मकान का सिर्फ मलबा दिखा। 17 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन में मलबा के अंदर से सिर्फ 1 लाश निकाली जा सकी। बाकी 5 लाशें 10 से 30 मीटर के दायरे में बिखरी मिलीं। पुलिस ने छानबीन के बाद स्टेटमेंट दिया- धमाका कुकर और सिलेंडर फटने की वजह से हुआ। मगर यह नहीं बताया गया कि फोरेंसिक रिपोर्ट में क्या आया? पगला भारी गांव के लोगों ने पुलिस पर जांच को लेकर सवाल खड़े किए। इसके पीछे की 3 वजहें सामने आईं… पहली- राम कुमार शादियों में आतिशबाजी की बुकिंग करता था। इन पटाखों को घर में ही स्टोर करके रखता था। दूसरी- उसके घर में 3 साल में ये तीसरा हादसा था। हर बार उसके घर में धमाका होता रहा है, लोग मरते रहे हैं। इस हादसे की पुलिस ने FIR तक नहीं लिखी। तीसरी- अगर धमाका कुकर फटने से हुआ, तो रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान रात 11 बजे दोबारा धमाका क्यों हुआ, इसमें लेखपाल अजय घायल हुए थे। क्या वाकई धमाका कुकर और सिलेंडर में हुआ? क्यों राम कुमार को गांव के बाहर निकाल दिया गया था? अब परिवार में कौन बचा? ये जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम अयोध्या से 25 km दूर पूराकलंदर पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… अब जरा गांव का माहौल समझिए… दहशत में लोग, मलबे में दबे दिखे स्कूल बैग, जले हुए कपड़े फैजाबाद हाईवे से अयोध्या शहर की तरफ जाते हुए सड़क किनारे गांव पगला भारी पड़ा। जिन लोगों से हमारी मुलाकात हुई, उन्होंने हमें गांव के बाहर की सड़क पर भेज दिया। गांव से गुजरते हुए एहसास हुआ कि इस हादसे की दहशत बनी हुई है। यहां सड़क किनारे हम मलबे के ढेर पर पहुंचे। इस मलबे में स्कूल बैग, कपड़े और घर के सामान दबे हुए दिखे। टूटी दीवारें, बिखरे ईंट-पत्थर और जले हुए दरवाजे ये बताने के लिए काफी हैं कि विस्फोट कितना तेज हुआ होगा। प्रशासन ने शुक्रवार शाम तक यहां से जरूरी सामान हटा दिए थे। हालांकि, अब इस परिवार में कोई नहीं बचा, जो घर के बचे हुए सामान का क्लेम कर सके। कैसे हादसे होते रहे और धीरे-धीरे परिवार खत्म हो गया। इसे जानने के लिए हमने गांव के लोगों से बातचीत शुरू की। अब हादसों की कहानी- पहले हादसे में मां झुलसी, दूसरे में मर गई
सामने आया कि रामकुमार कसौधन उर्फ पप्पू कई सालों से पटाखों का काम कर रहा था। वह शादियों में आतिशबाजी की बुकिंग लेता था। इस वजह से उसके घर में 2023 और फिर 14 अप्रैल, 2024 को भी धमाके हुए थे। इन 2 हादसों में 3 मौतें हुई थीं। 2023 में जब रामकुमार गांव के अंदर 2 मंजिला घर में रहता था। दिवाली से पहले उसके घर में विस्फोट के बाद आग लग गई थी। तब उसकी मां शिवपता 60% तक झुलस गई। मगर किसी की मौत नहीं हुई थी। गांव के लोगों का मानना है कि उस वक्त पटाखा बनाते हुए हादसा हुआ था। 2024 में उसके घर में धमाका हुआ। पूरा मकान ही ढह गया था। घर में एक आटा चक्की चलती थी। इसमें चक्की पर आटा लेने आई 19 साल की प्रियंका की मौके पर ही मौत हो गई थी। झुलस चुकी मां शिवपता की अगले दिन मौत हो गई थी। 6 दिन के इलाज के बाद पत्नी बिंदु की भी मौत हो गई। राम कुमार जब इलाज कराकर लौटा, तो अपने 3 बच्चों को लेकर गांव के बाहर इस मकान में आ गया था। हादसे के स्पॉट को समझिए… वंदन से शादी होनी थी, उसकी बॉडी 24 घंटे बाद मलबे से मिली
9 अक्टूबर, 2025 को हुए हादसे में राम कुमार की साली वंदन, उसकी बेटी ईशा, बेटे लव और यश के अलावा हेल्पर राम संजीवन की मौत हो गई। विस्फोट के बाद राम कुमार की लाश घर से 10 मीटर दूर मिली थी। वहीं, हेल्पर राम संजीवन की बॉडी 30 मीटर दूर मिली। ईशा, लव और यश के क्षत-विक्षत शव 10 से 20 मीटर के दायरे में फैले हुए थे। सिर्फ वंदना की लाश नहीं मिली थी। 24 घंटे चले रेस्क्यू के बाद वंदना मलबे में दबी हुई मिली थी। बता दें कि पहली पत्नी बिंदू की मौत के बाद उसकी साली वंदना राम कुमार के साथ रहने लगी थी। दिसंबर, 2025 में उसकी राम कुमार से शादी होनी थी, मगर इससे पहले हादसा हो गया। हादसे में मर चुकी प्रियंका के परिवार की बात पिता बोले- ये लोग शायद घर के अंदर ही पटाखे बनाते थे हालात को समझने के बाद हमारी टीम 2024 के धमाके में मरने वाले प्रियंका (19) के घर पहुंची। यहां हमारी मुलाकात उसके पिता रमेश मौर्य से हुई। वह कहते हैं- ये आदमी (राम कुमार) सही नहीं था, बहुत बार समझाया गया था कि शादी ब्याह में पटाखा चलाने का काम करते हो, मगर ये रिस्की है। पहले उनके घर में धमाका हुआ, तो उनकी माताजी जल गई थीं। फिर भी ये लोग माने नहीं, 1 ही साल बाद हल्की सर्दी का मौसम था। ये लोग शायद घर के अंदर पटाखा बना रहे थे, इसमें फिर धमाका हो गया। इसमें हमारी बेटी की मौत हो गई। पुलिस ने भी कोई जांच नहीं की। तब भी कहा था कि कुकर और सिलेंडर फटा था। बेटी की मौत के बाद पुलिस ने तहरीर तक नहीं ली
प्रियंका की भाभी ममता कहती हैं- हादसे के बाद हम लोग थाने गए। हमारी तहरीर तक नहीं ली गई। किसी ने गवाही तक नहीं दी। वो बीए सेकंड ईयर में पढ़ रही थी। वो दिखावे के लिए आटा चक्की चलाता था, अंदर बम बनाता था। इस बार भी धमाका हुआ है। 5 किमी दूर तक सुनाई दिया। अब हेल्पर राम सजीवन के परिवार की बात पत्नी बोलीं- मैं उनका चेहरा तक नहीं दिख सकी
अब हालात को समझते हुए हम हादसे में मरने वाले हेल्पर राम सजीवन के घर पहुंचे। वह बीकारपुर के बिछौली में रहते हैं। घर के बाहर महिलाएं बैठी रो रही थीं। घर के अंदर हमारी मुलाकात राम सजीवन की पत्नी राजकला देवी से हुई। वह रोते हुए कहती हैं- वो तो सिर्फ काम करने जाते थे। कपड़े सब जल गए थे, चेहरा तक नहीं देख पाए थे। वो तो घर से छोटे-मोटे काम करने के लिए ही जाते थे। पार्षद बोले- उसको कई बार समझाया
हमने स्थानीय पार्षद साहिल यादव से बात की। वह कहते हैं- पहले भी उसके घर में धमाका हुआ था। पुलिस ने जांच की, लेकिन बाद में मामला शांत हो गया। लोगों ने कई बार चेताया कि फिर से कुछ न करे, लेकिन उसने नहीं सुना। लालच में सब कुछ खो दिया। पुराने घर में चक्की भी लगा रखी थी। इसके अलावा सेल्समैन का भी काम करता था। वह गांव-गांव जाकर दुकानों पर सामान देता था। गांव में दहशत का माहौल ग्रामीण बोले- पहले हादसे पर कार्रवाई होती, तो आज 6 लोग जिंदा होते
गांव के बुजुर्ग राम सुख कहते हैं- हमने राम कुमार को बहुत बार रोका था। पिछले धमाके में उसकी मां-बेटी मर गईं। लेकिन उसे पैसे की अंधी चाहत ने अंधा कर दिया था। यहीं पर बैठे एक और ग्रामीण कहते हैं- पहले भी पुलिस आई थी, मगर कुछ दिन बाद सब भूल गए। अगर तब कार्रवाई हुई होती, तो आज 6 लोग जिंदा होते। घटना की सूचना पर पहुंचे ससुराल पक्ष के लोगों ने रामकुमार, वंदना और उनके बच्चों का अंतिम संस्कार किया। साले आलोक ने मुखाग्नि दी। बहन वंदना का अंतिम संस्कार सुल्तानपुर के धनपतगंज के चन्दौर गांव में किया गया। घटना के बाद ससुराल में मातम का माहौल है। SSP बोले- फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है SSP डॉ. गौरव ग्रोवर ने कहा- 9 अक्टूबर को हुई इस घटना में अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। प्रारंभिक जांच में पहली घटना गैस रिसाव के कारण हुई है, इससे किचन में ब्लास्ट हुआ था। दूसरी घटना रात 11 बजे हुई, इसमें पटाखा भंडारण के कारण धमाके का अंदेशा है। फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से नमूने एकत्र किए हैं, जिसे जांच के लिए भेजा गया है। ……. कानपुर विस्फोट की जिम्मेदारी खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स ने ली, कमिश्नर ने कहा- दावा झूठा; चोरी की स्कूटी दुकान मालिक का भाई चला रहा था कानपुर विस्फोट के पीछे बड़ी साजिश के क्लू मिल रहे हैं। पुलिस ने विस्फोट के 18 घंटे बाद कहा था कि इसका आतंकी कनेक्शन नहीं है। लेकिन अब तक की जांच में 2 फैक्ट ऐसे सामने आए हैं, जो बड़ी साजिश की तरफ इशारा करते हैं- पहला- खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स ने 8 मीडिया संस्थान को ईमेल भेजकर इस विस्फोट की जिम्मेदारी ली है। उन्होंने दावा किया है कि यह हमला यूपी में मारे गए 3 खालिस्तानी समर्थकों की मौत का बदला है। पुलिस अब ईमेल के सोर्स का पता लगा रही है। दूसरा- पाकिस्तान के झंडे लगे X हैंडल से मैसेज पोस्ट किए गए कि मरकज मस्जिद के पास 2 स्कूटी में धमाका हुआ। 8 सेना के जवान मारे गए हैं। कानपुर पुलिस इन पोस्ट के भी सोर्स को ट्रेस कर रही है। पढ़िए पूरी खबर…


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