साल के करीब 7-8 महीने पर्यटकों से भरा रहने वाला लेह का मुख्य बाजार सूना पड़ा है। होटल खाली हैं। 5 से 10 हजार वाले रूम 500 से 1 हजार रुपए के मामूली किराए में भी नहीं भर रहे। टैक्सी स्टैंड पर गाड़ियां खाली खड़ी हैं। जितने टूरिस्ट अभी यहां हैं, उससे 10 गुना ज्यादा सुरक्षाकर्मी पहरा दे रहे हैं। इंटरनेट बंद है। हमने ऐसी जिंदगी पहले कभी नहीं जी। हिंसा ने हमारे सीजन की खुशियां छीन लीं। और उप राज्यपाल दावा कर रहे हैं कि लेह में सब नॉर्मल है। जो हालात हैं, उसे हमारे लिए नॉर्मल नहीं कह सकते। यह बात जब रिगजिन वाग्मो लेचिक बोल रही थीं, तब उनकी आंखों में आंसू थे। लेचिक ऑल लद्दाख होटल एंड गेस्ट हाउस एसोसिएशन लेह की अध्यक्ष भी हैं। लेचिक ने बताया कि पहलगाम की घटना ने 50% टूरिस्ट को नुकसान पहुंचाया था, लेह की हिंसा में यह बढ़कर 80% हो गया है। 2000 गेस्टहाउस, होटल्स खाली पड़े हैं। लद्दाख की कुल जीडीपी में पर्यटन का हिस्सा 50% है। अक्टूबर में हम अगले मार्च-अप्रैल की बुकिंग शुरू कर देते थे, लेकिन इस बार एक भी प्री-बुकिंग नहीं है। अगले कुछ दिन में बर्फीली ठंड शुरू होते ही यहां सबकुछ बंद हो जाएगा। हम आज नहीं कमाएंगे तो अगले छह महीने गुजारा कैसे करेंगे? लद्दाख की राजधानी लेह में स्थानीय लोगों के विरोध के बाद इंटरनेट सेवा गुरुवार रात बहाल कर दी गई। हालांकि, इसका कोई ऑर्डर जारी नहीं हुआ। वहीं, कलेक्टर ने सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फैलाने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। बीते 24 सितंबर को हिंसा के बाद इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी। 16 दिन बंद रहा इंटरनेट 24 सितंबर से पूरे लेह में यही हाल है। सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के अनशन के बीच हुई हिंसा ने लेह की शांति छीन ली। लेह अपेक्स बॉडी के सह-अध्यक्ष शेरिंग दोरजे ने बताया कि शासन किस बात को नॉर्मल कह रहा है, ये समझ से परे है। पांच लोग आज भी एक साथ कहीं खड़े नहीं हो सकते, क्योंकि धारा 163 लगी है। 2G से लेकर 5G और सार्वजनिक वाईफाई नेटवर्क तक सब बंद रहे। हिंसा के आरोप में 39 लोग अभी भी पुलिस हिरासत में हैं। स्कूल खुल रहे हैं, लेकिन कक्षाओं में बच्चे नहीं पहुंच रहे। वांगचुक के लिए पूरा लेह खड़ा है, लेकिन मौसम और कमाई की मजबूरी के चलते लोगों को बाजार खोलना पड़ रहा है। लेह टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष थिंलेस नामग्याल ने बताया कि 24 सितंबर से अब तक एक भी बुकिंग नहीं मिली। यहां करीब 6 हजार टैक्सी ऑपरेटर हैं, सभी खाली बैठे हैं। हिंसा के कारण हमारे परिवार कई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। बड़ा सवाल… हिंसा रोकने के लिए फायरिंग का आदेश किसने दिया था? शेरिंग दोरजे ने बताया कि 24 सितंबर को जब हिंसा हुई, भीड़ ने पत्थरबाजी शुरू की, पुलिस ने फायरिंग की, जिसमें 4 नौजवान मारे गए। फायरिंग का आदेश किसने दिया, इसका जवाब आज तक नहीं मिला। हम 16 दिन से यही पूछ रहे हैं, लेकिन उप राज्यपाल शासन इस पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। हम मामले की न्यायिक जांच कराना चाहते हैं, ताकि मृतकों के परिजनों को न्याय मिल सके। लेह के डिप्टी कमिश्नर ने एसडीएम नुब्रा मुकुल बेनीवाल को हिंसा की जांच का जिम्मा सौंपा है। लेकिन, लेह अपेक्स बॉडी इसे खारिज कर चुकी है। इससे जुड़े कुछ सदस्यों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमने भी पड़ताल की है। फायरिंग का आदेश स्थानीय प्रशासन ने नहीं दिया था। फिर इसके पीछे कौन है, किसकी साजिश है, इसलिए ईमानदारी से जांच कराना चाहते हैं। वांगचुक जोधपुर की जेल में, 14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि ने जोधपुर सेंट्रल जेल में अपने पति से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि वांगचुक का हौसला अडिग है और उनका संकल्प मजबूत बना हुआ है। गीतांजलि ने कहा कि कानूनी टीम को उनके निरोध आदेश की प्रति मिल गई है, जिसे कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। वांगचुक को 24 सितंबर को लद्दाख में हुई हिंसा के बाद एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया था। उन्होंने 4 लोगों की मौत की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है और कहा है कि जब तक जांच नहीं होती, वे जेल में ही रहेंगे। गीतांजलि ने सुप्रीम कोर्ट में वांगचुक की रिहाई के लिए एक याचिका दायर की है, जिस पर 14 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
लेह में हिंसा के 16 दिन बाद भी हालात खराब:टूरिस्ट नहीं आ रहे, फिर भी दावा- सब नॉर्मल; आधी रात से इंटरनेट बहाल
