नालंदा में युवक की मौत से गांव में सन्नाटा:डॉक्टर पर लापरवाही के आरोप, परिवार ने कहा- जिनकी ड्यूटी लगी, वे गांव नहीं पहुंचे

नालंदा में युवक की मौत से गांव में सन्नाटा:डॉक्टर पर लापरवाही के आरोप, परिवार ने कहा- जिनकी ड्यूटी लगी, वे गांव नहीं पहुंचे
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नवरात्रि के पावन अवसर पर नालंदा जिले के नेपुरा गांव में एक दुखद घटना ने पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ा दी है। मां दुर्गा की आराधना में सीने पर कलश धारण किए हुए 28 वर्षीय संजय सिंह की अचानक मौत हो जाने से पूरे गांव में मातम पसर गया है। इस घटना के बाद 11 दिनों तक चलने वाली रामलीला पर भी रोक लग गई है। नेपुरा गांव निवासी रामविलास सिंह के पुत्र संजय सिंह ने नवरात्रि के दौरान सीने पर कलश रखकर मां की आराधना का संकल्प लिया था। सोमवार की शाम से अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी, जिसके बाद परिजन उन्हें मंगलवार की सुबह तत्काल सदर अस्पताल लेकर पहुंचे। लेकिन दुर्भाग्यवश डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। युवक की असमय मृत्यु की खबर सुनकर परिजन आक्रोशित हो उठे और अस्पताल परिसर में तोड़फोड़ कर दी। परिजनों का आरोप है कि समय पर उचित चिकित्सीय सहायता नहीं मिलने के कारण संजय की जान चली गई। आटा चक्की और तेल पिराई की मशीन चलाते थे संजय चार भाइयों में तीसरे नंबर पर आने वाले संजय गांव में आटा चक्की और तेल पिराई की मशीन चलाते थे। ग्रामीणों के अनुसार संजय अत्यंत मिलनसार स्वभाव के थे और हर किसी का काम निस्वार्थ भाव से करते थे। उनकी मृत्यु से न केवल परिवार बल्कि पूरे गांव को एक बड़ा सदमा लगा है। अब गांव वालों के सामने यह समस्या भी खड़ी हो गई है कि आटा चक्की और तेल पिराई का काम कौन संभालेगा। मां बोलीं- बेटा कहता था, देवी मां के सामने मेरी जान नहीं जाएगी संजय की मां अरुणा देवी, बहन जुली कुमारी और भाइयों की हालत देखने लायक नहीं है। रो-रोकर बुरा हाल है। अरुणा देवी ने बताया कि बेटा हमेशा कहता था कि मां देवी के सामने उसका प्राण नहीं जाएगा। जब भी मैं उसके पास जाती थी, वह कहता था कि अब कुछ ही दिन और रह गए हैं, उसने जो संकल्प लिया है वो पूरा हो जाएगा। डॉक्टरी लापरवाही के गंभीर आरोप परिजनों और ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि संजय की देखभाल के लिए डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति की गई थी, लेकिन उनका हाल-चाल लेने के लिए किसी भी दिन कोई डॉक्टर नहीं पहुंचा। बहन जुली कुमारी ने बताया कि जब संजय की तबीयत बिगड़ी तो उसने खुद कहा कि डॉक्टर को बुलाओ, वह जो भी उपचार करेंगे मैं सहर्ष स्वीकार करूंगा। गाँव वालों ने बार-बार फोन किया लेकिन कोई नहीं आया। एंबुलेंस का इंतजार करने की बजाय हम अपनी गाड़ी से ही संजय को लेकर अस्पताल पहुंचे। वहां भी पहले पर्ची कटाने के लिए कहा गया। इसके बाद जब डॉक्टर आए तो उन्होंने मृत घोषित कर दिया। पूजा कमेटी के अध्यक्ष, सचिव और राजीव कुमार, सकेन्द्र कुमार सिंह, सुरेंद्र उपाध्याय ने बताया, “डॉक्टर की लापरवाही के कारण यह दुर्घटना हुई। जिन डॉक्टरों की ड्यूटी संजय के स्वास्थ्य जांच के लिए लगाई गई थी, वे एक दिन भी यहां नहीं पहुंचे। सिर्फ एक नर्स को भेजकर कोरम पूरा किया जा रहा था, जबकि इस पूरे आयोजन की लिखित परमिशन पूजा कमेटी ने ली थी और उसमें डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति का प्रावधान था।” प्रशासन का पक्ष: आरोप बेबुनियाद वहीं, इस मामले में सिविल सर्जन का प्रभार संभाल रहीं डॉक्टर कुमकुम ने ग्रामीणों के आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि एएनएम और सीएचओ ने यह सुझाव दिया था कि संजय की तबीयत बिगड़ रही है, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जाए। लेकिन ग्रामीणों ने अस्पताल में भर्ती कराने से इनकार कर दिया था। मेडिकल टीम लगातार मॉनिटरिंग कर रही थी। 35 वर्षों से चली आ रही है परंपरा नेपुरा गांव में 1989 से मां दुर्गा की प्रतिमा बिठाई जा रही है। मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु प्रतिमा और पूजा का खर्च दान करते हैं। 2037 तक प्रतिमा के खर्च का बीड़ा श्रद्धालुओं द्वारा उठाया जा चुका है। भव्य और अलग तरह की पूजा-पाठ के कारण आसपास के दर्जन भर गांवों के श्रद्धालु नवरात्र के मौके पर यहां जुटते हैं। संजय से पहले भी गांव के घनश्याम सिंह सीने पर कलश रखकर मां की आराधना पूरी कर चुके हैं। लेकिन इस बार श्रद्धा और आस्था का यह आयोजन एक दुखद हादसे में बदल गया। सन्नाटा पसरा, रामलीला स्थगित जहां अगले दो दिनों तक दर्जनपुर गांव के श्रद्धालु आकर मां की आराधना और पूजा करते, वहां अब सन्नाटा पसरा हुआ है। झूले और खेल-खिलौने की दुकानें समेटी जा रही हैं। त्योहार का उल्लास शोक में बदल गया है और पूरा गांव इस अप्रत्याशित घटना से सदमे में है।


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