पटना में डंपिंग यार्ड हटाने की मांग पर प्रदर्शन:लोग बोले- 6 माह से गंगा घाट जाने का रास्ता बंद, बच्चों को बीमारी हो रही; शिफ्टिंग की मांग

पटना में डंपिंग यार्ड हटाने की मांग पर प्रदर्शन:लोग बोले- 6 माह से गंगा घाट जाने का रास्ता बंद, बच्चों को बीमारी हो रही; शिफ्टिंग की मांग
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पटना के दीघा क्षेत्र में डंपिंग यार्ड हटाने की मांग को लेकर स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर दी, जिससे लगभग दो घंटे तक यातायात बाधित रहा। स्थानीय निवासी इस डंपिंग यार्ड से फैल रही बदबू, मच्छरों और बीमारियों से परेशान हैं। कूड़े के ढेर से प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे लोगों को आने-जाने में भी काफी कठिनाई हो रही है। 65 वर्षीय मालती देवी ने बताया कि बदबू और गंदगी के कारण बच्चों को उल्टी-दस्त जैसी बीमारियां हो रही हैं। उन्होंने कहा कि लोग परेशान हैं, फिर भी कूड़ा यहीं फेंका जा रहा है और छठ पूजा से पहले इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए। स्थानीय निवासी सुनील कुमार ने बताया कि गंदगी के कारण पूरा मोहल्ला परेशान है। उन्होंने कहा कि निगम कर्मियों से कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, जिसके बाद उन्हें सड़क पर उतरना पड़ा। डंपिंग यार्ड को कहीं और शिफ्ट करने की मांग प्रदर्शनकारियों ने नगर निगम से डंपिंग यार्ड को आबादी वाले क्षेत्र से दूर स्थानांतरित करने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही कूड़े का उठाव नहीं हुआ, तो दीघा इलाके के सभी लोग आगामी विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करेंगे। स्थानीय पुलिस और निगम की टीम के आश्वासन के बाद प्रदर्शन समाप्त हुआ। निगम के अधिकारियों ने सात दिनों के भीतर डंपिंग यार्ड को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का आश्वासन दिया है। छह महीने से दीघा गंगा घाट जाने का रास्ता बंद वार्ड नंबर 22ए के लोगों ने नगर निगम की लापरवाही पर नाराजगी व्यक्त की। उनका कहना है कि डंपिंग यार्ड के कारण पिछले छह महीने से दीघा गंगा घाट जाने का रास्ता बंद है, जिससे श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को परेशानी हो रही है। लोगों ने छठ पूजा से पहले डंपिंग यार्ड हटाने की अपनी मांग दोहराई। कचरे से उठने वाली तेज दुर्गंध से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है।बीमारियों का खतरा गंदगी और मच्छरों की बढ़ती आबादी के कारण डेंगू, टाइफाइड जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।डंपिंग यार्ड में कचरे का ढेर लग रहा है, जिसका उचित निस्तारण नहीं हो रहा है, जिससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।


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