मुख्यमंत्री ने जहानाबाद जिले के बाराबर (वाणावर) क्षेत्र के विकास कार्य का किया निरीक्षण

मुख्यमंत्री ने जहानाबाद जिले के बाराबर (वाणावर) क्षेत्र के विकास कार्य का किया निरीक्षण
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निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने वाणावर श्रावणी मेला में आये श्रद्धालुओं का अभिवादन किया। वाणावर पहाड़ पर बाबा सिद्धेश्वरनाथ महादेव मंदिर में श्रावण मास में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने आते हैं।

मुख्यमंत्री ने श्रावणी मेला की व्यवस्थाओं की विस्तृत जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि श्रद्धालुओं की सुविधाओं में किसी प्रकार की कमी नहीं हो। जलाभिषेक करने में उन्हें किसी प्रकार की असुविधा नहीं हो, इसका विशेष ख्याल रखें। मौके पर मौजूद लोगों ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने वहां उपस्थित लोगों की समस्याएं सुनीं और जिलाधिकारी को समाधान करने का निर्देश दिया।

निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि वाणावर गुफायें भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को उजागर करती हैं। इसका विकास बहुत महत्वपूर्ण है ताकि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से यह क्षेत्र संरक्षित रहे। साथ ही यहां पर्यटन को भी बढ़ावा मिले।

उल्लेखनीय है कि बाराबर (वाणावर) गुफाएं जहानाबाद जिले में स्थित हैं। ये गुफाएं भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे प्राचीन चट्टानों को काटकर बनाई गई गुफाओं में गिनी जाती हैं। इनका निर्माण मौर्य समाट अशोक (273-232 ईपू) और उसके उतराधिकारी दशरथ के शासनकाल में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था। ये गुफाएं विशेष रूप से आजीवक संप्रदाय के साधुओं के लिए बनाई गई थी, जो उस समय एक प्रभावशाली धार्मिक संप्रदाय था।

बाराबर पहाड़ी में कुल चार मुख्य गुफाएँ हैं

कार्णचौपर गुफा, लोमस ऋषि गुफा, सुदामा गुफा और विश्वज्योति गुफा। इनमें से सुदामा और लोमस ऋषि गुफाए वास्तुकला की दृष्टि से विशेष उल्लेखनीय हैं। लोमस ऋषि गुफा का द्वार स्तूप और चैत्य शैली में बना हुआ है, जो आगे चलकर बौद्ध वास्तुकला का आधार बना। इन गुफाओं की सबसे अनूठी विशेषता है इनका चिकना और अत्यंत परिष्कृत पॉलिश किया हुआ आंतरिक भाग। यह मौर्यकालीन पत्थर की पॉलिशिंग तकनीक का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस तकनीक के कारण गुफाओं के भीतर की दीवारें आईने की तरह चमकती हैं और ध्वनि गूंजती है, जिससे यह साधना के लिए उपयुक्त स्थान बन जाता था।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2025 में ‘प्रगति यात्रा’ के दौरान बाराबर गुफाओं और उसके आसपास के क्षेत्र के समग्र विकास की घोषणा की थी। इसको लेकर 50 करोड़ रूपये की विकास योजना स्वीकृत की गई। इस विकास योजना के अंतर्गत सीढ़ियों का निर्माण, पर्यटक सुविधाओं का विकास, तथा एक लघु संग्रहालय का पुनर्निर्माण और नवीनीकरण शामिल है। बाराबर गुफाए न केवल भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को उजागर करती हैं, बल्कि मौर्यकालीन स्थापत्य कौशल का भी प्रमाण हैं। यह स्थल इतिहास, कला, धर्म और वास्तुकला में रुचि रखने वाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।


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