केंद्र बोला- फांसी की जगह जहरीला इंजेक्शन नहीं दे सकते:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- फांसी पुराना तरीका, सरकार सोच नहीं बदल रही

केंद्र बोला- फांसी की जगह जहरीला इंजेक्शन नहीं दे सकते:सुप्रीम कोर्ट ने कहा- फांसी पुराना तरीका, सरकार सोच नहीं बदल रही
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मौत की सजा के तरीके पर केंद्र के रुख पर नाराजगी जताई। सरकार ने उस सुझाव को मानने से इनकार कर दिया,जिसमें कहा गया था कि मौत की सजा पाए कैदियों को फांसी की जगह घातक इंजेक्शन (lethal injection) का विकल्प दिया जाए। दरअसल, एक जनहित याचिका में पारंपरिक फांसी की सजा को बदलकर घातक इंजेक्शन या इन दोनों में से किसी एक को चुनने का अधिकार दिए जाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा- ‘कम से कम दोषी कैदी को विकल्प तो दिया जाए कि वह फांसी चाहता है या घातक इंजेक्शन। घातक इंजेक्शन तेज, मानवीय और सम्मानजनक है। फांसी क्रूर, अमानवीय और लंबे समय तक कष्ट देने वाली प्रक्रिया है।’ उन्होंने कोर्ट में बताया गया कि सेना में ऐसा विकल्प पहले से ही उपलब्ध है। हालांकि, सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा कि ऐसा विकल्प देना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। याचिका में मांग- दूसरे तरीके अपनाने चाहिए सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सोनिया माथुर ने तर्क दिया कि कैदियों को विकल्प देना एक नीतिगत फैसला है। वहीं, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वर्तमान फांसी की प्रक्रिया में कैदी को लंबे समय तक दर्द और पीड़ा झेलनी पड़ती है। याचिकाकर्ता ने कहा- इसकी जगह घातक इंजेक्शन, फायरिंग स्क्वाड, इलेक्ट्रोक्यूशन या गैस चैम्बर जैसी विधियां अपनाई जा सकती हैं, जिनसे व्यक्ति कुछ ही मिनटों में मर सकता है। फांसी से मौत में लगभग 40 मिनट तक का समय लग सकता है। अमेरिका के 50 राज्यों में से 49 में इंजेक्शन का इस्तेमाल याचिकाकर्ता ने बताया कि अमेरिका के 50 में से 49 राज्यों में घातक इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है। याचिका में मांग की गई थी कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 354(5) को असंवैधानिक घोषित किया जाए, क्योंकि यह अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) का उल्लंघन करती है। गियान कौर बनाम पंजाब राज्य के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के भी विपरीत है। साथ ही, याचिका में यह भी मांग की गई कि सम्मानजनक मृत्यु की प्रक्रिया को भी अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी जाए। ————————————- ये खबर भी पढ़ें… फांसी से मौत की सजा दिए जाने पर भयंकर दर्द:सुप्रीम कोर्ट इसे क्यों बदलना चाहता है; दुनिया में मृत्युदंड के दूसरे तरीके क्या हैं? सजा-ए-मौत और फांसी, भारत में ये दोनों शब्द एक-दूसरे के पर्यायवाची हो गए हैं। जिस भी शख्स को मौत की सजा होती है, उसे फांसी के फंदे पर लटकाया जाता है। सुप्रीम कोर्ट इस दर्दनाक तरीके को बदलना चाहता है। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि क्या फांसी के बजाय मौत की सजा देने का कोई दूसरा तरीका हो सकता है, जो लटकाने वाले तरीके से कम दर्दनाक हो। पूरी खबर पढ़ें…


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