यह दिवाली खुशियों की दिवाली होनेवाली है। उन बच्चियों के लिए जिनका विवाह उनके घर वालों ने उनकी मर्जी के बगैर तय कर दिया है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (एनएफएचएस-5) की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 32.30 प्रतिशत बाल विवाह हो रहे हैं। रांची में यह 20.90 प्रतिशत है। यानि रांची में होनेवाली हर 100 शादियों में से 21 शादियां बाल विवाह है। शहर का एक एनजीओ सिंदवाइर टोला ग्रामोदय विकास विद्यालय संस्था (एसजीवीवी) दिवाली से इस कुरीति के खिलाफ अभियान की शुरुआत कर रहा है। यह अभियान 26 जनवरी, 2026 तक चलेगा। एसजीवीवी इसके लिए समाज कल्याण विभाग के साथ मिलकर काम करेगा। सरकारी अधिकारियों से सहयोग लेगा और उनका मार्गदर्शन प्राप्त करेगा। दिवाली पर संस्था इसकी शुरुआत जन जागरुकता कार्यक्रम से करेगी। इसके अलावा अलग-अलग स्कूलों में वर्कशॉप लगा कर बच्चों को बाल विवाह के खिलाफ जागरुक करेगी। स्कूलों को भी कक्षा 6 से 12वीं तक के छात्रों को बाल विवाह को लेकर जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने की अपील की जाएगी। वॉल राइिंटंग और आकर्षक स्लोगन के माध्यम से लोगों को इसके दुष्प्रभाव बताए जाएंगे। दबाव हो तो प्रशासन को सूचना दें : निदेशक समाज कल्याण निदेशक किरण कुमारी पासी ने कहा कि अगर बच्चों पर शादी का दबाव डाला जाता है तो वे बिना झिझक प्रशासन तक पहुंचें। उनकी पढ़ाई और देखभाल की पूरी व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए चाइल्ड मैरेज प्रोविजन अफसर बनाए गए हैं, जिनमें डीसी, एसडीओ, बीडीओ, सीओ, सीडीपीओ, पंचायत सचिव समेत कई अधिकारियों को शामिल किया गया है। निदेशक ने कहा कि बाल विवाह आज के समाज की सबसे बड़ी कुरीति है, जिसे समाप्त किया जाना जरूरी है। सभी धर्मों के लोगों को जोड़ा जाएगा अभियान से संस्था ने अपने इस अभियान से जिला प्रशासन को भी जोड़ने का निर्णया लिया है। अपील जारी कर विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहित वर्ग जैसे पंडित, मौलवी और पादरियों को बाल विवाह में किसी भी तरह की मदद न करने को कहा जाएगा। विवाह में सेवाएं देने वाले अन्य लोग जैसे बैंड वाले, मैरेज हॉल वाले और कैटरर्स को स्पष्ट हिदायत दी जाएगी कि बाल विवाह में किसी भी तरह की मदद गैरकानूनी है और इसके लिए उन पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। संस्था ने जिले के तीन प्रखंडों ओरमांझी, मांडर और बेड़ो में पिछले 2 सालों में लगभग 900 बाल विवाह को रोका है। गांवों में अभी भी बाल विवाह का चलन है, लेकिन जागरुकता भी आई है। 4 जिलों में बढ़ा बाल विवाह… एनएचएफएस-5 की रिपोर्ट बताती है कि पिछले सर्वेक्षण की तुलना में जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज और सिमडेगा में बाल विवाह का प्रतिशत बढ़ा है। इसमें सबसे अधिक बढ़ोतरी जामताड़ा में दर्ज की गई है। यहां 2015-16 में जहां यह औसत 43.90 प्रतिशत था, वहीं अब बढ़ कर 50.50 प्रतिशत हो गया है। इसी तरह पाकुड़ में 2.30 प्रतिशत, साहिबगंज में 2.70 प्रतिशत और सिमडेगा में 1.30 प्रतिशत बाल विवाह की दर बढ़ी है। हालांकि एनएचएफएस-4 के मुकाबले एनएचएफएस-5 के अनुसार रांची में बाल विवाह की दर में कमी आई है। एनएचएफएस-4 के हिसाब से प्रति 100 शादियों में करीब 28 शादियां बाल विवाह थी। वहीं एनएचएफएस-5 के अनुसार प्रति 100 शादियों में करीब 21 शादियां ही बाल विवाह थी। पढ़ने-लिखने की उम्र में जिन बच्चियों का जबर्दस्ती कराया जा रहा विवाह, उन्हें मिलेगी नई जिंंदगी
वॉल राइटिंग और स्लोगन से बाल विवाह के खिलाफ चलेगा अभियान
