‘सही तथ्यों को छिपाकर कानून का सहारा लेने की कोशिश’:प्रशांत किशोर ने अशोक चौधरी के नोटिस का दिया जवाब, 100 करोड़ की मानहानि का था पत्र

‘सही तथ्यों को छिपाकर कानून का सहारा लेने की कोशिश’:प्रशांत किशोर ने अशोक चौधरी के नोटिस का दिया जवाब, 100 करोड़ की मानहानि का था पत्र
Share Now

पटना में जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के मानहानि के नोटिस का करारा जवाब दिया है। अशोक चौधरी की ओर से भेजे गए 100 करोड़ की मानहानि के नोटिस के जवाब में प्रशांत किशोर की ओर से उनके अधिवक्ता देवाशीष गिरि ने शनिवार को नोटिस को पूरी तरह से निराधार और राजनीतिक रूप से प्रेरित करार दिया। पार्टी के प्रदेश महासचिव किशोर कुमार ने बताया कि अशोक चौधरी को भेजे गए जवाब में कहा गया है कि उन्होंने गलत तरीके से सही तथ्यों को छिपाकर कानून का सहारा लेने की कोशिश की है ताकि जनता के बीच उनके खिलाफ उठ रहे सवालों को दबाया जा सके। शांभवी की आय कम थी कहा कि उदाहरण के तौर पर योगेंद्र दत्त की ओर से साल 2021 में अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को जिन प्लॉट की बिक्री की गई, उनकी डीड (संख्या-2705) में स्पष्ट लिखा गया कि योगेंद्र दत्त को 34.14 लाख रुपए चेक, डिमांड ड्राफ्ट और कैश के माध्यम से दे दिया गया है। अब वो एक पैसा मांगने के हकदार नहीं हैं। सवाल है कि यह रकम किस चेक और डिमांड ड्राफ्ट से दी गई, इसकी जानकारी भी नहीं है। तब शांभवी की उम्र सामान्य जानकारी में 23 साल की थी और वो किसी भी प्रोफेशन में नहीं थी। जून 2024 में उनके सांसद बनने के बाद जब अप्रैल 2025 में 25 लाख रुपए योगेंद्र दत्त को दिए गए, वो भी शांभवी चौधरी की अपनी इनकम नहीं मानी जा सकती। वजह कि इस अंतराल में सांसद के तौर पर उनकी आय इससे कम थी। जवाब में विस्तार से उन जमीनों और इमारतों का ब्योरा किशोर कुमार ने बताया कि दिए गए जवाब में विस्तार से उन जमीनों और इमारतों का ब्योरा दिया गया है जो कथित तौर पर चौधरी की पत्नी, बेटी शांभवी चौधरी (वर्तमान सांसद) और दामाद के परिवार के नाम पर खरीदी गईं। इन सौदों में भुगतान के तरीकों और घोषित रकम में गंभीर विसंगतियां मिली हैं और कई सौदों की बाजार मूल्य से काफी कम कीमत दिखाकर रजिस्ट्री कराई गई है। स्थानीय लोगों और स्रोतों से प्राप्त जानकारी और सार्वजनिक दस्तावेजों से यह स्पष्ट है कि ये सभी संपत्तियां दरअसल चौधरी की ही हैं और इन्हें परिवारजनों व संबंधित न्यास के नाम पर खरीदा गया है। आरोप जनहित में उठाए गए मुद्दे हैं किशोर कुमार ने कहा कि जवाब में यह भी लिखा गया है कि अशोक चौधरी वर्ष 2000 में कांग्रेस से विधायक बने और बाद में उसी कांग्रेस के विधायकों के साथ राजद को समर्थन देकर मंत्री पद हासिल किया। यह कदम उनके अवसरवाद और राजनीतिक चरित्र को उजागर करता है। साथ ही कांग्रेस से निलंबन के बाद जदयू में शामिल होना उनकी दल-बदल की राजनीति का उदाहरण है। इस जवाब में कहा गया है कि प्रशांत किशोर के द्वारा लगाए गए आरोप दरअसल जनहित में उठाए गए मुद्दे हैं और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है। लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों के कार्यों की समीक्षा करना जनता और राजनीतिक कार्यकर्ताओं का अधिकार है। इसे दबाने के लिए कानूनी नोटिस भेजना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।


Share Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *