आदिवासी अस्तित्व बचाओ मोर्चा ने कुड़मी समुदाय की मांग के खिलाफ पांच अक्टूबर को रांची में विशाल महाजुटान की घोषणा की है। मोर्चा के आदिवासी अगुवाओं ने गुरुवार को एक प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी। सामाजिक कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग ने आरोप लगाया कि आजसू और जेएलकेएम जैसी राजनीतिक पार्टियां कुड़मी समाज को गुमराह कर 2029 में सत्ता पर काबिज होने की कोशिश कररही हैं। उन्होंने कहा कि 1872 से 1931 तक की जनगणनाओं में कुड़मी को क्षेत्रीय समुदाय के रूप में दर्ज किया गया था। अनुसूचित जनजातियों की सूची एक दिसंबर 1948 से लागू हुई। उन्होंने दावा किया कि कुड़मी समाज के 81 गोत्र हैं, लेकिन उनके पास टोटेम नहीं है। इसीलिए उन्हें आदिवासी परंपराओं से जोड़ना गलत है। मौके पर अजय तिर्की, सुषमा बिरूली, लोड़ेया सोरेंग, रूपचंद तिर्की, अशोक लोहरा, प्रेमचंद मुर्मू, वाल्टर कंडुलना आदि मौजूद थे। इधर, आदिवासी कुड़मी समाज 3 को जमशेदपुर में करेगा बैठक आदिवासी कुड़मी समाज की 3 अक्टूबर को जमशेदपुर में बैठक होगी। जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। यह जानकारी देते हुए संगठन के वरीय उपाध्यक्ष छोटे लाल महतो ने बताया कि रेल टोका आंदोलन के दौरान बंगाल के कोटशिला में बंगाल पुलिस के द्वारा महिलाओं पर लाठी चार्ज एवं अत्याचार किया गया था। फर्जी केस करके लोगों को जेल भेजा गया, जो अब भी जारी है। इसके खिलाफ पुरुलिया में पांच अक्टूबर को विशाल प्रदर्शन किया जाएगा। पहले कुड़मी यह तय करें कि वे किनके वंशज : अजय तिर्की अजय तिर्की ने कहा कि कुड़मी (महतो) पहले यह तय करें कि वे किनके वंशज हैं। ये लोग खुद को कभी लव-कुश का वंशज बताते हैं, तो कभी शिवाजी का। अब जबरन आदिवासी बनने का दिखावा कर रहे हैं। तिर्की ने सवाल उठाया कि जब आजसू नेता चंद्र प्रकाश चौधरी संसद में कुड़मी को ओबीसी दर्जे के लिए आवाज उठाते हैं, तो रेल रोको आंदोलन का औचित्य क्या है? उन्होंने कहा कि कुड़मी समाज की भाषा, संस्कृति और परंपराएं आदिवासियों से मेल नहीं खातीं। आदिवासी बचाओ मोर्चा की बैठक आज : आदिवासी बचाओ मोर्चा की एक अहम बैठक 26 सितंबर को सिरम टोली सरना स्थल में होगी। सुबह 11 बजे से होनेवाली इस बैठक में सभी सामाजिक अगुवाओं को आमंत्रित किया गया है। यह जानकारी आदिवासी जनपरिषद के अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा ने दी।
कुड़मी समुदाय की मांग के खिलाफ 5 को मोरहाबादी में आदिवासी महाजुटान
