जौनपुर का मुर्की गांव इस समय चर्चा में हैं। दावा है- यहां 200 से ज्यादा रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक हैं। मामले की शिकायत डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से की गई। इसके बाद प्रशासन ने 3 सदस्यीय टीम का गठन कर दिया है। 17 अक्टूबर तक टीम को अपनी रिपोर्ट देनी है। मामले की हकीकत जानने दैनिक भास्कर की टीम जिला मुख्यालय से 36 किमी दूर केराकत तहसील पहुंची। तहसील से करीब 10 किमी दूरी पर मुर्की गांव बसा है। यहां गांव की आबादी से हटकर मदरसा के पास एक मोहल्ले में करीब 100 लोग पन्नी की झोपड़ियां बनाकर रह रहे हैं। केवल एक मकान पक्का बना है। यहां रहने वाले लोगों से हमने बातचीत की। कब से वह लोग यहां आकर रह रहे हैं, बाहरी होने का आरोप कैसे लगा। इसके अलावा शिकायत करने वाले भाजपा मंडल अध्यक्ष का पक्ष भी जाना। पूरी रिपोर्ट पढ़िए… मुर्की गांव की आबादी करीब 3600 है, जिसमें 1900 वोटर हैं। वोटिंग में हिंदुओं की संख्या करीब 800 की है। वहीं जिन लोगों पर बाहरी होने का आरोप है, उनके 50 वोट हैं। गांव मुस्लिम बाहुल्य है और यहां के प्रधान मोहम्मद सादिक हैं। भाजपा के पूर्व विधायक दिनेश चौधरी ने तहसील प्रशासन और ग्राम प्रधान पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके अलावा भाजपा के मुफ्तीगंज मंडल इकाई के अध्यक्ष प्रदीप प्रधान पासी ने भी शिकायत की है। आरोप है कि राजनीतिक लाभ के लिए प्रधान ने बाहरी लोगों को यहां बसाया है। पूर्व विधायक ने शिकायत में क्या कहा… दिनेश चौधरी ने बताया- एक महीने पहले कुछ बाहरी लोगों के गांव में रहने की जानकारी हुई थी। मैंने तुरंत SDM को जांच के लिए कहा था। इसके बाद लेखपाल और VDO की टीम गांव गई और छानबीन की। टीम ने संदिग्ध लोगों को 2 दिन के अंदर परिवार रजिस्टर की नकल प्रस्तुत करने को कहा था, जिससे उनकी पहचान और निवास स्थान की पुष्टि हो सके। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान ने अपने राजनीतिक स्वार्थ और वोटबैंक मजबूत करने के उद्देश्य से इन बाहरी लोगों को गांव में बसाया है। ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन को इसकी जानकारी दी, लेकिन प्रधान की प्रभावशाली पकड़ के कारण कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। भाजपा मंडल अध्यक्ष बोले- अवैध तरीके से रह रहे
भाजपा के मुफ्तीगंज मंडल इकाई के अध्यक्ष प्रदीप प्रधान पासी ने कहा, गांव में 200 से ज्यादा रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि करीब एक महीने पहले की गई जांच-पड़ताल में यह बात सामने आई कि गांव में कुछ लोग अवैध रूप से रह रहे हैं। संगठन के कुछ साथियों ने सूचना दी थी कि कुछ बाहरी लोग हैं, जो स्थानीय नहीं हैं। यह लोग जब आपस में बात करते हैं तो वह समझ नहीं आती है, इससे शंका हुई। इसकी जांच करवाने के लिए हमने प्रशासन से शिकायत की थी। पहले ये लोग पेसारे गांव में आकर बसे थे, लेकिन वहां के लोगों ने इसका विरोध किया था। विरोध के बाद ये लोग मुर्की गांव चले गए, जहां कुछ स्थानीय लोगों ने इन्हें पनाह दी और ये यहीं पर बस गए। प्रशासन की तरफ से जांच की जा रही है और हमें उम्मीद है कि जांच निष्पक्ष और सटीक होगी। प्रदीप प्रधान पासी ने चेतावनी दी है कि जांच में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने बताया कि हमने डीएम और एसडीएम के बाद डिप्टी सीएम बृजेश पाठक से भी शिकायत की थी। अब आरोपों पर ग्राम प्रधान ने क्या कहा
ग्राम प्रधान मोहम्मद सादिक ने बताया, लोगों को बसाने का आरोप बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि वे इन लोगों के बारे में कुछ नहीं जानते हैं। इन लोगों के बसने से पहले वे विदेश में रहते थे। प्रधान ने यह भी स्पष्ट किया कि इनके राशन कार्ड, आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बनवाने में उनकी कोई भूमिका नहीं है। परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब
इसके बाद हम उस मोहल्ले में पहुंचे, जहां यह परिवार रह रहे हैं। यहां करीब 25 महिला और 25 पुरुष के अलावा इनके 50 बच्चे हैं। रहने के लिए सभी ने पन्नियों से तिरपाल डाल रखा है। पक्के मकान के नाम पर केवल एक घर है। परिवारों की आर्थिक स्थिति और रहन-सहन काफी खराब है। मजदूरी की कमाई से खरीदी जमीन
झोपड़ियों में ही किसी ने चारपाई डाल रखी है तो किसी ने जमीन पर सोने का इंतजाम किया है। हमने लोगों से बात करने की कोशिश की तो पहले तो उनमें गुस्सा था। परिवारों का कहना है कि हम इसी देश के रहने वाले लोग हैं, जबरन हमें हमारे घरों से भगाने के लिए बाहरी होने का आरोप लगाया जा रहा है। हम तो ईंट-भट्ठों में मजदूरी करने के लिए आए थे। कुछ दिन में और लोग आए तो यहीं पर रुक गए। जमीन पर कब्जे का आरोप है, जबकि हमने इसका बैनामा कराया है। बाहरी कहने पर छलका दर्द, बोले- हम भारतीय
हमसे बात करने को सबसे पहले मोहम्मद रोजन राजी हुए। उन्होंने कहा कि हम लोग घोड़ा-खच्चर का व्यापार करते हैं। हमारा काम घोड़े खरीदना और बेचना है। इसके अलावा, हम लोग भट्टे पर भी काम करते हैं। पहले हम खाद और मिट्टी लादने का काम करते थे। जिस जमीन पर हम लोग अभी रह रहे हैं, वह जमीन हमने साल 2013 में खरीदी थी। मुश्ताक खान ने यह जमीन हम लोगों को दिलाई थी। हम लोगों ने उनके भट्टे पर 8 से 10 साल तक काम किया था। हमने अपना पैसा इकट्ठा करके जमीन खरीदी। हम लोग उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर ज़िले के अही गांव के रहने वाले हैं। पहले हम वहीं काम कर रहे थे, फिर भट्टा मालिक मुश्ताक ख़ान हमें अपने यहां काम पर ले आए। हमारे काम को देखकर हम यहीं बस गए। हम लोग अपने शादी-ब्याह भी यहीं करते हैं। दो लड़कियों की शादी बाराबंकी में हुई है। एक मेरी बेटी और दूसरी मेरी साली की बेटी है। यह बात पूरे गांव वालों को मालूम है। पहले हमारी संख्या लगभग 50 थी, लेकिन अब बच्चे बड़े हो गए हैं। भले ही कुछ लोग हम पर आरोप लगा रहे हों, लेकिन हम यहीं भारत के रहने वाले हैं। हम लोग भारतीय हैं। पहचान पत्र और आधार कार्ड बने
वहीं पर बैठे मोहम्मद गब्बर ने कहा कि 2013 में यहां आए थे। हम लोग आपस में ही शादी-ब्याह कर लेते हैं। हमारे रोजगार का मुख्य साधन खच्चरों से मिट्टी लादने का काम है, उसके बाद हम लोग भट्टे पर काम करते हैं। हमने वर्ष 2013 में इस ज़मीन की रजिस्ट्री कराई थी। इसके अलावा, हमारे पहचान पत्र और आधार कार्ड बनवाने में हमें कोई दिक्कत नहीं हुई है। महिला बोली- हम अब तक घर नहीं बना पाए
एक महिला आसमा ने बताया कि हम पहले मिर्जापुर के रहने वाले थे। भट्ठे का मालिक मुश्ताक हमें यहां बुला लाया था और हम लोग यहां आकर काम करने लगे। जो लोग यहां रह रहे हैं वे हमारे भतीजे-भतीजियां हैं। हमने लगभग 13–14 बिस्वा जमीन खरीदी है। बाद में हमसे कुछ लापरवाही हुई और हम और हमारे घर वाले व्यापार में लग गए। जमीन उसी हालत में पड़ी हुई है और हम लोग अभी तक घर नहीं बना पाए हैं। हमारे बच्चों को मारने के लिए दौड़ाते हैं
आसमा कहती हैं, हमने मेले में भी व्यापार किया है। जब से हमारे यहां घर बने हैं, तो मोहल्ले के कुछ लोग सोचते हैं कि हम लोग यहां से चले जाएं। वे हम पर झूठे मामले और आरोप लगाते हैं। अगर हमारे लड़के जानवरों के चारे लेने जाएंगे तो वे उन्हें मारने के लिए दौड़ा लेते हैं, अगर हमारी लड़कियां बाहर जाएंगी तो उनसे छेड़खानी करेंगे। अगर हम पुलिस को प्रार्थना-पत्र देंगे, तो उससे पहले ये लोग जाकर प्रार्थना-पत्र दे देते हैं और उन पर उल्टे इल्ज़ाम लगा देते हैं। वे यह भी कहते हैं कि हम लोग बांग्लादेश से हैं और इस तरह के आरोप लगाते हैं। हम लोग भारत के नागरिक हैं। हम सरकार से अपनी गुहार लगाएंगे और चुनाव में मतदान भी करते हैं। वहीं, दूसरी महिला शाहजहां ने बताया कि हम लोग गरीब आदमी हैं और अपने जीवनयापन के लिए काम-काज करते हैं। हम लोग यहीं पर काम करते हुए यहीं की ज़मीन लेकर अपना घर बना लिए हैं। भट्ठे पर काम करते हुए हमने धीरे-धीरे अपना घर तैयार करवाया। हम लोग भारतीय नागरिक हैं और चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग भी करते हैं। हम लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं, इसलिए आपस में ही शादी-ब्याह कर लेते हैं। ———————————— यह खबर भी पढ़ें… बागपत में चिताओं से अस्थियां गायब हो रहीं:8 महीने से गांववाले परेशान; क्या दिवाली पर तंत्र–मंत्र के लिए तांत्रिक चुरा रहे यूपी में बागपत के हिम्मतपुर सूजती गांव में लोग डरे हुए हैं। श्मशान घाट से अस्थियां गायब हो रही हैं। कुछ दिन पहले एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार हुआ। परिवार जब तीसरे दिन अस्थियां लेने गया, तो चिता के पास दीपक जल रहा था, उपले सुलग रहे थे और तंत्र-मंत्र का सामान बिखरा हुआ था। अस्थियां गायब थीं। पिछले आठ महीनों से श्मशान में ऐसी ही घटनाएं हो रही हैं। प्रशासन का कहना है कि ऐसी शिकायतें मिल रही हैं, हमारी टीम जांच कर रही है। पढ़ें पूरी खबर…
जौनपुर में 200 रोहिग्या-बांग्लादेशी परिवारों का सच क्या है?:सबके पास आधार-वोटर कार्ड, भाजपा नेता बोले- वोट के लिए बसाया गया
