बलवंत राजोआणा से पटियाला जेल में मिले SGPC प्रधान हरजिंदर:कल SC में सुनवाई, 2012 में मिली थी फांसी की सजा

बलवंत राजोआणा से पटियाला जेल में मिले SGPC प्रधान हरजिंदर:कल SC में सुनवाई, 2012 में मिली थी फांसी की सजा
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शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी पटियाला जेल में बंद पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआणा से मुलाकात करने पहुंचे। प्रधान धामी ने दावा किया था कि 15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में राजोआणा को दिए गए मृत्युदंड को उम्र कैद में बदलने की याचिका पर सुनवाई नहीं होगी। लेकिन, दूसरी तरफ वकील ने भी आज राजोआणा से मुलाकात की है। राजोआणा से मुलाकात कर जेल से निकले वकील ने जानकारी दी कि वे जेल में ठीक ठाक हैं। जेल में सिर्फ उनकी ही बातचीत राजोआणा से हुई। कल केस की तारीख है, इसलिए क्या बातचीत हुई, इसे वे सार्वजनिक नहीं कर सकते। सिर्फ यही कहेंगे कि राजोआणा चढ़दी कलां में हैं। उन्होंने लोगों को संदेश भेजा है कि अमृत छको और गुरसिख जीवन अपनाओ। प्रधान धामी आज तकरीबन 10.30 बजे पटियाला जेल में पहुंचे। उनके साथ एसजीपीसी सदस्य भगवंत सिंह सियाल, सुरजीत गढ़ी, भाग सिंह और पूर्व सचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल भी थे। लेकिन एसजीपीसी और अकाली नेता बार-बार मांग कर रहे हैं कि अब राजोआणा के मामले में एक तरफा फैसला हो जाना चाहिए। राजोआणा की भी यही मांग श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार व एसजीपीसी प्रधान धामी आज से पहले भी कई बार राजोआणा से मुलाकात कर चुके हैं। मुलाकातों के बाद स्पष्ट किया था कि अब राजोआणा भी उनका एक तरफा फैसला सुनाने की मांग कर चुके हैं। लुधियाना में भाई के भोग पर पहुंचे राजोआणा ने कहा था- “31 मार्च 2012 को जब मुझे फांसी का आदेश दिया गया तो सिख समुदाय ने अपने घरों पर भगवा झंडे फहराए और एकजुट होकर मेरी फांसी रुकवाई। 12 साल बाद भी उनके मामले में कोई फैसला नहीं आया है। उन्होंने कहा कि वे इतने सालों से फांसी के फंदे में बंद हैं लेकिन मामले का फैसला नहीं हो रहा है।” उन्होंने कहा कि उन्होंने जो किया, वह अदालत में स्वीकार कर लिया है। उन्होंने मौत की सजा के खिलाफ कभी अपील नहीं की। बेअंत सिंह सहित 17 लोगों की हुई थी मौत 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में स्थित सचिवालय के बाहर बम धमाका हुआ था जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह सहित 17 लोग मारे गए थे। इस मामले में राजोआणा पर साजिश रचने के आरोप लगे थे और जुलाई 2007 में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी लेकिन राजनीतिक दबाव की वजह से उनकी मौत की सजा को टाल दिया गया था। राजोआणा की फांसी की तारीख 21 मार्च, 2012 तय की गई लेकिन इसके खिलाफ पंजाब में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए और उसे फांसी नहीं दी जा सकी। सिखों की धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने राजोआणा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका दायर की थी। जिस पर आज तक फैसला नहीं आया।


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