हजारीबाग पुलिस ने हार्डकोर माओवादी पूर्व जोनल कमांडर सुनील गंझू को गिरफ्तार किया है। उस पर विभिन्न थानों में 42 मामले दर्ज हैं। इसे ‘झारखंड का टेरर’ भी कहा जाता था और यह राज्य के बहुचर्चित बेलतू नरसंहार मामले में भी संलिप्त था। सुनील गंझू 1990 से भाकपा माओवादी में सक्रिय था और 2018 में जेल से निकलने के बाद फिर से संगठन में शामिल होकर विभिन्न घटनाओं को अंजाम दे रहा था। वह भाकपा माओवादी के उत्तरी छोटानागपुर के रीजनल कमांडर सहदेव महतो और सब जोनल कमांडर नताशा को भी आश्रय देता था। अन्य संदिग्ध जंगल का लाभ उठाकर भागने में सफल रहे हजारीबाग एसपी अंजनी अंजन ने बताया कि गुप्त सूचना मिली थी कि जोराकाट में चार से पांच संदिग्ध व्यक्ति सक्रिय हैं। पुलिस ने घेराबंदी कर उन्हें पकड़ने का प्रयास किया, जिसमें एक व्यक्ति को झोले के साथ पकड़ा गया। अन्य संदिग्ध जंगल का लाभ उठाकर भागने में सफल रहे। पकड़े गए संदिग्ध से पूछताछ करने पर उसने अपना नाम सुनील गंझू बताया, जो मूल रूप से चतरा के पत्थलगड्डा का रहने वाला है। लेवी वसूलने के लिए क्षेत्र में आने की कही बात तलाशी में उसके झोले से नक्सली लेटर हेड और पर्चे बरामद किए गए। पूछताछ में उसने बताया कि वे चार से पांच की संख्या में संगठन के लिए काम करते हैं और हजारीबाग जिले में सक्रिय होकर कोल कंपनियों, ठेकेदारों और कोयला व्यापारियों से संगठन के विस्तार के लिए लेवी वसूलने आए थे। पुलिस के अनुसार, उसकी गिरफ्तारी से नक्सलियों को एक बड़ा झटका लगा है और इससे नक्सली संगठन की कमर टूट गई है। बेलतू में माओवादियों ने 13 लोगों की हत्या कर दी थी सुनील गंझू हजारीबाग क्षेत्र में सक्रिय नक्सलियों को सहायता पहुंचाता था। बेलतू नरसंहार में उसकी संलिप्तता थी, जिसमें 2001 में रांची से सटे हजारीबाग जिले के बेलतू में हथियारबंद माओवादियों ने 13 लोगों की हत्या कर दी थी। बताया जाता है कि ग्रामीणों का सिर काटने के बाद नक्सलियों ने उससे फुटबॉल खेला था। झारखंड बनने के बाद राज्य में सामूहिक हत्या की यह सबसे पहली घटना थी।
हजारीबाग में हार्डकोर नक्सली सुनील गंझू गिरफ्तार:42 मामले दर्ज, बेलतू नरसंहार में भी था शामिल; ‘झारखंड का टेरर’ नाम से था चर्चित
