सिंगर राजवीर जवंदा अब इस दुनिया में नहीं हैं। कल उनके पैतृक गांव में उनका अंतिम संस्कार हुआ। इसमें कई पंजाबी सिंगर, कलाकार और उनके प्रशंसक शामिल हुए। इनमें सूफी गायक सतिंदर सरताज भी थे, जिन्होंने संस्कार के बाद इस दर्द को एक पोस्ट में बयां किया। सरताज ने लिखा, ‘सोचा नहीं था, सजना, तेरे गांव पौना में इस तरह आना होगा। तेरी इस पारी को नमन है। वहीं, मीडिया से बातचीत ने उन्होंने बताया कि जब जवंदा अस्पताल में भर्ती थे, तो उनसे मिलने का मौका मिला था और 10 मिनट बिताए थे। सरताज ने अपनी पोस्ट में दो बातों का जिक्र किया है – 1. सरताज ने लिखा है कि कभी सोचा नहीं था, सज्जन, कि तेरे गांव इस तरह आना होगा… परिवार को देखकर दिल भर आया, लेकिन सोहणिया, तेरी महानता और कमाई का जलवा हज़ारों लोगों के चेहरों पर साफ़ देखा। 2. जब-जब किसी नेकदिल, सच्चे, निडर, साफ़ दिल और सपनों से भरे किसी पंजाबी नौजवान की कल्पना होगी, तो आंखों के सामने ‘राजवीर सिंह जवंदा’ का चेहरा अपने आप आ जाएगा! तेरी इस जिंदगी की पारी को नमन।
अस्पताल में दस मिनट बिताए थे साथ सरताज ने बताया कि कभी राजवीर से जिंदगी में मुलाकात नहीं हुई, फिर भी कैसी अजीब और गहरी सांझ बन गई है। जिंदगी में उससे कभी मिले नहीं, लेकिन आज उसके गांव तक पहुंचने का कारण बना है। वह सच्चे पंजाबी थे। मैं नमन करता हूं उस धरती को, जिसने ऐसा पुत्र जन्मा। राजवीर को उम्रों तक याद रखा जाएगा। जब मीडिया ने उसने सवाल किया पहले राजवीर के पिता चले गए और उनकी मौत हो गई । इस पर उन्होंने कहा कि जब लोग अरदास करते है। कईया का गुस्सा भी हो जाता है कि परमात्मा को यह अरदासे सुननी चाहिए थी। जब वह अस्पताल में थे। मुझे परिवार ने उनसे मिलने का मौका दिया। मै दस मिनट तक वहां पर रुका। मैं उनके बैड के पास बैठा और जाप किया। मैंने उसे देखा कि छह फुट का हमाना जवान था। मैंने उनकी वाइफ को आकर अच्दा सीना धड़कता है,वाहेगुरू मेहर करेंगे। पता नहीं उन्हें क्या मंजूर होगा। परमीश बोले- हमें जिंदगी जीना सिखा गया सिंगर परमीश वर्मा ने कहा कि राजवीर भाई को केवल RIP कहकर विदा नहीं कर सकते हैं। अपने व्यवहार, कला, मेहनत, जुनून, जिंदा दिली, प्यार और अदब से जो जिंदगी जीकर गया है, वह हम सबके लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। काश यह किसी सपने की तरह झूठ हो जाए, और भाई का हंसता हुआ चेहरा मुड़ आ जाए। वाहेगुरु अगली बार जग को राजवीर का और लंबा मौक़ा देना। वीर, तू जहां भी हो, हंसता रह। तेरे से प्रेरणा रहती उम्र तक दुनिया लेती रहेगी। वाहेगुरु, वाहेगुरु। तू शायद बहुतों से लंबी जिंदगी जीकर गया है, जाता-जाता हमें जिंदगी जीना सिखा गया।
राजवीर जवंदा के संस्कार के बाद सरताज का छलका दर्द:बोले-सजना सोचा नहीं था तेरे गांव ऐसे आना होगा; परमीश ने कहा-हमें जीना सिखा गया
