बारिश का पीक सीजन अब लगभग खत्म हो चुका है। अब मानसून कुछ दिनों का मेहमान है। इस वर्ष सिकिदरी हाइडल से बिजली उत्पादन अब संभव नहीं लग रहा है। जबकि रुक्का डैम फुल है और लगातार बारिश भी जारी है। अगर बिजली उत्पादन होता तो गेतलसूद के पानी का भरपूर इस्तेमाल किया जा सकता था। डैम में पानी का भंडारण लगातार होता रहता है। इसलिए डैम का पानी फिलहाल बेकार बहाना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार, कम से कम इस पीक सीजन में 300 बिलियन यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन हो सकता था। उत्पादन नहीं होने से अब करीब 100 करोड़ रुपए की बिजली के नुकसान का अनुमान है। जेबीवीएनएल को प्लांट से मिलती है सस्ती बिजली प्लांट में 65-65 मेगावाट की दो यूनिट हैं। यानि 130 मेगावाट की क्षमता है। इससे उत्पादित बिजली सबसे सस्ती, लगभग दो रुपए प्रति यूनिट मिलती है। इस बिजली का पीक ऑवर में इस्तेमाल होता है। एक माह में पूरा होगा काम क्या आ रही है समस्या सिकिदरी हाइडल प्रबंधन के अनुसार, सिविल का कुछ काम भी बचा हुआ है। जिसके लिए दो दिनों पूर्व निविदा आमंत्रित की गई है। इसमें डैमेज पावर चैनल का काम किया जाएगा। सिविल कार्य किए जाएंगे। यानि अक्टूबर तक काम पूर्ण होने की संभावना कम ही लग रही है। मार्च में ही आई थी समस्या, अब तक दुरुस्त नहीं हाइडल पावर प्लांट में इनटेक वे का कांटेक्ट कॉलम टूट गया था। पूरा सिस्टम हार्ड रॉक्स पर खड़ा है, जिसकी आरसीसी भी होनी है। पानी इसमें ही जाता है। पूरे ऑपरेशन-मेंटेनेंस में करीब 20 से 25 लाख रुपए खर्च होना है। यह खराबी मार्च में आई थी, लेकिन इसके पीछे तकनीकी कारण बताकर प्रोजेक्ट बनवाने, टेंडर निकालने में पांच महीने गुजर गए हैं। अब काम शुरू हुआ है। बिजली के लिए डैम के 25 फीट लेवल तक पानी मिलता है जल संसाधन विभाग और ऊर्जा विभाग के समझौते के अनुसार, डैम का लेवल 25 फीट रहने तक सिकिदरी हाइडल को बिजली उत्पादन के लिए पानी दिया जाना है। इस बार डैम में 31 फीट से ज्यादा पानी है। मगर पीक सीजन में इस पानी का उपयोग सिकिदरी हाइडल पावर प्रोजेक्ट नहीं कर सका। जिसका नुकसान न केवल जेबीवीएनएल को हुआ, बल्कि बारिश का पानी यूं ही बेकार बहाया जा रहा है।
बारिश का पीक सीजन समाप्त, नहीं हो सका मरम्मत कार्य; इस वर्ष नहीं हो सकेगा सिकिदरी हाइडल पावर प्लांट से बिजली का उत्पादन
