सीरिया 58 साल बाद UN महासभा में शामिल होगा:राष्ट्रपति अल-शरा न्यूयॉर्क पहुंचे; अमेरिका से रिश्ते सुधारने की कोशिश करेंगे

सीरिया 58 साल बाद UN महासभा में शामिल होगा:राष्ट्रपति अल-शरा न्यूयॉर्क पहुंचे; अमेरिका से रिश्ते सुधारने की कोशिश करेंगे
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सीरिया 58 साल में पहली बार यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली (UNGA) में शामिल होगा। इसके लिए सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा रविवार को न्यूयॉर्क पहुंचे हैं। वे यहां 80वीं महासभा के सत्र में हिस्सा लेंगे। ये 23 सितंबर से 29 सितंबर, 2025 तक चलेगा। इससे पहले 1967 में तत्कालीन सीरियाई राष्ट्रपति नूर अल-दीन अल-अतासी ने UNGA में हिस्सा लिया था। इसके बाद सीरिया में असद परिवार (हाफिज असद और बशर असद) का 50 साल लंबा शासन रहा। पिछले साल दिसंबर में अल-शरा ने असद परिवार का तख्तापलट किया और अंतरिम राष्ट्रपति बने। अब सीरियाई सरकार अमेरिका और पश्चिमी देशों से रिश्ते सुधारने में जुटी है। इजराइल के साथ संबंध सुधारने पर जोर सीरिया और इजराइल के रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण हैं। असद के पतन के बाद इजराइल ने सीरिया पर हवाई हमले बढ़ा दिए थे। इजराइल ने UN शांति सैनिकों की निगरानी वाला गोलन हाइट्स बफर जोन पर भी कब्जा कर लिया। इस बैठक में अल-शरा इजराइल के साथ अपने रिश्तों को सुधारने पर जोर दे सकते हैं। अल-शरा ने हाल ही में कहा था की वो 1974 के डिसएंगेजमेंट समझौते को फिर शुरू करना चाहते हैं। पिछले हफ्ते उन्होंने कहा कि जल्द ही कोई डील हो सकती है। लेकिन इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे ‘भविष्य की बात’ बताकर टाल दिया। 31 मई 1974 को इजराइल और सीरिया के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (UNDOF) की स्थापना की गई थी और दोनों देशों के बीच एक बफर जोन (हाइट्स बफर) बनाया गया था। इसका मकसद इजराइल और सीरिया के बीच सैन्य गतिविधियों को रोकना और शांति बनाए रखना था। 25 साल बाद अमेरिका प्रेसिडेंट से मिले थे सीरियाई राष्ट्रपति सऊदी अरब में मई में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अल-शरा से मुलाकात की थी। 25 साल के बाद यह पहला मौका था जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने सीरियाई राष्ट्रपति से मुलाकात की हो। इस दौरान ट्रम्प ने सीरिया पर लगे कई प्रतिबंध हटाने का आदेश दिया था। दरअसल, अमेरिका ने असद सरकार को कमजोर करने के लिए पैसे के लेनदेन समेत तेल, गैस, बैंकिंग और सैन्य सामान पर रोक लगा दी थी। इस प्रतिबंध ने सीरिया को दुनिया से आर्थिक, राजनीतिक और तकनीकी रूप से काफी हद तक काट दिया गया था। अमेरिकी संसद ने 2019 में सीरिया पर सख्त प्रतिबंधों के लिए कानून बनाया था। हालांकि इस कानून में यह प्रावधान था कि अमेरिकी राष्ट्रपति राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए इन प्रतिबंधों को हटा सकते हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प ने इसी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए सभी बैन हटा दिए। सीरियाई सरकार ने अपने ही लोगों को मारा, US ने बैन लगाया था अमेरिका ने सीरिया पर सबसे ज्यादा प्रतिबंध 2011 में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद लगाए। तत्कालीन राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार ने लोगों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई की थी। इसमें हजारों नागरिक मारे गए। सरकार पर नागरिकों को मारने के लिए केमिकल हथियारों के इस्तेमाल का आरोप लगा, जिसकी दुनियाभर में निंदा हुई। अमेरिका ने असद सरकार पर हिजबुल्लाह जैसे संगठनों को समर्थन देने का आरोप लगाया। इसके अलावा सीरिया की नीतियों खासकर ईरान और रूस के साथ उसके गठजोड़ को भी अमेरिका ने पश्चिम एशिया में अस्थिरता की वजह माना और बैन लगाए। अल-जुलानी के नाम से जाना जाता था अल-शरा अहमद अल-शरा ने 2003 में मेडिकल की पढ़ाई छोड़ अल कायदा नेताओं के संपर्क में आया। उसे अमेरिकी सेना ने 2005 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल से छूटने के बाद अल-शरा ने अल कायदा की सीरिया शाखा जबात अल-नुस्र का गठन किया। 2016 में वह अल कायदा से अलग हो गया और हयात तहरीर अल-शाम (HTS) की स्थापना की। दिसंबर 2024 में बशर अल-असद के पतन के बाद जुलानी ने सत्ता संभाली। इसके बाद दुनिया को उसके असली नाम का पता चला। UNGA के बारे में जानिए, जहां अल-शरा शामिल होंगे… ——————————– ये खबर भी पढ़ें… इजराइल ने गाजा-हमास मुद्दे पर फ्रांस-ब्रिटेन को फटकारा: UN में कहा- इनके इराक-सीरिया में हमले जायज तो हमारा कतर पर हमला भी सही इजराइल के राजदूत डैनी डैनन ने शुक्रवार को UN महासभा में कतर में हमास नेताओं पर इजराइली हमले का बचाव किया और फ्रांस-ब्रिटेन की आलोचना की। डैनन ने कहा कि 2014 से 2022 तक फ्रांस ने माली, चाड, बुर्किना फासो और मॉरिटानिया में आतंकवादियों पर हमले किए। पूरी खबर पढ़ें…


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