भूकंप में तालिबानी फरमान बना महिलाओं की आफत:पुरुष राहत कर्मियों ने छुआ नहीं, 36 घंटे मलबे में फंसी रहीं; पड़ोसी गांव की महिलाओं ने निकाला

भूकंप में तालिबानी फरमान बना महिलाओं की आफत:पुरुष राहत कर्मियों ने छुआ नहीं, 36 घंटे मलबे में फंसी रहीं; पड़ोसी गांव की महिलाओं ने निकाला
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अफगानिस्तान के पूर्वी पहाड़ी इलाकों में रविवार को आए 6 तीव्रता वाले भूकंप ने तबाही मचाई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 2,200 से ज्यादा लोगों की मौत और 3,600 से ज्यादा घायल हुए हैं। राहत संगठनों का कहना है कि इस आपदा में सबसे ज्यादा बोझ महिलाओं और बच्चों पर पड़ा है, जिन्हें बचाव के दौरान सबसे पीछे छोड़ दिया गया। वॉलेंटियर ताहजीबुल्लाह मुहाजिब ने मजार दारा में देखा कि पुरुष रेस्क्यूकर्मी मलबे में फंसी महिलाओं को निकालने से हिचकिचा रहे थे। मुहाजिब ने कहा, ‘ऐसा लगा जैसे महिलाएं गायब हैं। पुरुष और बच्चों का इलाज हो रहा था, लेकिन महिलाएं चुपचाप एक कोने में बैठी थीं।’ तालिबान के सख्त नियमों के तहत गैर-परिवार पुरुष महिलाओं को छू नहीं सकते। नतीजतन महिलाएं कई घंटों तक मलबे में फंसी रहीं, जब तक पड़ोसी गांवों से महिलाएं आकर उन्हें बाहर नहीं निकाल सकीं। कुनार प्रांत की 19 साल बीबी आयशा बताती हैं कि उनके गांव में बचाव दल 36 घंटे बाद पहुंचा, लेकिन उसमें एक भी महिला शामिल नहीं थी। उनके सामने ही केवल पुरुष और बच्चों को बाहर निकालकर इलाज दिया गया। तालिबान में महिलाओं की आजादी पर रोक तालिबान ने 4 साल पहले सत्ता संभालने के बाद महिलाओं की आजादी पर रोक लगाई है। छठी कक्षा के बाद लड़कियों की पढ़ाई बंद है, महिलाएं बिना पुरुष रिश्तेदार के लंबी दूरी की यात्रा नहीं कर सकतीं और ज्यादातर नौकरियों से वंचित हैं। गैर-सरकारी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र में काम करने वाली महिलाओं को भी बार-बार धमकियां मिली हैं। महिला स्वास्थ्यकर्मियों की कमी ने हालत और बिगाड़े पिछले साल तालिबान ने महिलाओं के मेडिकल शिक्षा में दाखिले पर रोक लगा दी थी, जिससे महिला डॉक्टरों और नर्सों की भारी कमी है। यही वजह रही कि प्रभावित इलाकों में चार दिन बाद भी कई जगह महिला स्वास्थ्यकर्मी तक नहीं पहुंच सकीं। अस्पतालों में ज्यादातर पुरुष डॉक्टर और नर्स ही मौजूद रहे। बीबी आयशा कहती हैं ‘भगवान ने मुझे और मेरे बेटे को बचाया। लेकिन उस रात के बाद मैंने समझा कि यहां औरत होना मतलब है। हमेशा सबसे आखिर में देखा जाना। पराए पुरुषों को छूने की मनाही अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के सांस्कृतिक और धार्मिक मानदंडों के मुताबिक केवल महिला के करीबी पुरुष रिश्तेदार, जिनमें उसके पिता, भाई, पति या बेटे शामिल हैं, उनको ही उसे छूने की अनुमति है। यही बात उलट भी लागू होती है: महिलाओं को अपने परिवार के बाहर के पुरुषों को छूने की अनुमति नहीं है। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में, महिला बचावकर्मियों को पुरुषों की सहायता करने से प्रतिबंधित किया जाता है। लेकिन एक महिला मलबे के नीचे से असंबंधित महिलाओं को बाहर निकाल सकती है। अफगानिस्तान में भूकंप का लोकेशन देखें… भूकंप ने किए कई गांव तबाह अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक भूकंप 2 लाख की आबादी वाले जलालाबाद शहर से लगभग 17 मील दूर नांगरहार प्रांत में आया। जहां कई गांव मलबे में बदल गए। यह इलाका राजधानी काबुल से 150 किमी दूर है। यह एक पहाड़ी इलाका है। जो भूकंप के लिए रेड जोन माना जाता है। जहां सहायता पहुंचाना भी मुश्किल है।


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