बिहार की मुख्य नदियों में से एक गंगा नदी ने एक बार फिर अपने विकराल रूप का परिचय दिया है। पिछले दो दिनों में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ने के कारण मुंगेर के कई निचले इलाके और दियारा क्षेत्र के गांवों में संकट की स्थिति पैदा हो गई है। मुंगेर में गंगा का जलस्तर फिलहाल वॉर्निंग लेवल से लगभग 8 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। बढ़ते जलस्तर के कारण पानी की धारा अत्यधिक तेज है, जिससे आसपास के घर, खेत और पुलिया खतरे में हैं। 6 मकान गंगा में समाया सदर प्रखंड क्षेत्र के कुतलूपुर पंचायत के वार्ड नंबर 6 हरि बाबू टोला में कटाव की भीषण स्थिति ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले दो दिनों से लगातार कटाव हो रहा है। अब तक इस क्षेत्र में छह पक्के मकान गंगा की तेज धार में समा चुके हैं। यह मकान एक ही परिवार के थे और परिवार के सदस्य दशकों से यहीं रहते आ रहे थे। प्रभावित परिवार में बिलास पासवान, उदय पासवान, राम बिलास पासवान, अनर्जित पासवान, गुनसागर पासवान और रंजीत पासवान शामिल हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इस इलाके में लगभग 100 घर अब भी कटाव की जद में हैं। तेज बहाव और बढ़ते जलस्तर के कारण लोग अपने परिवार और कीमती सामान को लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। कटाव की इस भयावह स्थिति के चलते ग्रामीणों में भय और तनाव का माहौल है। प्रशासन की तुरंत कार्रवाई इस गंभीर स्थिति की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन ने आपदा प्रबंधन के तहत कदम उठाए। डीएम मुंगेर ने तुरंत आपदा पदाधिकारी कुमार अभिषेक को कटाव प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके तहत बेगूसराय रेंज से कटाव रोधक कार्य शुरू कराया गया है। प्रशासन का प्रयास है कि कम से कम नुकसान हो और कटाव को नियंत्रित किया जा सके। हालांकि, ग्रामीणों ने बताया कि जहां पहले भी कटाव रोधी कार्य कराया गया था, वहां की स्थिति अब भी भयावह बनी हुई है। गंगा नदी की तेज धारा और लगातार बढ़ते जलस्तर ने पहले किए गए प्रयासों को नाकाम कर दिया है। अधिकारी क्षेत्र में लगातार निगरानी कर रहे हैं और जरूरत पड़ने पर अधिक सैंडबैग और अन्य रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं। ग्रामीणों की आपबीती और संकट स्थानीय लोगों ने बताया कि कटाव की इस स्थिति से उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। उनका कहना है कि पहले केवल जमीन कटती थी, लेकिन इस बार पक्के मकान भी गंगा की तेज धार में समा गए हैं, जिससे उनकी चिंता और बढ़ गई है। अधिकांश लोग दशकों से यहीं रहते आ रहे हैं और खेती ही उनका मुख्य जीवनयापन का जरिया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल प्रभावी कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा और कटाव को रोका नहीं गया, तो आने वाले दिनों में पूरे वार्ड और आसपास के गांवों के लोग अपने घर-बार और जमीन से हाथ धो बैठेंगे। सदर प्रखंड क्षेत्र में कटाव का इतिहास कुतलूपुर पंचायत सदर प्रखंड का वह इलाका है, जो हर साल बाढ़ और कटाव की चपेट में आता है। आम तौर पर पानी का तेज बहाव जमीन को धीरे-धीरे काटता रहा है, लेकिन इस बार गंगा का विकराल रूप और तेज धार ने पहले पक्के मकानों को निगल लिया। यही कारण है कि ग्रामीण इस बार विशेष रूप से भयभीत हैं। स्थानीय नेताओं और समाजसेवियों ने भी प्रशासन से कटाव प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत शिविर लगाने और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की मांग की है। उनका कहना है कि प्रशासन को केवल कटाव रोकने के उपाय नहीं बल्कि प्रभावित लोगों के लिए अल्पकालिक राहत भी सुनिश्चित करनी चाहिए। भविष्य की तैयारी और चेतावनी मौसम विभाग और जल स्तर मापन एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा नदी का जलस्तर अगले 24 से 48 घंटों में और बढ़ सकता है। इसके मद्देनजर जिला प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी किया है। प्रशासन ने कटाव प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस और आपदा दल की लगातार गश्ती और निगरानी बढ़ा दी है। साथ ही ग्रामीणों को सावधानी बरतने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की चेतावनी दी गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि गंगा नदी के जलस्तर में यह तेजी बारिश और पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाओं के कारण आई है। यदि जलस्तर में यह वृद्धि इसी गति से जारी रही, तो और अधिक मकान, खेत और सड़कें कटाव की जद में आ सकती हैं। इसके साथ ही, गंगा के किनारे बने कई छोटे पुल और सड़क मार्ग भी खतरे में हैं, जो स्थानीय लोगों की आवाजाही प्रभावित कर सकते हैं। नागरिकों और प्रशासन का सामूहिक प्रयास ग्रामीणों और प्रशासन के बीच संपर्क लगातार बना हुआ है। प्रशासन ने कटाव रोकने के लिए अतिरिक्त सैंडबैग, झोलों और मिट्टी की आपूर्ति सुनिश्चित की है। ग्रामीणों ने भी प्रशासन को सहयोग देने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा, कई सामाजिक संगठन और स्थानीय नेता प्रभावित लोगों तक राहत सामग्री पहुंचाने में जुटे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को केवल घटनास्थल पर उपाय करने की बजाय, लंबी अवधि के लिए गंगा के किनारे कटाव रोकने की स्थायी योजना बनानी होगी। इसके लिए विशेषज्ञों की टीम गंगा के बहाव और धारा के अध्ययन के बाद ही प्रभावी समाधान सुझा सकती है। मुंगेर जिले में गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर और कटाव ने एक बार फिर स्थानीय लोगों के जीवन को संकट में डाल दिया है। सदर प्रखंड क्षेत्र के कुतलूपुर पंचायत में छह पक्के मकानों का गंगा में समाना और लगभग 100 घरों के कटाव की जद में होना प्रशासन और ग्रामीणों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति पेश कर रहा है। हालांकि जिला प्रशासन ने आपदा प्रबंधन और कटाव रोकने के उपाय तुरंत शुरू कर दिए हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि गंगा के तेज बहाव और जलस्तर में निरंतर वृद्धि को देखते हुए, ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पलायन करने के साथ-साथ प्रशासन की सतर्कता और सहयोग की आवश्यकता है। ग्रामीण, अधिकारी और स्थानीय नेताओं का संयुक्त प्रयास ही इस संकट से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका साबित होगा। साथ ही, इस स्थिति ने एक बार फिर यह संकेत दिया है कि गंगा नदी के दियारा और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए कटाव और बाढ़ से सुरक्षा के दीर्घकालीन उपाय अत्यंत आवश्यक हैं।
गंगा का जलस्तर बढ़ने से मुंगेर में तबाही:कटाव से 6 पक्के मकान गंगा में समाए, 100 से अधिक खतरे में; प्रशासन अलर्ट
