मुंगेर में चौथचंद पर्व और हरितालिका तीज मंगलवार को एक साथ मनाया गया। जिले भर में देर शाम तक श्रद्धालु और महिलाएं व्रत-पूजा में डूबे रहे।चौथचंद पर्व पर श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया और चंद्रमा का दर्शन कर पूजा अर्चना की। वहीं, सुहागिन महिलाओं ने हरितालिका तीज के मौके पर सज-धजकर भगवान शिव-पार्वती की आराधना की। चारौन गांव की खास परंपरा सदर प्रखंड के नौवागढ़ी उत्तरी पंचायत के चारौन गांव में हर साल हरितालिका तीज विशेष परंपरा के साथ मनाई जाती है। इस बार यहां थर्मोकोल का बना मंदिर आकर्षण का केंद्र रहा। मंदिर में शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर रंगीन बल्बों से सजावट की गई। नवविवाहिता का पहला व्रत गांव की नवविवाहिता चंदा कुमारी शादी के बाद पहली बार हरितालिका तीज का व्रत रख रही हैं। वह अपने ननिहाल में रहकर इस व्रत का अनुष्ठान कर रही हैं। पूरे गांव की महिलाएं इसमें सहयोग कर रही हैं।चंदा के मामा संजीव कुमार सिंह ने तीन महीने पहले से इस पर्व की तैयारी शुरू की थी। लगभग 20 हजार रुपये की लागत से मंदिर तैयार कराया गया। महिलाओं की श्रद्धा और परंपरा गांव की महिलाओं ने बताया कि व्रत से एक दिन पहले सभी ने गंगा स्नान कर “नहाय-खाय” की परंपरा निभाई। तीज के दिन महिलाएं 16 श्रृंगार कर 24 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।बुधवार को महिलाएं सामूहिक रूप से शिव-पार्वती की प्रतिमा को गंगा में विसर्जित करेंगी। भूमिहार बाहुल्य गांव में हर साल होता है आयोजन चारौन गांव भूमिहार (स्वर्ण) बाहुल्य गांव है। यहां हरितालिका तीज को सामूहिक और अनोखे अंदाज में हर साल मनाया जाता है। महिलाएं एक जगह एकत्र होकर भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और गीत गाते हुए व्रत का पालन करती हैं।
मुंगेर में चौथचंद और हरितालिका तीज की धूम:थर्मोकोल से बना मंदिर बना आकर्षण का केंद्र, नवविवाहिता ने की विशेष पूजा
