‘मैं समाजवादी हूं। मेरी जाति-आपकी जाति सबके जाति प्रमाणपत्र में लिखी होती है। नकली और असली का न तो मुझे कोई तमगा चाहिए और न ही किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत है। जिसको जरूरत है, वो ढूंढे।’ यह कहना है समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और अखिलेश यादव के करीबियों में से एक उदयवीर का। उन्होंने समाजवादी पार्टी से निष्कासित गौरीगंज के विधायक राकेश प्रताप सिंह के आरोपों का जवाब दिया। उदयवीर ने कहा- अगर मैं इतना ही बड़ा आदमी हूं, तो राकेश प्रताप की हिम्मत कैसे हो जाती है इतना उल्टा-सीधा बोलने की। अगर मेरे ही करने से पूरा प्रदेश चल रहा है…सारी लड़ाई, दोस्ती…. तो राकेश प्रताप सिंह ही सबसे बड़े तीरंदाज हैं। वही उल्टा-सीधा बोल सकते हैं? उदयवीर सिंह ने चुनाव आयोग के जवाब से लेकर हाल ही में आन्जनेय कुमार सिंह की रिलीविंग, पूजा पाल और राकेश प्रताप सिंह के आरोपों पर दैनिक भास्कर डिजिटल से बातचीत की। पढ़िए पूरा इंटरव्यू… सवाल: पूजा पाल ने कहा कि अगर मेरी हत्या हुई तो जिम्मेदार अखिलेश यादव होंगे?
जवाब: यह फैशन बन गया है। जो भी भाजपा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है, भाजपा का ज्यादा खास बनना चाहता है, वह राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश जी पर आरोप लगाने लगता है। क्या हमने पूजा से कहा था कि भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार को वोट दे दो? 2017 का चुनाव बसपा से हार गईं। मायावती ने उन्हें 2007 और 2012 में टिकट दिया। क्या समाजवादी पार्टी ने कहा था कि बसपा छोड़ दो? जो भी भाजपा में दल बदल करके गए हैं, उनको सबसे आसान तरीका यही नजर आ रहा है कि अखिलेश यादव पर आरोप जड़ो। अखिलेश यादव से भाजपा नेतृत्व डरा हुआ रहता है। पूजा पाल ने जो पत्र लिखा है, उसमें खुद को विधवा लिखा है। जबकि, वह दूसरी शादी कर चुकी हैं। 2018 में दूसरी शादी कर ली, अभी भी खुद को विधवा कह रही हो। वैसे तो ये व्यक्तिगत मामला है। लेकिन, जब शादी हो गई तो विधवा नहीं लिखना चाहिए। अपने ही ट्वीट में लिखा है कि हमने अलग होने की अर्जी दे दी है, जो अभी स्वीकार नहीं हुई है। दूसरी बात वो लिखती हैं कि उनके परिवार के लोगों ने अतीक से मिलकर दूसरी शादी करा दी। जिसने आपसे शादी की, वह 5 साल आपके साथ विधायक रहा। 5 साल सदन में साथ रहकर नहीं समझ पाए। इस तरह से बिना सिर-पैर की बातें कर रही हैं। 2019 में उन्नाव से उन्हें टिकट मिलना था। पति-पत्नी में इस बात को लेकर लड़ाई हुई कि शादी हो चुकी है, तुमको वर्मा लिखना पड़ेगा। इसीलिए 2019 का चुनाव नहीं लड़ीं। वो हमारे पास आई थीं। पीड़ित, शोषित उपेक्षित वर्ग से थीं, इसलिए अखिलेश यादव ने उनकी पूरी मदद की। 2022 का चुनाव लड़ाया। अखिलेश यादव प्रचार करने गए, डिंपल यादव प्रचार करने गईं, जया बच्चन ने प्रचार किया। इसके बाद उन्हें भाजपा में अच्छा लगने लगा। उन्होंने क्रॉस वोट कर दिया। पूजा पाल अचानक लापता हो गईं। सीधे एक मंत्री के कमरे में प्रकट हुईं। जहां से सीधे सभी लोग मतदान करने गए और भाजपा को मतदान करके आ गए। सवाल: पूजा पाल का आरोप है कि आपने भी कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब में भाजपा काे वोट किया?
जवाब: कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब में कौन-सी सपा और भाजपा है। किसी रेजिडेंशियल सोसाइटी में चुनाव हो रहा हो। कोई सिंबल पर चुनाव हो रहा है क्या? क्या पार्टी की ओर से किसी ने किसी को कहा था कि किसको वोट करो? सवाल: आयोग ने कहा है कि वोट कटने के 3919 शपथपत्र मिले हैं। सपा क्या कहती है?
जवाब: पहले तो कह रहे थे, एक भी नहीं मिला है। अब साढ़े तीन हजार मान रहे हैं। आप आगे-आगे देखते जाइए, 18 हजार भी मानेंगे। सपा ने 18 हजार मतदाताओं के वोट कटने की शिकायत की थी। उसके अब जो स्पष्टीकरण आ रहे हैं, उसमें भी कई हेरा-फेरी सामने आ रही हैं। किसी का पहले वोट था, 2022 में कट गया। 2024 में फिर बढ़ गया। सपा का सवाल ये है कि उन्हें 2022 में वोट देने से वंचित किसने किया? ऐसे लोगों की जिम्मेदारी तय करनी होगी। जिन लोगों ने वोट काटे हैं, उन्हें जिम्मेदारी लेनी होगी। आखिर किसके कहने से वोट काटे गए। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। सवाल: आयोग ने चंदौली के 4 हलफनामों को फर्जी बताया है। क्या कहना है?
जवाब: आयोग ने जांच में इतनी देर कर दी है। 2022 में शिकायत हुई थी, 2024 का चुनाव हो चुका है। आयोग अब जांच कर रहा है, जवाब दे रहा है। हमने जब आपको हलफनामे दिए, आप तीसरे दिन उन्हें क्षेत्र में भेज सकते थे। अधिक से अधिक एक महीने में जांच हो के आ जानी चाहिए थी। मुद्दा ये नहीं है कि आज उनके वोट हैं या नहीं। मुद्दा ये है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में वे वोट डाल पाए थे या नहीं। क्या उनका वोट डालने का हक नहीं था? जिन लोगों ने उन्हें वोट डालने से रोका, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? सवाल: आयोग के जवाब में भी क्या कोई काउंटर सपा की ओर से दिया जाएगा?
जवाब: जिलों के नेताओं के फीडबैक के आधार पर हमने शिकायत की थी। आयोग की तरफ से जो जवाब आ रहा है, उसकी तस्दीक कर रहे हैं। उस तस्दीक में जो-जो गैप होंगे या जो-जो होशियारी की गई होगी, गुमराह करने की कोशिश की गई होगी? ऐसे मामलों को दोबारा रखा जाएगा। सवाल: यूपी सरकार ने सिक्किम कॉडर के आईएएस आंजनेय कुमार को रिलीव कर दिया है?
जवाब: पता नहीं सरकार ने क्यों रिलीव कर दिया? उनके पास तो लेटरल इंट्री का विकल्प भी था। उन्हें लेटरल इंट्री देकर परमानेंट यूपी का कर लेना चाहिए था। कुछ गुणा-गणित लखनऊ और दिल्ली में बिगड़ा होगा। वरना पांच-पांच बार एक्सटेंशन हुआ है। ये तो डीजीपी को स्थायी नहीं कर पा रहे हैं। मुख्य सचिव आखिरी वक्त तक इंतजार करते रहे कि एक्सटेंशन हो रहा है, लेकिन नहीं हो पाया। ये भी (आन्जनेय कुमार सिंह) मान रहे थे कि आजीवन यहीं बस जाऊंगा, उनको भी वापस जाना पड़ा। लगता है कि लखनऊ और दिल्ली के बीच कुछ तारतम्य बिगड़ गया है। सवाल: लखीमपुर में एक पिता, बच्चे की लाश लेकर डीएम के पास पहुंचा। इस पर क्या कहेंगे?
जवाब: इससे अधिक शर्मनाक क्या हो सकता है? उससे भी अधिक शर्मनाक ये है कि डीएम खड़े हैं। पता नहीं कहां बिजी हैं? वह थैले में बच्चे की लाश देखकर आश्चर्यचकित नहीं हुए। परेशान नहीं हुए, खड़े रहे। उनके साथ के व्यक्ति ने कहा कि पीछे कीजिए। इससे अधिक अमानवीय क्या होगा? किस बात का कल्याणकारी राज्य है? हम लोग अपने आप को शिक्षा और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेने वाला राज्य कहते हैं। किस बात की शिक्षा और किस बात का स्वास्थ्य? बेसिक चीजों के लिए इलाज उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री पूरे प्रदेश में छाती पीटते घूम रहे हैं। सीएम अपनी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। इसको (लखीमपुर की घटना) थोड़ा आइना समझ लें। सवाल: राकेश प्रताप सिंह का कहना है कि राजा भइया आपकी वजह से अखिलेश से दूर हुए?
जवाब: मैं तो समाजवादी हूं। मेरी जाति-आपकी जाति, सबके प्रमाण पत्र में लिखी होती है। नकली और असली का न तो मुझे कोई तमगा चाहिए और न ही किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत है। जिसको जरूरत है, वो ढूंढे। राजा भइया बड़े स्थापित नेता हैं। बहुत साल से विधायक हैं, मंत्री रहे हैं। अखिलेश यादव भी पुराने परिचित हैं। कोई बात थी, तो वो आपस में कर सकते थे। राजा भइया ने जब जो निर्णय लिया है, वो खुद सब जानते हैं। उन्होंने खुद तय किया कि कब उन्हें समाजवादी पार्टी के साथ रहना है और कब नहीं रहना। अगर मैं इतना ही बड़ा आदमी हूं, तो राकेश प्रताप की हिम्मत कैसे हो जाती है इतना उल्टा-सीधा बोलने की? ये तो अपना-अपना भरोसा होता है। जो राजनीतिक व्यक्ति होता है वह उसी भाषा में बोलता है, जवाब देता है और सवाल करता है। जो गैर राजनीतिक होता है, उसके पास जितना ज्ञान होता है, जितनी जानकारी होती है। जैसा स्वभाव होता है, वैसी भाषा बोलता है। मेरी भाषा मेरा चरित्र बताती है, उनकी भाषा उनका चरित्र बताती है। सवाल: राज्यसभा चुनाव में 7 लोगों ने क्रॉस वोटिंग की थी। बचे 3 विधायकों पर कब कार्रवाई होगी? जवाब: ये तो पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व का फैसला होता है। उनके पास फीडबैक होता है। किस व्यक्ति ने किस परिस्थिति में वोट दिया है। कुछ लोग वोट देने से पहले और कुछ वोट देने के बाद अपनी मजबूरी जाहिर कर देते हैं। कुछ लोग कभी कुछ कहते हैं, कभी कुछ कहते हैं। कुछ लोग कसमें खाते रहते हैं कि हम मर जाएंगे, लेकिन आपके रहेंगे। फिर सबसे पहले वही आरोप भी लगाने लगते हैं। जो परिस्थितियां होती हैं, उसी हिसाब से राष्ट्रीय नेतृत्व फैसला लेता है। ये राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय नेतृत्व का विशेषाधिकार है कि कब-किस पर फैसला लेंगे। जिसने वोट कर दिया, उसने अपनी ओर से तो लाइन खींच दी है। अब पार्टी को तय करना है कि किसको स्वीकार करती है, किसको निकाल देती है। ——————– ये खबर भी पढ़ें… पूजा पाल बोलीं- मेरी हत्या हुई तो अखिलेश जिम्मेदार होंगे, उन्हें विधवा का गुनाह दिखा, BJP को वोट देने वाली अपनी पत्नी का नहीं सपा से निकाले जाने के 9वें दिन विधायक पूजा पाल ने अखिलेश यादव को जवाब दिया है। पूजा पाल ने शुक्रवार को अपने X अकाउंट पर 2 पन्नों का लेटर पोस्ट किया। उन्होंने कहा, सपा में पिछड़े, अति पिछड़े और दलित सब दूसरे दर्जे के नागरिक हैं। पहले दर्जे के नागरिक मुस्लिम हैं। वे चाहे जितने बड़े अपराधी हों, उनको सम्मान देना, ताकत देना, उनकी शक्ति बढ़ाना सपा की पहली प्राथमिकता है। मैंने बहुत प्रयास किया कि आप (अखिलेश यादव) हमारे पति के हत्यारों को सजा दिलाएंगे। लेकिन तमाम प्रयास के बावजूद सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। आपका अहंकार ही है कि एक विधवा अति पिछड़ी जाति की बेटी के भीतर आपको गुनाह दिखता है। BJP को वोट देने वाली पत्नी डिंपल का गुनाह नहीं दिखता। पढ़ें पूरी खबर
पूजा पाल शादी कर चुकीं…पर खुद को विधवा कह रहीं:सपा नेता उदयवीर बोले- अखिलेश पर आरोप लगाना फैशन बना
