शिविर में विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं वैदिक अध्ययन सहित विभिन्न संकायों से लगभग पचास छात्र-छात्राएं तथा शिक्षक-शिक्षिाएं भी सक्रिय रूप से भाग लिया। शिविर के दौरान प्रतिभागियों में संस्कृत भाषा के प्रति रुचि जागृत की गयी। साथ ही हमारी प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रति गहराई से समझ और रुचि विकसित किया गया।
देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने बताया कि संस्कृत वेदवाणी है। हमारे अधिकतर आर्ष ग्रंथ संस्कृत में ही है। संस्कृत का ज्ञान होने से आर्षग्रंथों का अध्ययन कर पायेंगे।
संस्कृत संभाषण शिविर के समन्वयक एवं संस्कृत एवं वैदिक अध्ययन विभागाध्यक्ष डॉ. गायत्री किशोर त्रिवेदी ने बताया कि शिविर के दौरान विद्यार्थियों को भाषा के साथ ही वेदमंत्रों का उच्चारण, व्याकरण की मूल बातें, दैनिक जीवन में संस्कृत के प्रयोग तथा भारतीय संस्कृति के मूल स्तंभों का परिचय कराया गया।
संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित यह प्रयास विश्वविद्यालय के मूल उद्देश्य भारतीय संस्कृति एवं ज्ञान परंपरा के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक सशक्त कदम है।