सपा के कद्दावर नेता आजम खान की सल्तनत उजाड़ने वाले IAS आन्जनेय कुमार सिंह को एक्सटेंशन नहीं मिल पाया है। वह यूपी से वापस अपने मूल कैडर यानी सिक्किम जाएंगे। उन्हें मुरादाबाद कमिश्नर के पद से यूपी सरकार ने रिलीव कर दिया है। आन्जनेय सिंह का नाम यूपी के चर्चित ब्यूरोक्रेट की लिस्ट में है। उन्हें सीएम योगी के भरोसमंद अफसरों में गिना जाता रहा है। यही वजह है कि योगी सरकार की सिफारिश पर केंद्र ने उन्हें 6 बार एक्सटेंशन दिया था।4 बार एक-एक साल का, जबकि 2 बार 6-6 महीने का। योगी सरकार ने 7वीं बार उनका एक्सटेंशन बढ़ाने के लिए केंद्र को सिफारिश भेजी थी, लेकिन मंजूरी नहीं मिली। खास बात यह है कि 2015 में यानी अखिलेश सरकार में आन्जनेय सिक्किम से यूपी प्रतिनियुक्ति पर आए थे। आन्जनेय वही अफसर हैं, जिनके बारे में 2019 में दी गई हेट स्पीच की वजह से आजम को विधायकी तक गंवानी पड़ी थी। तब आन्जनेय रामपुर के कलेक्टर हुआ करते थे। 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आजम ने कहा था- कलेक्टर-फलक्टर से मत डरियो, ये तनखैय्या हैं..तनखैय्यों से नहीं डरते हैं। अल्लाह ने चाहा तो इनसे जूते साफ कराऊंगा। आजम को यह बयान बहुत महंगा पड़ा। डीएम रहते हुए आन्जनेय ने आजम के खिलाफ एक के बाद एक कई कड़ी कार्रवाई की। आजम को 3 साल की सजा हुई। आजम को किसी भी मामले में होने वाली ये पहली सजा थी। इसके बाद यूपी विधानसभा अध्यक्ष ने आजम की विधायकी रद्द कर दी थी। 14 अगस्त को IAS आन्जनेय की एक्सटेंशन अवधि खत्म हो गई थी। इसके बाद वह मुरादाबाद डीएम अनुज सिंह को कमिश्नर का चार्ज देकर छुट्टी पर चले गए थे। केंद्र ने प्रतिनियुक्ति की समाप्ति पर मिलने वाला 60 दिन का अवकाश भी मंजूर कर दिया है। अब आन्जनेय के बारे में पढ़िए आन्जनेय कुमार सिंह मूलरूप से यूपी के मऊ जिले में सलाहादबाद गांव के रहने वाले हैं। सिक्किम कैडर के 2005 बैच के IAS अफसर हैं। 16 फरवरी, 2015 को वह सपा सरकार के समय में प्रतिनियुक्ति पर उत्तर प्रदेश आए थे। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद 19 फरवरी, 2019 को आन्जनेय को रामपुर का DM बनाया गया था। वह 2 साल तक रामपुर के डीएम रहे। प्रमोशन के बाद प्रदेश सरकार ने उन्हें मुरादाबाद मंडल का कमिश्नर बनाया। तभी से आन्जनेय यहीं तैनात थे। अब पढ़िए कैसे IAS ने आजम का किला ढहाया…. 19 फरवरी 2019 को आन्जनेय सिंह रामपुर के डीएम बने। उन्होंने दैनिक भास्कर को बताया था- 11 मार्च को ही चुनाव की घोषणा हुई। डीएम बनने के बाद मेरे सामने कुछ मामले आए थे, जिनमें मैंने पब्लिक इंट्रेस्ट में एक्शन लिया था। मैं आपको सिलसिलेवार बताता हूं। आन्जनेय सिंह ने बताया था- मेरे रामपुर कलेक्टर बनने के शुरू के एक महीने के यही कुछ एक्शन थे। शायद इन्हीं कुछ एक्शन की वजह से आजम खान मुझे दुश्मन मानने लगे थे। उन्होंने चुनावों में वो हेट स्पीच दे डाली, लेकिन मैं सिर्फ बतौर कलेक्टर अपनी ड्यूटी निभा रहा था। 7 अप्रैल, 2019 को लोकसभा चुनावों के दौरान आजम खान रामपुर के खाता नगरिया गांव में एक जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे। यहां उन्होंने कहा- कलेक्टर-फलक्टर से मत डरियो, ये तनखैय्या है..तनखैय्यों से नहीं डरते हैं…और देखे हैं कई मायावती जी के फोटो, कैसे बड़े-बड़े अफसर रुमाल निकालकर जूते साफ कर रहे हैं..हां उन्हीं से है गठबंधन। उन्हीं के जूते साफ कराऊंगा इनसे अल्लाह ने चाहा तो। अरे कलेक्टर अपनी मां की कोख में लात मार किस कपूत को पैदा किया तेरी मां ने..। कलेक्टर अंधा हो गया है बहुत उसूली बनता है। मैं बताऊंगा तेरे भाई के कारनामे आ गई है उसकी रिपोर्ट मेरे पास, कितने अच्छे परिवार से है तू। …मुझे मारेगा, खून बहाएगा, रामपुर में बीजेपी का इलेक्शन लड़ाएगा, किसके कहने से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के कहने से, जो खुद 302 का मुजरिम है। VIDEO टीम के प्रभारी ने लिखाई थी FIR
प्रशासन ने इसकी वीडियोग्राफी कराई थी। जिसके आधार पर वीडियो टीम के प्रभारी अनिल कुमार चौहान ने मिलक थाने में आजम खान के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। FIR के अनुसार इसी हेट स्पीच में आजम ने कहा था- मोदी जी आपने हिंदुस्तान में ऐसा माहौल बना दिया कि मुसलमानों को जीना दूभर हो गया है..बहुत उमस में जिंदगी गुजर रही है। इसी मुकदमे में रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान को 3 साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद आजम खान की विधायकी चली गई। 2019 चुनाव के लोकसभा चुनाव के बाद आन्जनेय सिंह ने आजम के खिलाफ एक्शन की शुरुआत की तो आजम चौतरफा घिरते चले गए। देखते ही देखते रामपुर के अलग-अलग थानों में आजम के खिलाफ 98 मुकदमे दर्ज हो गए। सरकारी जमीनों पर कब्जों के आरोप में आन्जनेय ने आजम को भू-माफिया घोषित कर दिया। आजम खान की जौहर यूनिवर्सिटी की चारदीवारी में कैद 172 एकड़ सरकारी जमीन भी आजम से छिन गई। आजम के बेटे अब्दुल्ला की विधायकी भी छिनवा चुके हैं आन्जनेय
2017 के चुनाव में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला स्वार टांडा सीट से सपा के विधायक चुने गए। अब्दुल्ला के सामने BSP से चुनाव लड़े नवाब काजिम अली खान ने नॉमिनेशन के समय अब्दुल्ला की उम्र 25 वर्ष से कम होने की बात कहकर निर्वाचन रद्द करने की मांग की थी। 2019 में जब यह मामला आन्जनेय के सामने आया तो उन्होंने जांच कराई। जांच में पता चला कि अब्दुल्ला ने फर्जी आयु प्रमाण पत्र पर चुनाव लड़ा था और वह नामांकन के समय 25 साल के नहीं थे। यह रिपोर्ट डीएम ने चुनाव आयोग को भेज दी। इसके बाद अब्दुल्ला का निर्वाचन रद्द कर दिया गया था। आईएएस अफसर अधिकतम 5 साल तक प्रतिनियुक्ति पर रह सकता है
बता दें, कोई भी IAS अफसर 5 साल से ज्यादा प्रतिनियुक्ति पर नहीं रह सकता। इसके अलावा आईएएस अफसर अपना कैडर केवल विशेष परिस्थितियों में और केंद्र सरकार (डीओपीटी) की मंजूरी से बदल सकते हैं। यह शादी के आधार पर पति-पत्नी को एक साथ रखने या गंभीर व्यक्तिगत परिस्थितियों (जैसे गंभीर बीमारी या अन्य महत्वपूर्ण कारण) पर आधारित होती है। कैडर में बदलाव के लिए अनुरोध किया जाता है। इसके बाद दोनों राज्यों की सहमति और केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी होती है। —————– ये खबर भी पढ़ें- कुलपति हरेराम त्रिपाठी और उनकी पत्नी की हादसे में मौत, ड्राइवर को पीछे बैठाकर खुद चला रहे थे यूपी के मऊ में महाराष्ट्र के कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति हरेराम त्रिपाठी और उनकी पत्नी की मौत हो गई। शनिवार सुबह वह इनोवा कार से वाराणसी से अपने घर कुशीनगर जा रहे थे। मऊ के दोहरीघाट के पास उन्हें झपकी आ गई। इनोवा बेकाबू हो गई और सड़क किनारे खड़े ट्रेलर में पीछे से घुस गई। पढ़ें पूरी खबर
आजम की सल्तनत उजाड़ने वाले IAS सिक्किम जाएंगे:एक्सटेंशन नहीं मिला तो सरकार ने रिलीव किया, आजम ने कहा था- जूते साफ कराऊंगा
