मुख्तार के बेटे उमर की अचानक जेल बदली गई:सुबह 6 बजे गाजीपुर से कासगंज भेजा गया; SP बोले- सुरक्षा कारणों से शिफ्टिंग हुई

मुख्तार के बेटे उमर की अचानक जेल बदली गई:सुबह 6 बजे गाजीपुर से कासगंज भेजा गया; SP बोले- सुरक्षा कारणों से शिफ्टिंग हुई
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गाजीपुर जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी की जेल बदल दी गई। उसे शनिवार सुबह 6 बजे गोपनीय तरीके से कासगंज जेल शिफ्ट कर दिया गया। इसकी जानकारी सिर्फ अफसरों को थी। SP डॉ. ईरज राजा ने बताया कि सुरक्षा कारणों के चलते उमर को कासगंज जेल शिफ्ट किया गया है। उमर को मां अफसा अंसारी के फर्जी हस्ताक्षर मामले में 3 अगस्त को पुलिस ने छापा मारकर लखनऊ से गिरफ्तार किया था। तब से वह गाजीपुर में जेल में बंद थे। आरोप है कि उमर ने फरार चल रही अपनी मां और एक लाख की इनामी अफशां अंसारी के फर्जी हस्ताक्षर कर अदालत में याचिका दाखिल की थी, ताकि गैंगस्टर एक्ट के तहत जब्त की गई संपत्ति को छुड़ाया जा सके। पूरा मामला जानिए
मामला मुख्तार अंसारी के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में दर्ज मुकदमे से जुड़ा है। इसमें पुलिस ने 10 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी कुर्क की थी, जिसे छुड़ाने के लिए अपील दाखिल की गई। इस मामले में अफसा अंसारी की तरफ से प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था। कोर्ट ने इस पर शासकीय अधिवक्ता से रिपोर्ट मांगी। शासकीय अधिवक्ता ने 11 जुलाई 2025 को संबंधित दस्तावेजों की जांच की। इसमें पता चला कि याचिका के साथ लगे दस्तावेजों पर अफसा अंसारी के हस्ताक्षर संदिग्ध हैं। मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन की पार्टनरशिप डीड पर मौजूद अफसा के हस्ताक्षर याचिका वाले दस्तावेजों से पूरी तरह अलग पाए गए। शासकीय अधिवक्ता ने रिपोर्ट में बताया कि अफसा वर्तमान में एक लाख की इनामी है। गाजीपुर और मऊ पुलिस ने उस पर 50-50 हजार का इनाम घोषित कर रखा है। उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी है। ऐसे में उसके द्वारा सीधे अदालत में याचिका दाखिल करना संदेह से परे नहीं था। मामले की जांच के बाद थाना मुहम्मदाबाद में उमर अंसारी और वकील लियाकत अली के खिलाफ केस दर्ज किया गया। इसके बाद पुलिस ने 3 अगस्त को लखनऊ से उमर को गिरफ्तार कर गाजीपुर जेल भेज दिया था। इसके बाद उमर और उसके वकील की जमानत के लिए अलग-अलग याचिका दायर की। 21 अगस्त को कोर्ट ने उमर अंसारी की और 22 अगस्त को वकील लियाकत अली की याचिका खारिज कर दी। 2 दिन पहले बड़े भाई अब्बास की विधायकी बहाल हुई 2 दिन पहले उमर के बड़े भाई अब्बास की हेट स्पीच मामले विधायकी बहाल हुई। 21 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस समीर जैन ने मऊ की MP/MLA कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें अब्बास को 2 साल की सजा सुनाई गई थी। दरअसल, अब्बास ने 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान एक रैली में कहा था- सपा मुखिया अखिलेश यादव से कहकर आया हूं, सरकार बनने के बाद 6 महीने तक किसी की ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं होगी। जो जहां है, वहीं रहेगा। पहले हिसाब-किताब होगा, फिर ट्रांसफर होगा। इसके बाद शहर कोतवाली में हेट स्पीच की FIR दर्ज हुई थी। 31 मई को मऊ की MP/MLA कोर्ट ने अब्बास को इस मामले में 2 साल की सजा सुनाई। अब्बास अंसारी भी ढाई साल कासगंज जेल में बंद रहा
सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी को भी गैंगस्टर के मामले में कासगंज जेल में रखा गया था। अब्बास को नवंबर, 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हिरासत में लिया था। उन पर आरोप था कि वह आपराधिक नेटवर्क का हिस्सा थे और अवैध तरीके से धन इकट्ठा करते थे। पूछताछ के बाद अब्बास को कासगंज जेल भेज दिया गया। वह यहां 2 साल 8 महीने बंद रहे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से इसे 7 मार्च को जमानत मिल गई। 21 मार्च को उसका परवाना कासगंज जेल पहुंचा, तब उसे रिहा किया गया था।


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