रांची | झारखंड हाईकोर्ट ने ट्रेडमार्क के एक विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई के बाद महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। चीफ जस्टिस तरकोल सिंह चौैहान और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने ट्रेडमार्क विवाद से जुड़े एक मामले में जमशेदपुर के लोअर कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया। अदालत ने लोअर कोर्ट को फिर से मामले की सुनवाई करने का निर्देश दिया। कहा कि कॉमर्शियल विवाद के मामले में तीन लाख से एक करोड़ रुपए मूल्य के मामले को सुनने का अधिकार सिविल जज (सीनियर डिविजन) को है। दरअसल, हाईकोर्ट ने खेमका फूड प्रोडक्ट्स की ओर से दाखिल अपील याचिका को स्वीकार करते हुए 29 जुलाई के लोअर कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया। मालूम हो कि कंपनी ने गृहस्थी भोग नाम से आटा बेचने वाले एक अन्य पक्ष पर ट्रेडमार्क उल्लंघन का आरोप लगाया था। क्योंकि, कंपनी का दावा है कि वह वर्ष 2001 से आटा तैयार कर रही है और गृहस्थी भोग नाम से बेच रही है। वर्ष 2005, 2012 और 2014 में ट्रेडमार्क के लिए आवेदन भी किए गए। फरवरी 2023 में कंपनी को पता चला कि एक और कंपनी गृहस्थी भोग नाम से आटा बेच रही है। इसके बाद कंपनी ने उन्हें नोटिस भेजा और फिर अप्रैल 2023 में मध्यस्थता के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जमशेदपुर में आवेदन दिया। जब मध्यस्थता असफल रही तो कंपनी ने अगस्त 2023 में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) जमशेदपुर के यहां याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान दूसरे पक्ष ने आपत्ति जताते हुए कहा कि मामले की सुनवाई का अधिकार इस न्यायालय के पास नहीं है। उनका कहना था कि ऐसा विवाद केवल अतिरिक्त जिला एवं सेशन जज अथवा न्यायायुक्त ही सुन सकते हैं। निचली अदालत ने इसे दूसरी कोर्ट में भेजने का निर्देश दिया। इस आदेश के खिलाफ खेमका कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। कहा गया कि सरकार ने 2021 में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) को कॉमर्शियल कोर्ट घोषित किया है।
ट्रेडमार्क उल्लंघन के एक करोड़ के विवाद में सिविल जज को सुनवाई का अधिकार
