महाकवि सुब्रमण्यम भारती की हर सांस मां भारती की सेवा के लिए थी समर्पित : डॉ.जयंती

महाकवि सुब्रमण्यम भारती की हर सांस मां भारती की सेवा के लिए थी समर्पित : डॉ.जयंती

काशी तमिल संगमम के पेंटिंग एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में शामिल हुई महाकवि की पौत्री

वाराणसी, 18 फरवरी (हि.स.)। तमिल महाकवि सुब्रमण्यम भारती की पौत्री डॉ. जयंती मुरली कहा कि महाकवि सुब्रह्मण्य भारती ऐसे महान मनीषी थे, जो देश की आवश्यकताओं को देखते हुए काम करते थे। उनका विजन व्यापक था। उन्होंने हर उस दिशा में काम किया, जिसकी जरूरत उस कालखंड में देश को थी। वह काशी तमिल संगमम-3 के चौथे दिन मंगलवार को नमोघाट पर आयोजित चित्र प्रदर्शनी में प्रतिभागियों से रूबरू हो रही थीं। उन्होंने तमिल विद्यार्थियों के साथ शहर के विभिन्न विद्यालयों से आए छात्रों द्वारा नारा लेखन,पोस्टर पेंटिंग एवं प्रश्नोत्तरी में पूरे उत्साह से भागीदारी की। ऋषि अगस्त्य एवं विकसित भारत विषयक चित्र प्रदर्शनी में शामिल छात्रों का उत्साह बढ़ाया। साथ ही विद्यार्थियों को महाकवि के जीवन और कृतित्व की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि महाकवि केवल तमिलनाडु और तमिल भाषा की ही धरोहर नहीं हैं। वो एक ऐसे विचारक थे, जिनकी हर सांस माँ भारती की सेवा के लिए समर्पित थी। भारत का उत्कर्ष, भारत का गौरव उनका सपना था। काशी से उनका रिश्ता, काशी में बिताया गया उनका समय, काशी की विरासत का एक हिस्सा बन चुका है। वो काशी में ज्ञान प्राप्त करने आए और यहीं के होकर रह गए। महाकवि ने अपनी बहुत सी रचनाएँ गंगा के तट पर काशी में रहते हुए लिखी थीं। केवल 39 वर्ष के जीवन में महाकवि ने हमें बहुत कुछ दिया। वे एक ओर आध्यात्म के साधक भी थे, दूसरी ओर वो आधुनिकता के समर्थक भी थे। उनकी रचनाओं में प्रकृति के लिए प्यार भी दिखता है और बेहतर भविष्य की प्रेरणा भी दिखती है।

डॉ. जयंती ने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान उन्होंने आज़ादी को केवल मांगा नहीं, बल्कि भारत के जन-मानस को आजाद होने के लिए झकझोरा। महाकवि भारती युवा और महिला सशक्तिकरण के प्रबल समर्थक थे। गौरतलब है कि प्रदर्शनी का आयोजन केंद्रीय संचार ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की पहल पर आयोजित किया गया है।

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