2 करोड़ रिश्वत देखकर अफसर को गुस्सा आया:आगरा में कारोबारी से पूछा- अपने परिवार को नकली दवाएं खिलाते हो

2 करोड़ रिश्वत देखकर अफसर को गुस्सा आया:आगरा में कारोबारी से पूछा- अपने परिवार को नकली दवाएं खिलाते हो
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टाइम : शाम के 5.30 बजे, 22 अगस्त। स्पॉट : हे मां मेडिको फर्म, मोती कटरा (आगरा) 3 मंजिला इमारत में ड्रग विभाग और STF के जवान मौजूद थे। ऑफिस में दस्तावेज खंगाले जा रहे थे। 30 अफसर गोदाम में रखे दवा के स्टॉक के QR कोड का मिलान कर रहे थे। इस फर्म के मालिक हिमांशु अग्रवाल अचानक 2 बैग लेकर भागते हुए आता है। मेज पर बैग रखकर उसे खोल देता है। अंदर 500 रुपए के बंडल होते हैं। हांफते हुए कहता है- ये रखिए, पूरे 1 करोड़ हैं…मामला यहीं खत्म करिए। एक पल के लिए कमरे में सन्नाटा पसर जाता है। कमरे में STF इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा और संयुक्त ड्रग आयुक्त नरेश मोहन दीपक मौजूद थे। अफसर मेज पर रखा बैग एक तरफ सरका देते हैं। इस पर हिमांशु कहता है- रुकिए, 1 करोड़ और देता हूं। थोड़ा वक्त दीजिए। लेकिन, दोनों अफसर ये पेशकश भी ठुकरा देते हैं। इतना ही नहीं, हिमांशु को अरेस्ट करके पूरा स्टॉक जब्त कर लेते हैं। 25 अगस्त को हिमांशु को एंटी करप्शन कोर्ट में अपर जिला जज विशेष न्यायाधीश अभिषेक उपाध्याय के सामने पेश किया। उसको 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। कोषागार में 1 करोड़ रुपए जमा कराए गए हैं। अब STF नकली दवाओं के मामले में भी हिमांशु को रिमांड पर लेगी। करीब 2 करोड़ रुपए की रिश्वत को ठुकरा देने वाले दोनों अफसर यूपी में अचानक सुर्खियों में आ गए। दैनिक भास्कर ने इन अफसरों को ट्रेस किया, उनसे बातचीत की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… STF इंस्पेक्टर यतेंद्र शर्मा आगरा में हिमांशु अग्रवाल के खिलाफ जांच में जुटे हैं। लेकिन, समय निकालकर उन्होंने फोन पर हमसे बात की। पढ़िए, वो क्या कहते हैं… सवाल- आप कहां के रहने वाले हैं? पुलिस सेवा में कैसे आए?
जवाब- मैं मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले का रहने वाला हूं। यूपी पुलिस में आने से पहले मेरा सिलेक्शन मध्यप्रदेश पुलिस में हुआ था। ये 2001 की बात है। मैं यूपी पुलिस में दरोगा के पद पर भर्ती हुआ। 2018 में प्रमोट होकर इंस्पेक्टर बनाया गया। मैं एटीएस में भी काम कर चुका हूं। सवाल- जब मेज पर रुपए से भरा बैग रखा गया, तब क्या किया?
जवाब- जब दवा माफिया ने मेरे सामने रिश्वत की पेशकश रखी, तो मुझे फैसला लेने में एक सेकेंड भी नहीं लगे। वो रुपए लेने का सवाल ही नहीं उठता था, बल्कि मुझे तो गुस्सा आ रहा था। कोई भी बिजनेसमैन रुपए के दम पर किसी को भी खरीदने की गलतफहमी पाल लेता है। मैंने तय कर लिया था कि पूरे मामले को ट्रेस करके खुलासा करूंगा। सवाल- उस वक्त हिमांशु से कुछ कहा भी था?
जवाब- हिमांशु से मैंने कहा कि अगर तुम्हारे परिवार का सदस्य हॉस्पिटल में हो, तो क्या उसे भी नकली दवा खिलाओगे। गरीब आदमी जैसे-तैसे महंगी दवाएं खरीदता है। उसे वो भी नकली मिले, ये क्या सही है? सवाल- अब आप आगे क्या चाहते हैं?
जवाब- मैं चाहता हूं कि नकली दवा के सिंडिकेट की कमर टूटे और कड़ी कार्रवाई हो। जिससे कोई नकली दवा बेचने की हिम्मत भी न करे। सवाल- दवा मामले से पहले भी कोई ऐसा केस हुआ, जिसमें रुपए ऑफर हुए हों?
जवाब- कई मामले हुए हैं। आगरा में ही फर्जी शस्त्र लाइसेंस केस का खुलासा किया था। इसकी जांच के दौरान बहुत दबाव था। कई प्रलोभन अलग-अलग सोर्स से आए थे। इस मामले में मो. जैद सहित कई चर्चित चेहरे आरोपी थे। मो. जैद का कनेक्शन कुख्यात मुख्तार अंसारी से रहा था। ऐसे में मुझे धमकाया भी गया। लेकिन, मैंने जांच रिपोर्ट को शासन तक भेजी थी। अब पढ़िए सहायक औषधि आयुक्त नरेश मोहन दीपक से हुई बातचीत… सवाल- आपकी तैनाती बस्ती में है, आपने आगरा में कार्रवाई की?
जवाब- मैं बस्ती के सहायक औषधि आयुक्त के पद पर तैनात हूं। मैं पहले भी आगरा में तैनात रह चुका हूं। ऐसे में मुझे नकली दवा कारोबार और इससे जुड़े लोगों के काम करने के तरीके के बारे में पता था। इसलिए मैं इस कार्रवाई का हिस्सा बना। सवाल- आप कहां के रहने वाले हैं? करियर की शुरुआत कैसे हुई?
जवाब- मैं मेरठ का रहने वाला हूं। 2007 में खाद्य सुरक्षा और औषधि विभाग में निरीक्षक के तौर पर तैनाती हुई। पहली पोस्टिंग जौनपुर में मिली। इसके बाद बुलंदशहर और मुरादाबाद में भी तैनात रहा। कोरोना काल में आगरा में तैनात रहा। यहां मैं करीब 10 महीने तक रहा। इस दौरान कई दवा माफिया को जेल पहुंचाया। सवाल- अब तक कितने दवा कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई की?
जवाब- नकली दवा का कारोबार करने वाले 28 लोगों के खिलाफ 20 मुकदमे दर्ज करवा चुका हूं। हिमांशु के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराया है। अब पूरा केस समझिए दो फर्म के गोदामों से 3.23 करोड़ की दवाएं बरामद
22 अगस्त को आगरा की दवा मार्केट में ड्रग विभाग की कानपुर और बस्ती मंडल की टीम ने छापा मारा। टीम के साथ STF भी थी। 30-35 कर्मचारी बंसल और हे मां मेडिकल स्टोर पहुंचे। टीम ने इन दोनों दुकानों के साथ ही इनके गोदाम की भी जांच शुरू की। रात होने पर टीम ने दोनों की दुकान और गोदाम सील कर दिए। 23 अगस्त की सुबह फिर से जांच शुरू की। ड्रग विभाग के मुताबिक, हे मां मेडिकल एजेंसी में साढ़े 3 करोड़ की दवाएं मिलीं। टीम ट्रक में भरकर इन दवाओं को कोतवाली ले गई। वहीं, बंसल मेडिकल एजेंसी के मोती कटरा स्थित गोदाम में भी टीम पहुंची। वहां दवाइयों से भरी एक डीसीएम मिली। यह माल रेलवे से आया था। इसे चेन्नई की किसी फर्म ने लखनऊ के पते पर भेजा था, लेकिन माल आगरा में उतारा गया था। टीम ने ट्रक को जब्त कर लिया। दवाओं की कीमत का बिल 10 लाख का था। सूत्रों के मुताबिक, बंसल मेडिकल स्टोर के गोदाम से 1 करोड़ रुपए की दवाएं बरामद की गईं। हे मां मेडिकल स्टोर के मोती कटरा में कई गोदाम मिले। यहां से दवाइयों का जखीरा बरामद हुआ। इनकी अनुमानित कीमत 2.43 करोड़ रुपए बताई गई है। इस तरह दोनों फर्मों के गोदामों से कुल 3.23 करोड़ रुपए की दवाइयां बरामद की गईं। इस मामले में 25 अगस्त को थाना कोतवाली में सहायक आयुक्त औषधि नरेश मोहन दीपक ने केस दर्ज कराया था। इसमें एमएस लॉजिस्टिक के संचालक यूनिस उस्मानी व वारिस, दवा कारोबारी हिमांशु अग्रवाल, फरहान, लखनऊ की फर्म के संचालक विक्की और सुभाष कुमार को नामजद किया गया है। कुरियर कंपनी का संचालक फरार है। वहीं, टीम लखनऊ की फर्मों के बारे में जानकारी जुटा रही है। नकली दवाओं के कारोबार के मामले में थाना कोतवाली में 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। इसमें हे मां मेडिकल एजेंसी का संचालक हिमांशु अग्रवाल भी नामजद है। उसने एसटीएफ और औषधि विभाग की टीम को कार्रवाई रोकने के एवज में एक करोड़ रुपए रिश्वत की पेशकश की थी। टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में पहले ही केस दर्ज कराया था। 25 अगस्त को उसे मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। वहीं अवैध कारोबार से जुड़े अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। ———————————- यह खबर भी पढ़ें : फिल्म रेड की तरह दवा कारोबारी पर पड़ा छापा, लखनऊ में प्लान बना, 35 अफसरों की टीम आगरा पहुंची आगरा के दवा कारोबारी हिमांशु अग्रवाल के ठिकानों पर अजय देवगन की फिल्म ‘रेड’ की तरह छापा मारा गया। उसके गोदाम पर पहुंची STF टीम के लोगों को आखिरी वक्त में पता चला कि रेड कहां डालनी है? यही वजह है कि अफसरों से सेटिंग के चलते हर बार बच निकलने वाला हिमांशु इस बार फंस गया। पढ़िए पूरी खबर…


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