11 साल से पैरों से ब्लैकबोर्ड पर लिखकर पढ़ाते गुलशन:दिव्यांग होकर भी नहीं मानी हार, शिक्षक दिवस पर चाईबासा के साहसी शिक्षक की कहानी

11 साल से पैरों से ब्लैकबोर्ड पर लिखकर पढ़ाते गुलशन:दिव्यांग होकर भी नहीं मानी हार, शिक्षक दिवस पर चाईबासा के साहसी शिक्षक की कहानी
Share Now

कहते हैं जज्बा हो तो कोई कठिनाई इंसान को रोक नहीं सकती। इसी कहावत को सच कर दिखाया है चाईबासा के दिव्यांग गुलशन लोहार ने। इन्होंने अपनी कमजोरी को ताकत बना लिया है। हाथों से असमर्थ गुलशन पैरों से लिखते हैं और पिछले 11 वर्षों से बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। एमए बीएड गुलशन रोजाना पैरों से ब्लैकबोर्ड पर लिखकर बच्चों को पढ़ाते हैं। वे गांव और आसपास के छोटे बच्चों के साथ-साथ अपग्रेड उच्च विद्यालय बंरगा में पिछले 11 सालों से पढ़ा रहे हैं। उन्हें घंटी आधारित शिक्षक (गेस्ट फैकल्टी टीचर्स) जो कि मनोहरपुर के सेल चिरिया प्रति घंटी 139 रुपए का भुगतान करती है। जहां स्कूल में प्रति दिन करीब चार घंटी उनको पढ़ाने का मौका मिलता है।
मां ने पैरों से लिखने का कराया अभ्यास गुलशन अपने सात भाई बहनों में सातवें नंबर पर है। गुलशन के दोनों हाथ बचपन से ही नहीं हैं। गुलशन बताते हैं कि उनके जन्म के समय माता पिता नाराज हो गए थे। मां ने तो सात दिनों तक दूध भी नहीं पिलाया था। गांव वालों के‌ काफी‌ समझाने पर मां मानी। इसके बाद मां ने ही उन्हें पैरों से लिखने का अभ्यास करवाया। पैर में पेंसिल फंसा कर लिखने की प्रैक्टिस करवाई। गुलशन की मेहनत रंग लाई और उच्च शिक्षा हासिल कर वो शिक्षक बन गए। हालांकि सरकारी नौकरी नहीं मिलने का इनको अब भी मलाल है। स्थाई नौकरी के लिए काफी प्रयासरत भी हैं। वर्तमान में उनके परिवार में पत्नी और एक बेटी है। शिक्षा के साथ जीवन की प्रेरणा गुलशन का प्रयास केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि वे बच्चों को जीवन में आगे बढ़ने और संघर्ष से लड़ने की प्रेरणा भी देते हैं। यही वजह है कि गांव के लोग उन्हें “प्रेरणा का स्तंभ” कहते हैं और बच्चे स्नेहपूर्वक उन्हें ‘गुरुजी’ कहकर संबोधित करते हैं। गुलशन लोहार कहते हैं –“मेरी कमजोरी ही मेरी ताकत बन गई है। मैं चाहता हूं कि हर बच्चा पढ़े-लिखे और अपने पैरों पर खड़ा हो।” स्कूल की एक छात्रा ने बताया कि गुलशन सर काफी अच्छे से पढ़ाते हैं। कहीं कोई समस्या होने पर उसका समाधान भी बताते हैं। उनका पढ़ाने का तरीका भी काफी अच्छा है। वहीं, स्कूल की शिक्षिका सुनिता कंठ बताती हैं कि गुलशन सर हमलोग के जैसे समान्य रूप से स्वास्थ्य तो नहीं है, पर इसके बावजूद हमलोगों से काफी अलग हैं। मैं हमेशा उनसे कुछ सीखने का प्रयास करती हूं।


Share Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *