10 माओवादियों ने छोड़े हथियार, इसमें 4 महिलाएं शामिल:सरेंडर करने वालों में एक एरिया कमेटी और 9 दस्ता सदस्य, सभी का आपराधिक इतिहास

10 माओवादियों ने छोड़े हथियार, इसमें 4 महिलाएं शामिल:सरेंडर करने वालों में एक एरिया कमेटी और 9 दस्ता सदस्य, सभी का आपराधिक इतिहास
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झारखंड के चाईबासा में गुरुवार को भाकपा (माओवादी) संगठन के 10 सदस्यों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें 4 महिला नक्सली भी शामिल हैं। सभी ने राज्य के डीजीपी अनुराग गुप्ता के समक्ष हथियार डाल दिए। यह आत्मसमर्पण झारखंड सरकार की उग्रवादी आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति के तहत हुआ। डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा कि झारखंड की आत्मसमर्पण नीति देश की सर्वश्रेष्ठ नीतियों में से एक है। उन्होंने आत्मसमर्पण करने वालों को नई जिंदगी के अवसर देने का आश्वासन दिया। साथ ही चेतावनी दी कि जो हथियार नहीं छोड़ेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इनके खिलाफ कई मामले दर्ज आत्मसमर्पण करने वालों में एक एरिया कमेटी सदस्य और नौ दस्ता सदस्य शामिल हैं। इनमें रांदो बोईपाई उर्फ कांति बोईपाई (एरिया कमेटी सदस्य) और गार्टी कोड़ा, जॉन उर्फ जोहन पुरती, निरसो सीदू उर्फ आशा, घोनोर देवगम, गोमेया कोड़ा उर्फ टारजन, कैरा कोड़ा, कैरी कायम उर्फ गुलांची, सावित्री गोप उर्फ मुतुरी उर्फ फुटबॉल और प्रदीप सिंह मुंडा (सभी दस्ता सदस्य) शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वाले इन सभी नक्सलियों का आपराधिक इतिहास भी है और इनके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। पश्चिमी सिंहभूम में 2022 से अब तक 10 नक्सली मारे गए बताते चलें कि पश्चिमी सिंहभूम के कोल्हान और सारंडा क्षेत्र में प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) के ‘ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो’ का संचालन केंद्रीय समिति सदस्य मिसिर बेसरा, पतिराम मांझी उर्फ अनल, और अन्य के नेतृत्व में किया जा रहा है । इनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई के लिए झारखंड पुलिस, झारखंड जगुआर, कोबरा और सीआरपीएफ के संयुक्त अभियान दल लगातार अभियान चला रहे हैं। 2022 से अब तक पश्चिमी सिंहभूम में 9631 अभियान चलाए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 175 नक्सलियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, जबकि 10 नक्सली मुठभेड़ में मारे गए हैं। विस्फोटक, हथियार और अन्य सामान भी बरामद इस दौरान भारी मात्रा में विस्फोटक, हथियार और अन्य सामान भी बरामद किए गए हैं। नक्सल प्रभावित थाना क्षेत्रों में आम जनता के बीच सुरक्षा की भावना बनाए रखने के लिए पिछले तीन सालों में नए सुरक्षा कैंप भी स्थापित किए गए हैं, जिससे नक्सलियों का दायरा सिमटता जा रहा है।


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