9 अगस्त को बेटी आफरीन का एडमिशन निजी स्कूल में पहली कक्षा में करवाया था। सोमवार को उसका मदरसे में आखिरी दिन था। मंगलवार को उसे पहले दिन स्कूल जाना था। रविवार शाम को सोते हुए उसने मुझसे कई बार कहा था- अम्मी, मुझे सुबह 7 बजे जगा देना। 8 बजे स्कूल पहुंचना हैं। 2 बजे छुट्टी होगी। मैं आ जाऊंगी। बारिश होने के कारण मैंने उसे स्कूल न भेजकर मदरसा भेज दिया। मेरी बेटी खुशी-खुशी पढ़ने गई। वह स्कूल ड्रेस में गई थी और कफन में घर लौटी। यह कहना है आसमां खातून का। वह कहती हैं कि मेरी बेटी मुझसे कहती थी कि मैं पढ़कर लिखकर पुलिस में भर्ती होऊंगी। मगर उसके ख्वाब और सपने उसी के साथ चले गए। मेरी बेटी चली। अब क्या इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी। नाला अगर बंद होता तो मेरी बेटी आज जिंदा होती। सोमवार को घोसीपुरा मोहल्ले के रहने वाले अनीश की बेटी आफरीन (8) घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर मदरसा गई थी। साथ में उसका भाई अरमान उर्फ फईम भी था। वापस आते समय घर से करीब 500 मीटर दूर वह खुले नाले में गिर गई। लोगों ने उसे बाहर निकाला और अस्पताल लेकर गए। मगर उसे बचा नहीं सके। जिला मुख्यालय से करीब 8 किमी. दूर घोसीपुर इलाके के लाला टोली मोहल्ले में दैनिक भास्कर ऐप की टीम पहुंची। यहां परिवार के लोगों से बात की। पढ़िए रिपोर्ट…। विस्तार से पढ़िए पूरा मामला अनीश अपनी बेटी को पढ़ाना चाहता था
मोहल्ले में अनीश के कच्चे घर के बाहर आसपास के लोगों की भीड़ जुटी हुई थी। घर के अंदर महिलाएं थीं, जो आसमां खातून को ढ़ांढ़स बंधा रहीं थीं। लोग आ-जा रहे थे। अनीश को सांत्वाना देते। घर के बाहर गली में खड़े नईम बोले- यह पूरी गलती प्रशासन की है। अगर नाला बंद होता तो बच्ची आज जिंदा होती। अनीश जैसे तैसे मजदूरी कर बच्चों को पढ़ा रहा था। वह चाहता था कि जैसे वह मजदूर है, उसके बेटे मजदूर न बने। इसलिए वह दिन रात मेहनत करता था। आफरीन की मौत से मोहल्ले के घरों में रात में चूल्हे नहीं जले। वह बहुत चंचल थी। पूरा दिन मोहल्ले में चहकती रहती थी। अब पढ़िए पिता की बात पिता बोले- मैं उसे अफसर बनाना चाहता था आफरीन के पिता अनीश अंसारी ने कहा- बेटी तो मेरी चली गई। बेटी के चले जाने से घर खाली हो गया है। हमें अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मेरी बेटी नहीं रही। वह बहुत खुश थी, जब उसका प्राइवेट स्कूल में एडमिशन करा कर लौटे थे। पूरे मोहल्ले में उसने घर-घर जाकर अपने दोस्तों को बताया कि उसका एडमिशन हो गया है। मेरी बिटिया अफसर बनाना चाहती थी। उसकी मौत के साथ उसका सपना भी चला गया। अब मैं चाहता हूं कि दोषियों पर कार्रवाई हो। सरकार मुझे मुआवजा भी दे। जब भी मेरी बहन याद है मैं रो पड़ता हूं भाई अरमान ने कहा- आफरीन सुबह जब मेरे साथ मदरसा जा रही थी तो बहुत खुश थी। कह रही थी कि भइया कल से तो मैं स्कूल जाऊंगी। मेरा हाथ पकड़कर वह गई थी। जब हम घर आ रहे थे। तो वह मेरे साथ ही चल रही थी। आफरीन अचानक खुले नाले में गिर गई। मैंने शोर मचाकर आसपास के लोगों को बुलाया। लोग आए और बहन को निकाला। मगर मेरी बहन को बचाया नहीं जा सका। मुझे बहन की बहुत याद आ रही है। मेरी बेटी को बचाने के लोग नाले में कूद गए
मां आसमां खातून ने बताया- मेरी बच्ची को जब नाले में गिरी तो उसे बचाने के लिए दानिश, शादाब, जावेद और शमी नाले में कूद गए। स्लैब हटा-हटाकर मेरी बेटी को खोजते रहे। 100 मीटर दूर जाकर उन्होंने मेरी बेटी को बाहर निकाल लिया। वह कीचड़ से सनी हुई थी।
उसे सीपीआर दिया, ताकि वह बच जाए। फिर उसे एक लड़का गोद में लेकर अस्पताल भागा। मगर तब भी मेरी बेटी नहीं बची। लोगों ने मेरी बच्ची को बचाने के लिए बहुत कोशिश की। ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था। अब चश्मदीदों की बात 15 मिनट में लड़कों ने बच्ची को बाहर निकाल लिया
जिस स्थान पर नाले में आफरीन गिरी, वहां के आसपास के दुकानदारों से बात की। दुकानदार शादिक ने बताया बच्ची अपने भाई के साथ जा रही थी। अचानक शोर मचा देखा कि कुछ युवक सड़क पर पानी में भाग रहे हैं। युवकों ने नाले से स्लैब हटाईं। हम भी मौके पर पहुंचे। पता चला कि बच्ची गिर गई है। करीब 10-15 मिनट में लड़कों ने बच्ची को बाहर निकाल लिया। उसे गोद में लेकर अस्पताल की ओर दौड़े। उसका भाई भी पीछे-पीछे रोते हुए भागा। बताया कि हादसे के लिए ठेकेदार, जेई, कार्यकारी अभियंता, चीफ इंजीनियर और नगर आयुक्त जिम्मेदार हैं। अगर नाले के खुले हिस्से ढके होते तो यह घटना नहीं होती। बच्ची को निकालने वाले की बात जानिए क्या बोले जिम्मेदार नगर निगम गोरखपुर ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। मंगलवार को महापौर मंगलेश श्रीवास्तव ने आपात बैठक बुलाई। संबंधित जेई और अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। अपर नगर आयुक्त दुर्गेश मिश्रा ने कहा कि नगर निगम इस हादसे से आहत है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारण का पता चलेगा। रिपोर्ट के आधार पर जो भी जरूरी और निष्पक्ष कार्रवाई होगी, वह की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि नाले की गहराई ज्यादा नहीं थी, लेकिन फिर भी इस मामले में हर पहलू की गहन जांच की जाएगी। अब जानिए क्या है पूरा मामला घोसीपुरा मोहल्ले के रहने वाले अनीश मजदूरी करते हैं। उनके दो बच्चे हैं। एक बेटी आफरीन (8) और दूसरा बेटा फईम है। घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर मदरसा है। वह सोमवार को अपने भाई के साथ मदरसा गई थी। वहां से वापस आते समय करीब 500 मीटर दूर वह खुले नाले में गिर गई। यह देखकर उसका भाई घबराकर चिल्लाने लगा। लेकिन नाले में पानी का बहाव इतना तेज था कि आफरीन करीब 100 मीटर दूर तक बहती रही। लोगों ने नाले में घुसकर उसे बाहर निकाला। उसे सीपीआर दी। इसके बाद उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया। वहां से पिता अनीश ने उसे गोद में उठाकर पानी में भागते हुए जिला अस्पताल पहुंचाया। लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद आफरीन को मृत घोषित कर दिया। ——————- ये खबर भी पढ़िए- वाराणसी के BHU कैंपस में MBBS स्टूडेंट से छेड़छाड़: पीड़ित बोली- डर से कांप रही थी, आरोपियों ने कहा- हम नशे में थे वाराणसी के BHU कैंपस में MBBS छात्रा से छेड़छाड़ हुई। सिर्फ 20 मिनट के अंदर कैंपस के बैरियर पर तैनात गार्ड ने आरोपियों को पकड़ लिया। पुलिस कस्टडी में तीनों छात्रों से 3 घंटे तक पूछताछ हुई। सामने आया कि रथयात्रा-भेलुपुर इलाके में कजरी (डांस) देखकर आ रहे थे। वहां से निकलने के बाद तीनों ने शराब पी। इसके बाद जब सुबह 3.50 बजे छात्रा को देखा तो भद्दे कमेंट किए, फिर उसका हाथ पकड़ने लगे। जब छात्रा के मौजूद बाकी छात्रों ने उन्हें रोकना चाहा, तब उन्होंने मारपीट शुरू की। मगर कैंपस से बाहर भाग नहीं सके। पढ़ें पूरी खबर…
‘स्कूल ड्रेस में गई थी, कफन में घर लौटी’:गोरखपुर में मां बोली- एडमिशन के बाद स्कूल नहीं जा सकी आफरीन, नाले में गिरकर मर गई
