सुपौल में तीसरे दिन भी 102 के एंबुलेंसकर्मी हड़ताल पर:मरीजों को ई-रिक्शा से जाना पड़ रहा अस्पताल, गंभीर पेशेंट्स की बढ़ी मुश्किलें

सुपौल में तीसरे दिन भी 102 के एंबुलेंसकर्मी हड़ताल पर:मरीजों को ई-रिक्शा से जाना पड़ रहा अस्पताल, गंभीर पेशेंट्स की बढ़ी मुश्किलें
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सुपौल के सदर अस्पताल सहित जिले में मंगलवार को तीसरे दिन भी डायल 102 नंबर के एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर है। अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एंबुलेंस ड्राइवर व परिचालक अस्पताल परिसर में ही धरना दे रहे हैं। हड़ताल की वजह से खासकर सोनवार को अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर वे मरीज, जिन्हें सदर अस्पताल से बेहतर इलाज के लिए रेफर किया जा रहा है, सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। हड़ताल पर बैठे एंबुलेंस कर्मियों का कहना है कि वे लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा उनकी सुध नहीं ली जा रही है। मजबूरन अब उन्हें हड़ताल का सहारा लेना पड़ा है। वहीं, अस्पताल प्रबंधन भी एंबुलेंस सेवा ठप रहने से चिंतित है, क्योंकि मरीजों की परेशानी बढ़ती जा रही है। गरीब मरीजों को निजी एंबुलेंस का खर्च उठाने की क्षमता नहीं सबसे ज्यादा दिक्कत गरीब मरीजों को हो रही है, जिनके पास निजी एंबुलेंस का खर्च उठाने की क्षमता नहीं है। सदर अस्पताल में इलाजरत एक मरीज के परिजन ने बताया कि उनका बच्चा गंभीर रूप से बीमार था और डॉक्टरों ने उसे बेहतर इलाज के लिए दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया। लेकिन एंबुलेंस सेवा बंद रहने के कारण परिजनों को मजबूरन ई-रिक्शा से बच्चे को निजी अस्पताल ले जाना पड़ा। रास्ते भर परिजन परेशान रहे और समय पर इलाज न मिल पाने से बच्चे की हालत और बिगड़ गई। समस्या का जल्द समाधान निकालने की अपील अस्पताल परिसर में मौजूद अन्य मरीजों और उनके परिजनों ने भी हड़ताल पर नाराजगी जताई। उनका कहना है कि एंबुलेंस कर्मियों की मांगें जायज हो सकती हैं, लेकिन इस तरह अचानक सेवा बंद करने से मरीजों की जान पर बन आती है। सरकार और प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप कर इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए। इधर, सुपौल के सिविल सर्जन का कहना है कि वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है।


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