लखनऊ में गोमती नदी उफान पर है। तेज बहाव के चलते जलकुंभी के दबाव में पीपापुल बह गया। इससे 13 गांवों का संपर्क हॉस्पिटल और स्कूलों से कट गया। अब 1 लाख लोग घंटों नाव का इंतजार करते हैं। बच्चों की पढ़ाई बंद है और गांवों से महज 1-3 किमी दूर KGMU अब 10-15 किमी दूर हो गया है। 2 अगस्त से शुरू हुई बारिश जब तीसरे दिन भी नहीं रुकी तो 5 अगस्त को गोमती का जलस्तर बढ़ने लगा। उतराती जलकुंभी भी बह चली। इससे गऊ घाट पर बने पीपा पुल पर दबाव बढ़ गया और वह टूट गया। अब मौके पर क्या हालात हैं? गांववाले कैसे गुजर-बसर कर रहे हैं? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर टीम पहुंची। यहां हालात यह है कि 1 लाख लोगों की जिंदगी मात्र 1 नाव पर आ गई है। पढ़िए रिपोर्ट… पहले 3 तस्वीरें देखिए… लोगों को आने-जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ा है। नाव प्राइवेट है जिससे एक बार बाढ़ का पानी पार करने के लिए लोगों को 20 रुपए देने पड़ते हैं। ये लोग मुख्य रूप से पुराने लखनऊ, चौक, ठाकुरगंज और हजरतगंज से कट गए हैं। अब लोगों ने जो कहा.. पढ़िए… बच्चों का इलाज कराने जाने में परेशानी होती है: श्रीमती नाव पर बैठीं श्रीमती ने हमें बताया- हम गऊ घाट की इस तरफ अपने छोटे बच्चे का इलाज करवाने आए थे। दवा-इलाज हो या राशन-पानी तमाम जरूरतों के लिए हमें नाव के सहारे गोमती नदी पार करके गऊघाट की ओर आना पड़ता है। नाव की भी स्थिति बहुत खराब है। चलते-चलते इसमें पानी भर जाता है। ऐसे में डर रहता है कि कहीं नाव बीच में डूब न जाए। हमारा घर फैजुल्लागंज में है और मायका गऊ घाट के पास। ऐसे में आने-जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। अगर नाव से ना आएं तो 12 किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता है, जिसमें पूरा दिन निकल जाता है। एक नाव के सहारे पूरे इलाके के लोग : रईस मोहम्मद रईस नाव के ऊपर साइकिल लेकर सवार थे। वह घैला के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा- हमारे यहां जरूरत का कोई सामान नहीं मिलता। नाव के ऊपर साइकिल रखी है और साइकिल के ऊपर सामान। ऐसे में डर लगता है कि कहीं कोई हादसा ना हो जाए। नाव में भी काफी समय बर्बाद होता है। पहले नाव का इंतजार करो। जब सवारी भर जाती है, तब नाव वाला लेकर जाता है, एक तरफ से जाने के लिए ₹20 किराया देना पड़ता है। सरकार को कम से कम नाव की सुविधा देनी चाहिए, ताकि हम लोग सुरक्षित आ-जा सकें। ऐसे समय में नाव की सेवा मुफ्त होनी चाहिए : सलीम नाव पर हमने सलीम से बात की। वह फैजुल्लागंज से गऊ घाट की तरफ आ रहे थे। सलीम ने बताया- पीपा पुल टूटने से परेशानी बढ़ गई है। यह नाव फैजुल्लागंज, घैला, दाऊदनगर, इमामबाग, डुगरिया, अल्लूनगर, गाजीपुर जैसे 13 गांवों को जोड़ती है। 1 लाख से ज्यादा की आबादी है जो इसी पुल के सहारे है। पुल टूट जाने के बाद सब लोग परेशान हैं। नदी के किनारे की बस्तियां डूबी हैं। नाव की सेवा मुफ्त होनी चाहिए। नदी के दोनों तरफ के किसान परेशान : राजेश राजेश ने बताया कि उनका खेत फैजुल्लागंज में है, उसमें भी पूरा पानी भर गया है। खेत में जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है या फिर 12 किलोमीटर घूमकर जाना पड़ेगा। कई किसानों की खेती नदी के उस पार है। अब पीपा पुल टूट जाने के कारण वे सभी परेशान हैं। इससे उनकी फसलों का नुकसान हो रहा है। बारिश के बाद धान के खेतों में पानी भर गया है। नाव से आने जाने में ढाई घंटे लग जाते हैं। पूरा दिन इसी में बर्बाद जो जाता है। बचपन से ये परेशानी झेल रहे हैं। सरकार से निवेदन है पुल का काम तेज करवा दें, ताकि सबको राहत मिल जाए। किसानों का बहुत नुकसान हो रहा है। मालूम हो कि पीपा पुल के पैरलल पक्का पुल बनाने की योजना है। ————— संबंधित खबर भी पढ़िए… लखनऊ में गोमती की बाढ़ में 12 गांव डूबे, ड्रोन..VIDEO:चारों तरफ पानी ही पानी, फसलें डूबीं; बच्चे घरों में कैद राजधानी लखनऊ में गोमती नदी का जलस्तर बढ़ने से बीकेटी-इटौंजा क्षेत्र के कई जगहों पर बाढ़ के हालात हो गए हैं। गोमती का पानी जंगल के रास्ते होते हुए मां चंद्रिका देवी मंदिर के आसपास पहुंच गया है। इसकी वजह से मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को कुंड…पूरी खबर पढ़ें
लखनऊ में पीपा पुल टूटा, पढ़ाई-इलाज सब रुका:1 लाख लोग फंसे, घंटों करते नाव का इंतजार; बोले- हर साल यही भुगतते हैं
