यूपी में जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार होना है। 2 साल के अंदर ही विधानसभा चुनाव भी हैं। इसको लेकर भाजपा से सौदेबाजी के लिए समाजों ने अपनी ताकत का एहसास कराना शुरू कर दिया है। यूपी में बीते 7 दिनों में ठाकुर, कुर्मी और लोध समाज ने अलग-अलग बहानों से बैठकें कीं। इनके जरिए भाजपा के प्रदेश से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक को अपनी ताकत का परिचय दे दिया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं, इस तरह की बैठकों से सपा की तुलना में भाजपा को ज्यादा नुकसान होगा। अगर सभी समाज इसी तरह बैठकें कर लामबंद होते गए, तो सरकार और संगठन दोनों की मुश्किलें बढ़ेंगी। ठाकुर, कुर्मी और लोध समाज की ताकत क्या है? समाज के नेताओं की बैठकों का असर क्या होगा? पढ़िए खास खबर… प्रदेश में आगामी समय में मंत्रिमंडल का विस्तार होना है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना है। 2026 में पंचायत चुनाव, राज्यसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव होने हैं। उसके बाद 2027 में विधानसभा चुनाव होंगे। यूपी में सियासत की बिसात पूरी तरह जातियों की चौसर बिछी हुई है। संगठन का चुनाव हो या सरकार चुनने का, जाति ही सबसे बड़ा फैक्टर रहती है। लिहाजा राजनीतिक रूप से सक्रिय और मजबूत वोट बैंक वाले समाजों ने भाजपा पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। वो सरकार और संगठन में पर्याप्त हिस्सेदारी चाहते हैं। साथ ही पंचायत, राज्यसभा और विधान परिषद में भी वर्चस्व कायम रखना चाहते हैं। कुटुंब परिवार के जरिए ठाकुरों ने दिखाई ताकत
क्षत्रिय समाज के विधायकों ने कुटुंब परिवार के नाम पर 11 अगस्त को लखनऊ के क्लार्क अवध होटल में बैठक की। उसके अगले ही दिन क्षत्रिय समाज के कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह ने भी गोमती होटल में समाज के विधायकों और पूर्व मंत्री के साथ बैठक की। बैठक में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया, सपा से निष्कासित विधायक अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह समेत 40 से अधिक विधायक और एमएलसी जुटे थे। इससे क्षत्रिय विधायकों और मंत्रियों ने अपनी एकता और मजबूती का संदेश दिया है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में रघुराज प्रताप सिंह या राकेश प्रताप सिंह को सरकार में जगह दिलाने की तैयारी है। वहीं, जानकार यह भी मानते हैं कि क्षत्रिय मंत्रियों-विधायकों की बैठक भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को संदेश देने की कोशिश भी है। अगर यूपी सरकार में कोई बड़ा बदलाव किया, तो समाज चुप नहीं रहेगा। उधर, भाजपा के पदाधिकारी कहते हैं कि यूपी में विधायक-एमएलसी सबसे ज्यादा ठाकुर समाज से ही हैं। सरकार और संगठन में भी समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिले। कुर्मी समाज ने भी दिया मजबूती का संदेश
कुर्मी समाज के विधायक और मंत्री भी 12 अगस्त को लखनऊ के एक होटल में सरदार पटेल वैचारिक मंच के बैनर तले एकत्र हुए। बैठक में कुर्मी समाज के विधायक, सांसद, मंत्री और अधिकारी शामिल हुए। बैठक को एमएसएमई मंत्री राकेश सचान, भाजपा एमएलसी अवनीश सिंह पटेल सहित अन्य नेताओं ने भी संबोधित करते हुए समाज की एकजुटता और विकास की बात की। कुर्मी समाज इससे पहले भी इस तरह की बैठकें कर चुका है। लेकिन, माना जा रहा है कि जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार हैं। 2022 में भी वह डिप्टी सीएम पद के दावेदार थे। लेकिन, पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया। इससे कुर्मी समाज में बीजेपी से नाराजगी भी बढ़ी। इसका असर लोकसभा चुनाव 2024 में दिखा था। चर्चा है, इस बार बैठक स्वतंत्र देव सिंह की ताजपोशी का दबाव बनाने के लिए थी। वहीं, नौकरशाही में भी समाज के लोगों को महत्वपूर्ण पद दिलाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास है। धर्मपाल सिंह ने लोध समाज को लामबंद किया
वीरांगना अवंती बाई लोधी की जयंती पर 16 अगस्त को पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने अपने निर्वाचन क्षेत्र आंवला में समाज की बैठक की। इसमें सभी विधायकों, सांसदों और पार्टी पदाधिकारियों के साथ बड़ी संख्या में समाज के लोगों को आमंत्रित किया गया। धर्मपाल सिंह खुद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार हैं। लोध समाज भी प्रदेश सरकार और संगठन में बड़ी हिस्सेदारी चाहता है। आगामी कुछ ही दिनों में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर फैसला होना है। माना जा रहा है कि धर्मपाल सिंह ने पार्टी पर दबाव बनाने के लिए ही समाज की बैठक की। हालांकि अवंती बाई की जयंती पर समाज की ओर से कार्यक्रम होते रहे हैं। लेकिन, इस बार इस आयोजन के पीछे राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। समाज की बैठकों का असर क्या होगा? प्रदेश भाजपा नेतृत्व पर सवाल
राजनीतिक क्षेत्रों में भाजपा के नेताओं की जातीय बैठकें करने से प्रदेश भाजपा नेतृत्व पर भी सवाल उठ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर ठाकुर, कुर्मी और लोध समाज की तरह सभी समाजों के मंत्री और विधायक बैठक करने लगे, तो इससे भाजपा को पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव तक नुकसान होगा। पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और आरएसएस सालों की मेहनत के साथ सभी समाजों को हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के झंडे के नीचे लेकर आए हैं। मंत्रिमंडल विस्तार और चुनाव में दबाव बढ़ेगा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है, सभी समाजों का इस झंडे के नीचे एक मन और स्वर से खड़ा होना ही भाजपा की लगातार जीत की वजह भी बना है। अगर पार्टी के नेता जातिवाद की राह पर चलेंगे, तो आगामी मंत्रिमंडल विस्तार से लेकर पंचायत और फिर विधानसभा चुनाव तक संगठन पर दबाव बनाएंगे। इससे भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में भी नाराजगी बढ़ेगी। समाजों की अलग-अलग बैठकें प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह की जानकारी में हैं। लेकिन, पार्टी ने अपना रुख साफ नहीं किया है। सूत्रों के मुताबिक, योगी सरकार के मंत्रियों और विधायकों की इस तरह जातीय बैठकों को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक पार्टी में चर्चा है। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्ट कहते हैं- सपा और बसपा की जाति आधारित राजनीति को खत्म करने का भाजपा प्रयास कर रही है। पंचायत और विधानसभा चुनाव से पहले इस तरह की बैठकें राजनीतिक कारण से ही हो रही हैं। बैठकों का उद्देश्य राजनीतिक दलों से सौदेबाजी करना है। वह भाजपा और सपा से सौदेबाजी करेंगे। कुर्मी समाज सबसे आक्रामक सौदेबाजी करता है। वीरेंद्रनाथ भट्ट का कहना है- 2024 लोकसभा चुनाव में ठाकुर समाज ने भाजपा को चुनाव हराया। उस समय कहा गया था कि अगर भाजपा की 300 से ज्यादा सीटें आईं, तो आलाकमान यूपी में सरकार के नेतृत्व में परिवर्तन कर सकता है। इसलिए ठाकुर समाज ने भाजपा को चुनाव हराया। यह भी संभावना है कि इस बैठक से समाज योगी की मजबूती का संदेश भी देना चाहता है। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह कहते हैं- जल्द ही ब्राह्मण समाज के विधायकों की बैठक होने जा रही है। 2014 के पहले यूपी की राजनीति जातीय आधार पर बंटी थी। लेकिन, 2014 और 2017 के बाद यूपी की राजनीति धार्मिक आधार पर बंट गई। तब चुनाव 80 और 20 का हुआ। यही कारण रहा कि भाजपा जीत गई। अब जातिगत समीकरण हावी हो रहे हैं। आखिर में जानिए…बैठकों को लेकर समाज के नेताओं का क्या कहना है?
बैठकों को लेकर समाज के नेताओं का कहना है कि इसमें कुछ भी राजनीतिक नहीं है। यह केवल मेल-जोल के लिए किया जा रहा है। इसमें किसी तरह का कोई चुनावी एजेंडा नहीं है। ———————– ये खबर भी पढ़ें… ठाकुर विधायकों को एकजुट करने वाले रामवीर का इंटरव्यू, बोले-योगी को इस बारे में पता नहीं था मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से BJP विधायक रामवीर सिंह सुर्खियों में हैं। यूपी विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान लखनऊ के एक फाइव स्टार होटल में 40 ठाकुर विधायकों को इकट्ठा किया। आयोजन को ‘कुटुम्ब-परिवार’ का नाम दिया। खास बिरादरी के विधायकों की इस दावत के तमाम राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। आयोजन को राजनीतिक गलियारों में BJP की अंदरूनी खींचतान में दिल्ली पर प्रेशर बनाने की टैक्टिस के तौर पर भी देखा जा रहा है। कुटुम्ब परिवार आखिर क्या है? इसका राजनीतिक भविष्य क्या है, इस आयोजन के पीछे कौन है? पढ़ें पूरी खबर
यूपी में सौदेबाजी के लिए लामबंद हो रहे समाज:ठाकुर, कुर्मी और लोध समाज ने दिखाई ताकत, सपा से ज्यादा भाजपा पर असर
