भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव- 2027 से पहले पार्टी स्तर पर मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) करने जा रही है। बूथ स्तर पर चलने वाले अभियान में एक-एक घर के मतदाताओं का सत्यापन किया जाएगा। फर्जी मतदाताओं के साथ दोहरे नाम भी कटवाने की कार्रवाई की जाएगी। अगर पार्टी का अभियान सफल हुआ, तो विधानसभा चुनाव 2027 के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। दरअसल, भाजपा ने पंचायत चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव की तैयारी भी शुरू की है। राज्य निर्वाचन आयोग की मतदाता सूची में करीब डेढ़ करोड़ मतदाताओं के नाम ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय की मतदाता सूची दोनों में होना सामने आया है। पार्टी का मानना है कि ऐसा ही विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची में भी संभव है कि मतदाताओं ने अपने गांव और शहरी दोनों घर के पते पर मतदाता सूची में नाम शामिल करा रखा हो। वहीं, बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठियों और फर्जी मतदाताओं के नाम भी मतदाता सूची में शामिल होने की आशंका है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा जल्द ही एसआईआर शुरू करने जा रही है। इसके लिए 2003 की मतदाता सूची और 2024 की मतदाता सूची को आधार बनाया जाएगा। निर्वाचन आयोग ने 2003 की मतदाता सूची वेबसाइट पर अपलोड की है। पार्टी की ओर से सूची डाउनलोड करना शुरू किया गया है। विधानसभा क्षेत्र और बूथवार सूची संबंधित क्षेत्र की बूथ कमेटी को सौंपी जाएगी। भाजपाई घर-घर करेंगे सत्यापन
भाजपा की बूथ कमेटी के सदस्य 2003 और 2024 की मतदाता सूची के आधार पर मिलान करेंगे कि किस व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में कटा और किसका जुड़ा है? बूथ कमेटी बूथ की मतदाता सूची का सत्यापन करने के बाद उसकी रिपोर्ट निर्वाचन आयोग के बूथ लेवल एजेंट को देने के साथ जिलाध्यक्ष के जरिए जिला निर्वाचन अधिकारी को भी देगी। जिससे प्रशासन के स्तर से भी उसका सत्यापन कराकर मतदाता सूची सही कराया जा सके। फर्जी नाम हटवाना उद्देश्य
एसआईआर अभियान के पीछे भाजपा का मुख्य उद्देश्य विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची से फर्जी मतदाताओं के नाम हटवाना है। वहीं भाजपा और आरएसएस की विचारधारा से जुड़े प्रत्येक मतदाता का नाम मतदाता सूची में शामिल कराना है। इसमें खासतौर पर विपक्षी दलों के प्रभाव वाले विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण पर फोकस किया जाएगा। साथ ही उन सीटों पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा, जहां 2022 में भाजपा बहुत कम अंतर से हारी थी। 2024 में हुआ था नुकसान
भाजपा को मतदाता सूची में गड़बड़ी के कारण लोकसभा चुनाव 2024 में बड़ा नुकसान हुआ था। मतदान के दौरान सामने आया था कि प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में भाजपा समर्थित हजारों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से डिलीट कर दिए गए थे। चुनाव में भाजपा की हार में इसे भी बड़ी वजह माना गया। भाजपा की ओर से मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के लिए जारी लेटर में इसका विशेष जिक्र करते हुए इस बार सावधान रहने की नसीहत दी गई है। जो नाम कटे थे, वो जुड़ भी जाएं
भाजपा का फोकस है कि 2024 में जिन मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से डिलीट हो गए थे, उनके नाम मतदाता सूची में फिर शामिल हो जाएं। बूथ कमेटी को ऐसे मतदाताओं को चिह्नित कर उनका नाम हर हाल में सूची में शामिल कराने के निर्देश दिए हैं। चुनाव आयोग के समानांतर चलेगा अभियान
भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार के बाद सभी प्रदेशों में एसआईआर कराने का निर्णय किया है। यूपी में भी विधानसभा चुनाव से पहले आयोग की ओर से एसआईआर कराया जाएगा। भाजपा के एसआईआर का एक चरण तो उससे पहले पूरा करने की तैयारी है। दूसरा चरण उसके समानांतर चलाकर फर्जी मतदाताओं के नाम हटवाए जाएंगे। एसआईआर को लेकर विपक्ष एक्टिव
एसआईआर का लेकर यूपी में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और कांग्रेस भी सक्रिय है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि अगर निर्वाचन आयोग ने एसआईआर में गड़बड़ी और चुनाव आयोग भाजपा का जुगाड़ आयोग बना, तो पड़ोसी देशों की तरह हमारे देश में भी जनता सड़क पर उतर जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, साढ़े 8 साल से सत्ता से बाहर सपा भी एसआईआर को लेकर सजग है। सपा भी एक-एक बूथ की मतदाता सूची पर खास नजर रखेगी। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र नाथ भट्ट का कहना है कि एसआईआर भाजपा करा रही है। यह संवैधानिक संस्थाओं का अपमान है। इलेक्शन कमीशन सुप्रीम कोर्ट में बता चुका है कि संविधान के अनुच्छेद 324 और 326 में यह अधिकार है कि वह मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कर सकता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने व्यापक पैमाने पर अभियान चलाकर फर्जी मतदाताओं के नाम हटवाए थे। दिल्ली में भाजपा की जीत के पीछे वह सफल रणनीति साबित हुआ था। दिल्ली में मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की कॉन्फ्रेंस के बाद एसआईआर का कार्यक्रम घोषित हो जाएगा। 2026 में यूपी में एसआईआर होगा। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय का मानना है कि मतदाता सूची को लेकर विपक्षी दल आक्रामक है। सपा और कांग्रेस के अध्यक्ष ने जो स्लोगन दिया है उसके दो निहितार्थ है कि अपने कार्यकर्ता का मनोबल बढ़ा रहा है और बीजेपी को निशाने पर रख रहा है। बीजेपी जब अपना एसआईआर शुरू करेगी तो उससे मतदाता सूची पर उनका दबाव काम नहीं आएगा। विपक्षी दलों की मनमानी नही चलेगी। साथ ही बीजेपी की वोटर लिस्ट की पैनी नजर हो जाएगी। बोगस वोटर या संदिग्ध वोटर पर नजर रहेगी। इससे बीजेपी का बूथ मजबूत होगा। बीजेपी का सबसे बड़ा लक्ष्य विधानसभा चुनाव है, उसके लिए वह हर संभव प्रयास करेगी। —————————- ये खबर भी पढ़ें… मायावती फिर कमाल कर पाएंगी?, आकाश की रीलॉन्चिंग, बुआ-भतीजे का नया प्लान; कांशीराम की पुण्यतिथि पर शक्ति प्रदर्शन बसपा सुप्रीमो मायावती ने 9 साल बाद 9 अक्टूबर को शक्ति प्रदर्शन करने वाली हैं। इसी दिन कांशीराम की 19वीं पुण्यतिथि (महापरिनिर्वाण दिवस) है। बसपा का खुद को साबित करने का पुराना हथियार रैली है। जब भी पार्टी को अपना दमखम दिखाना होता है, वह बड़े स्तर पर रैलियां करती है और भीड़ इकट्ठा करती है। ऐसे में सवाल है कि आखिर बसपा का प्लान क्या है? पढ़िए पूरी खबर…
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