सूरत की साइबर सेल ने म्यांमार में संचालित एक बड़े साइबर गुलामी रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस रैकेट के चंगुल से किसी तरह बचकर सूरत के एक युवक ने अपनी दर्दनाक आपबीती सुनाकर सबको चौंका दिया। युवक ने बताया कि कैसे एक एजेंट ने दुबई में ऊंची तनख्वाह वाली नौकरी का लालच देकर थाईलैंड पहुंचाया। इसके बाद उसे म्यांमार के जंगलों में ले जाकर बंदूक की नोंक पर साइबर अपराध करने पर मजबूर किया। युवक ने आगे बताया कि एक एजेंट ने उसे दुबई में आकर्षक नौकरी की पेशकश की थी। लेकिन, दुबई के बजाय उसे थाईलैंड ले जाया गया। वहां से करीब 400-500 किलोमीटर दूर एक गांव में उसे बंदूक की नोक पर जंगल के रास्ते ले जाया गया। तस्करों के पास बंदूकें और चाकू थे। बिना किसी जानकारी उसे थाईलैंड की सीमा तक ले जाया गया। युवक ने आगे बताया कि उसे एक नदी पार कर म्यांमार ले जाया गया। वहां सेना के लोगों ने उसे साइबर फ्रॉड करने वाले गिरोह को सौंप दिया। उस समय तक उसे यह भी नहीं पता था कि वह म्यांमार जा रहा हैं। जैसे ही वह कोई सवाल पूछता, तो उसके सिर पर बंदूक तान दी जाती और कहा जाता कि चुपचाप आगे बढ़ो। थर्ड डिग्री टॉर्चर देते थे आरोपी
म्यांमार पहुंचने के बाद युवक को पता चला कि वह एक अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराध रैकेट का शिकार हो गया है। ये लोग भारतीय, पाकिस्तानी, अफ्रीकी और चीनी युवकों का इस्तेमाल साइबर फ्रॉड के लिए करते थे। अगर कोई उनकी बात नहीं मानता, तो उन्हें थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया जाता। युवक ने बताया कि उन्हें करंट दिया जाता, भूखा रखा जाता और प्राइवेट जेल में बंद कर दिया जाता। यह सब देखकर वह बेहद डर गया। एक बार मौका मिलने पर युवक वहां से भाग निकला। वह थाईलैंड पहुंचा और वहां से बस द्वारा बैंकॉक आया। बैंकॉक से उसने फ्लाइट पकड़ी और भारत लौट आया। उसने लोगों से अपील की है कि किसी भी एजेंट पर आंख मूंदकर भरोसा न करें। चौथा आरोपी भी गिरफ्तार
साइबर स्लेवरी के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश कर बड़ी सफलता हासिल की गई है। इस रैकेट में बैंकॉक में ऊंचे वेतन वाली नौकरी का लालच देकर गुजरात के युवकों को म्यांमार ले जाया जाता था और वहां उन्हें साइबर फ्रॉड का काम करने के लिए मजबूर किया जाता था। इस पूरे कांड में सूरत साइबर पुलिस ने निपेन्दर चौधरी, प्रीत कमाणी और आशीष राणा को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा, इस रैकेट के चौथे सब-एजेंट के रूप में वडोदरा के अकीब हुसैन का नाम भी सामने आया है। वह 21,000 रुपए कमीशन पर काम करता था। गुजरात के दो युवकों को रिहा करवाया
यह पूरा ऑपरेशन सूरत साइबर सेल की डीसीपी विशाखा जैन के नेतृत्व में चलाया जा रहा है। अब तक गुजरात के दो युवकों को गुप्त ऑपरेशन के जरिए छुड़ाया जा चुका है। फिलहाल सूरत का एक युवक अभी भी म्यांमार में फंसा हुआ है, जिसे रिहा कराने की कोशिशें जारी हैं।
म्यांमार में चीनी साइबर गैंग से रिहा युवक की आपबीती:थाईलैंड से नदी पार कर म्यांमार ले गए, गन पॉइंट पर रख साइबर फ्रॉड करवाया
