‘माय नेम इज बबली, आई स्टडी इन क्लास 8th। माय स्कूल नेम इज जीवन ज्योति इंस्टीट्यूट फॉर द डिसेबल एट द सारनाथ वाराणसी।’ एक ही सांस में यह जवाब उस बबली का है, जिसे प्रधानमंत्री ने शनिवार को हुई जनसभा के दौरान अपने हाथों से नजर का चश्मा पहनाते समय उससे उसका परिचय लिया। अब तक ब्रेल लिपि की मदद से छू कर पढ़ने वाली बबली अब चश्मे की मदद से आंखों से देखकर पढ़ सकेगी। इसकी खुशी उसके चेहरे पर दिख रही थी। इससे भी ज्यादा खुशी इस बात की थी कि उसे यह चश्मा खुद प्रधानमंत्री ने अपने हाथों से पहनाया है। प्रधानमंत्री से मिलने की जानकारी के बाद से ही उत्साहित बबली का मानो सपना सच हो गया। उसने बताया कि अब उसकी दुनिया ही बदल गई। पीएम से मिलने के उत्साह का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी ने जब उससे बात की तो उसने अपना जवाब ऐसे दिया मानो यह वाक्य कहने को वह कब से इंतजार में थी। PM बोले-चश्मा लगाकर कैसा लगा, बबली बोली-‘बहुत अच्छा’
प्रधानमंत्री ने जब बबली से पूछा कि चश्मा लगाकर कैसा लग रहा है, बबली ने जवाब दिया- ‘मुझे चश्मा लगाकर बहुत अच्छा लगा। पहले तो मैं ब्रेल से पढ़ रही थी। अब मैं अक्षर को देखकर, पढ़ सकती हूं।’ बबली ने जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि- अब मैं आपको भी देख सकती हूं।
पीएम ने सिर पर हाथ फेरते हुए कहा मैं आपको दिखाई दे रहा हूं तो, बबली ने कहा कि हां मैं आपको देख सकती हूं। इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहती हूं। प्रधानमंत्री ने शाबाशी दी और कहा कि अब खूब मन लगाकर पढ़ो और पूरी दुनिया देखो। पहले थोड़ा-थोड़ा दिखता था
बबली ने बताया कि- उसकी आंखें बचपन से खराब थीं। उसे थोड़ा बहुत दिखता था, लेकिन अक्षर समझ नहीं आते थे। अब चश्मा लगने से उसे अक्षर बड़े-बड़े दिखने लगे हैं। बबली बोली- अब चश्मे कि मदद से खूब पढ़ाई करूंगी। अभी सिर्फ पढ़ाई करनी है। पढ़ाई करके क्या बनना है, इसके बारे में अभी सोचा नहीं है। अभी तो सिर्फ पढ़ना है और खूब पढ़ना है। पिता करते हैं मजदूरी
बबली ने बताया कि-उसका परिवार व्यासपुर चौबेपुर में रहता है। वह हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही है। दो भाई, दो बहन में बबली दूसरे नंबर पर है। पिता अमरनाथ मजदूरी करते हैं। मां संजू देवी घर का काम संभालती हैं। क्रिकेट की दुनिया में नाम कमाना है
वाराणसी में शिवपुर भोजूबीर इलाके के रहने वाले विकास पटेल दो वर्ष से व्हीलचेयर की मदद से क्रिकेट खेल रहे हैं। वाराणसी में अब तक वह 09 मैच खेल चुके हैं। अभी शहर से बाहर जाकर खेलने का मौका नहीं मिला है। विकास बताते हैं कि वह बचपन से ही अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाते थे। उन्हें लगता था कि जिंदगी घिसटते हुए बीतेगी लेकिन उनके माता पिता और भाई बहनों ने हिम्मत नहीं हारी। चार भाई बहनों में सबसे छोटे विकास को क्रिकेट देखना पसंद था इसलिए घर वालों ने उसे व्हीलचेयर पर क्रिकेट खेलने के लिए लिए प्रोत्साहित किया। टीवी पर दिव्यांगजनों को क्रिकेट खेलते देखकर उसमें भी जोश आया और उसने अपने मजबूत हाथों से बल्ला घुमाना शुरू किया। व्हील चेयर क्रिकेटर का प्रधानमंत्री ने बढ़ाया हौसला
पैर से दिव्यांग व्हीलचेयर क्रिकेटर विकास पटेल को प्रधानमंत्री ने मंच से स्पेशल स्पोर्ट्स व्हीलचेयर दिया और बोले ‘आप लोग आगे बढ़ते रहिए कोई किसी से कम नहीं है। सरकार आपकी मदद के लिए मौजूद है। आपको इसीलिए फोल्डिंग व्हीलचेयर दिए हैं, ताकि आप खेलो इंडिया का सपना पूरा करें।’ जब पीएम ही बने सारथी
व्हील चेयर का उपहार लेने के बाद जब विकास मंच से वापस चलने के लिए मुड़े, तो उस दौरान प्रधानमंत्री उसके सारथी बन गए। हैंडल पकड़कर व्हीलचेयर पर बैठे विकास को ले जाने लगे। मौजूद सुरक्षा अधिकारी ने बाद में जिम्मेदारी संभाली और विकास को मंच से नीचे बने ग्रीन रूम के गए। 2014 में हुआ ऑपरेशन, 7 साल लगे चलने में
विकास बताते हैं कि पहले वह चल नहीं पाते थे। वर्ष 2014 में उनके पैरों का ऑपरेशन हुआ। 7 साल तक बेड पर रहा। जमीन पर घिसट के चलता था। 7 साल लग गए बैसाखी के सहारे चलने में। अब वह बैसाखी के सहारे मुवमेंट करते हैं। जब बैसाखी सहारा बनी तब परिवार वालों ने क्रिकेट का बल्ला थमा दिया। अपनी-अपनी योग्यता के हिसाब से परिवार के सभी सदस्यों ने क्रिकेट खिलाना शुरू कर दिया। परिजनों की मेहनत और लगन के चलते आज वह इस मुकाम पर पहुंचे कि प्रधानमंत्री के हाथों एक्टिव फोल्डिंग व्हील चेयर मिली। 2025 वृद्धों, दिव्यांगजनों को सहायक उपकरण मिले
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बनौली में हुई जनसभा में दिव्यांगजनों और वृद्धों को कई उपकरण वितरित किए। राष्ट्रीय वयोश्री और एडिप योजना के तहत निशुल्क सहायक उपकरण वितरण किए गए। इससे उन्हें शारीरिक चुनौती का सामना न करना पड़े और वह आत्मनिर्भर बनें। लाभार्थियों को उपकरण उपलब्ध कराने में एलिम्को (ALIMCO–कृत्रिम अंग निर्माण निगम) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हुडको व आईडीबीआई बैंक ने सीएसआर फंड के जरिए प्रोजेक्ट पूरा करने में मदद की है। जनसभा के दौरान 2025 वृद्धजनों और दिव्यांगजनों को 46 तरह के 7486 सहायक उपकरण प्रदान किए गए, जिसकी लागत लगभग 2 करोड़ 9 लाख रुपये है। 105 को मिली मोटर वाली ट्राईसाइकिल
105 दिव्यांगजनों को आधुनिक मोटराइज्ड ट्राई साइकिल का वितरण किया गया। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने मंच से सांकेतिक वितरण करते हुए लिथियम आयरन फास्फेट बैटरी से चलने वाली आधुनिक मोटराइज्ड ट्राई साइकिल, स्पोर्ट्स व्हीलचेयर, एक्टिव फोल्डिंग व्हील चेयर, उच्च शक्ति वाला चश्मा, प्रोग्रामेबल श्रवण यंत्र दिए गए। राष्ट्रीय वयोश्री योजना अन्तर्गत वरिष्ठ नागरिक लाभार्थी को वयोश्री किट (जिसमें वृद्धावस्था के कारण उत्पन्न विभिन्न शारीरिक दुर्बलता के लिए सहायक उपकरण-घुटनों के लिए नी ब्रेस, कमर दर्द के लिए एलएस बेल्ट, गले के लिए सर्वाइकल कॉलर, स्पाइनल सपोर्ट बेल्ट सम्मिलित है)। इसके अलावा अन्य उपकरणों में व्हीलचेयर, बैसाखी, स्मार्ट फोन, सुगम्य केन, छड़ी आदि उपकरण शामिल हैं।
‘माइ नेम इज बबली, अब मैं आपको देख सकती हूं’:PM ने बबली को चश्मा पहनाया, क्रिकेटर विकास से बोले- आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ
