इलाहाबाद विश्वविद्यालय में BA और MA के टॉपर रहे शैलेंद्र कुमार सिंह को इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया है। मौजूदा समय में वह अमेठी जनपद में एडिशनल एसपी (ग्रामीण) के पद पर तैनात हैं। BDO और असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी छोड़ वह पुलिस सेवा में आ गए थे। लगातार कई जनपदों में काम किए। प्रयागराज, जौनपुर, बलरामपुर, अयोध्या जहां भी जिम्मेदारी मिली, उसे बखूबी निभाया। जब प्रयागराज का महाकुंभ-2025 आया तो जौनपुर में एडिशनल एसपी रहते दिन रात सड़कों पर नजर आए। अब उन्हें जब यह पुरस्कार मिला तो उसका सारा श्रेय गंगा मईया को देते हैं और कहते हैं कि यह अवार्ड महाकुंभ का प्रसाद है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रो. बनना चाहते थे
मूलत: बिहार के रहने वाले हैं पुलिस अफसर शैलेंद्र कुमार सिंह। वह शुरू से ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ही असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी करना चाहते थे। यही सपना लिए वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एडमिशन लेते हैं। यहां BA और MA (संस्कृत) के टॉपर रहे। वर्ष 1994 में राजस्थान के जयपुर यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर की जॉब मिल गई लेकिन नहीं ज्वाइन किए। इसी साल BDO (खंड विकास अधिकारी) बन गए। करीब 2 साल तक नौकरी की लेकिन तैयारी नहीं छूटी। वर्ष 1997 में PCS का एग्जाम दिए। PPS में नंबर वन पर रहे। फिर शुरू हुई पुलिस की नौकरी। इसके बाद लगातार पुलिस विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 100 से ज्यादा हाफ एनकाउंटर में अहम भूमिका शैलेंद्र सिंह बताते हैं कि वह 100 से ज्यादा हाफ एनकाउंटर व 4 फुल एनकाउंटर में शामिल रहे। जौनपुर जनपद में एडिशनल एसपी ग्रामीण रहते सीधे फुल एनकाउंटर में रहा। वहां सरपतहां थाना क्षेत्र के छीतमपट्टी गांव के रहने वाले शूटर विनोद सिंह का एनकाउंटर में मार गिराया था जो एक लाख रुपए का ईनामी बदमाश था। दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान अपर पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र सिंह कहते हैं, जौनपुर में उन्होंने “ऑपरेशन दृष्टि” के तहत 16 हजार से ज्यादा कैमरे लगवाए थे। गांवों के एंट्री प्वाइंट से लेकर प्रमुख बाजारों में इन कैमरों के जरिए कंट्रोल रूम से निगरानी हो रही थी। राम मंदिर के फैसले के दौरान संभाला लॉ एंड ऑर्डर
जब अयोध्या में श्रीराम लला मंंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और फैसला आना तब शैलेंद्र सिंह अयोध्या में ही तैनात रहे। वह कहते हैं, “वह बहुत ही संवेदनशील समय रहा। हमारे अंडर में 12 थाने में जिसमें 1200 से ज्यादा गांव थे। उस समय दिन और रात गांवों में भ्रमण कर रहे थे। कोई ऐसा गांव नहीं बचा था जिसमें हम जाकर लोगों के साथ मीटिंग नहीं किए। लोगों को लगातार बताते रहे कि फैसले आने के बाद किसी तरह की विपरीत स्थितियां नहीं होनी चाहिए। इसमें वह सफल भी रहे।” इसी तरह बलरामपुर जनपद में तैनाती के दौरान 2 ऐसे थाना क्षेत्र थे जहां दशहरा और मुहर्रम के दौरान स्थितियां बिगड़ जाती थी लेकिन वहां भी हम और हमारी टीम जड़ तक गई थी। जो इस घटना के पीछे थे उन तक पहुंचे और उन्हें जेल भेजने में सफल हुए। इसके बाद वहां की स्थितियां सामान्य हो गई।
‘महाकुंभ का प्रसाद है मेरा ये अवार्ड’:एडिशनल SP शैलेंद्र सिंह को मिला राष्ट्रपति से पुरस्कार, बोले-मां गंगा की कृपा
