भीड़ पर कंट्रोल- सोशल मीडिया से सड़क तक तैयारी:गृह मंत्रालय ने बनाई गाइडलाइन; भीड़ को रोकने, बांटने और घेरने के तरीके बताए

भीड़ पर कंट्रोल- सोशल मीडिया से सड़क तक तैयारी:गृह मंत्रालय ने बनाई गाइडलाइन; भीड़ को रोकने, बांटने और घेरने के तरीके बताए
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सरकार ने भीड़ पर नियंत्रण के नए दिशानिर्देश तैयार किए हैं। इनका फोकस विरोध प्रदर्शनों और बड़े आयोजनों पर है। इसमें कुम्भ जैसे मेले, खेल स्टेडियम, धार्मिक प्रोग्राम और बाबाओं के प्रवचन आदि शामिल हैं। सांप्रदायिक दंगे, छात्र आंदोलनों और सोशल मीडिया से संचालित जनाक्रोश भी इसके दायरे में हैं। गृह मंत्रालय ने यह गाइडलाइन नई परिस्थितियों को देखकर बनाई है। सोशल मीडिया के दौर में अफवाहें बहुत तेजी से फैलती हैं। भीड़ की नई मानसिकता पर रिसर्च किया गया है। इसी आधार पर ‘क्राउड कंट्रोल एंड मास गैदरिंग मैनेजमेंट’ दिशानिर्देश बने हैं। ये मानक इसलिए भी अहम हैं, क्योंकि सोशल मीडिया के बहकावे में अचानक प्रदर्शन भड़कते हैं। भारत के तीन पड़ोसी देशों (नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका) में ऐसी घटनाएं हुई हैं। स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SoP) ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डवलपमेंट ने तैयार किया है। दस्तावेज में अराजक सभाओं के प्रबंधन के तरीके दिए गए हैं। सोशल मीडिया के प्रबंधन और उसके जवाबी उपाय भी जोड़े गए हैं। क्राउड बिहेवियर मॉड्यूल में मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और लॉजिस्टिक पहलू शामिल हैं। गैरकानूनी जमावड़ों और आक्रामक प्रदर्शनों के लिए तैनाती के मॉडल दिए गए हैं। किसानों व मजदूरों की रैलियों के लिए भी अलग व्यवस्थाएं सुझाई गई हैं। छात्रों की भीड़ पर काबू सबसे कठिन गाइडलाइंस के अनुसार, छात्रों की भीड़ छोटे उकसावे पर तोड़फोड़ या लूटपाट कर सकती है। कठोर पुलिस कार्रवाई पर उन्हें जल्दी जनसमर्थन मिल जाता है। ऐसे हालात में संयम और धैर्य को सफलता की सबसे बड़ी कुंजी बताया गया है। वो 13 बड़े कारण, जिनसे हालात बिगड़ते हैं गृह मंत्रालय की नई गाइडलाइंस में स्पष्ट कहा गया है कि आम तौर पर 22 से 40% मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में सांप्रदायिक दंगे और हिंसा होने का अंदेशा अधिक होता है। ऐसे 13 कारण गिनाए गए हैं जो सांप्रदायिक हिंसा भड़का सकते हैं और पुलिस को इनको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है… 1. व्यक्तियों या पक्षों के बीच कोई निजी विवाद पैदा होना। 2. मस्जिद के सामने तेज आवाज में संगीत बजाना। 3. धार्मिक स्थलों या आसपास की जमीन पर कब्जे करना। 4. दूसरे समुदाय के बहुसंख्यक क्षेत्र या धार्मिक स्थल के सामने से कोई जुलूस निकालना। 5. महिलाओं या लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करना। 6. दो अलग समुदायों के युवक-युवती की शादी। 7. गो-हत्या की घटना। 8. होली में दूसरे समुदाय के लोगों पर जबरन रंग डालना। 9. गली-मोहल्ले के क्रिकेट मैच या राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय टीमों के समर्थन पर विवाद। 10. दूसरे समुदाय के नेताओं की प्रतिमाओं का अपमान। 11. सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से दूसरे समुदाय के नेताओं का अपमान। 12. दूसरे जिलों, प्रांतों या देशों के मुद्दों पर सांप्रदायिक तनाव। 13. धर्मांतरण पर हिंसा होना।


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