भारत बना यूक्रेन का सबसे बड़ा डीजल सप्लायर:जुलाई में हर दिन 2,700 टन डीजल बेचा, रूसी तेल की वजह से अमेरिका ने टैरिफ लगाया था

भारत बना यूक्रेन का सबसे बड़ा डीजल सप्लायर:जुलाई में हर दिन 2,700 टन डीजल बेचा, रूसी तेल की वजह से अमेरिका ने टैरिफ लगाया था
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भारत ने जुलाई 2025 में यूक्रेन को सबसे ज्यादा डीजल सप्लाई किया। यूक्रेन की ऑयल मार्केट एनालिटिक्स फर्म नाफ्टोरिनोक ने इस बात की जानकारी दी है। डीजल सप्लाई में यह उछाल एसे समय में आया है, जब अमेरिका ने भारत के रूसी तेल आयात को लेकर उस पर 50% पनिशटिव टैरिफ लगाए हैं। नाफ्टोरिनोक के मुताबिक, भारत ने इस महीने यूक्रेन की डीजल जरूरतों का 15.5% हिस्सा पूरा किया, जो कि पिछले साल जुलाई 2024 में मात्र 1.9% था। जुलाई 2025 में भारत ने हर दिन औसतन 2,700 टन डीजल यूक्रेन को भेजा, जो इस साल के सबसे ऊंचे मासिक निर्यात आंकड़ों में से एक है। यहां सबसे दिलचस्प बात यह है कि डीजल बनाने के लिए भारत सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से ही खरीद रहा है जिसकी यूक्रेन के साथ जंग चल रही है। यानी, एक तरफ अमेरिका भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए सजा दे रहा है, और दूसरी तरफ भारत का डीजल यूक्रेन की युद्धकालीन अर्थव्यवस्था को सपोर्ट कर रहा है। यह वैश्विक कूटनीति और व्यापार की जटिलताओं को दर्शाती है। जुलाई में अन्य प्रमुख सप्लायर्स में स्लोवाकिया (15%), ग्रीस (13.5%), तुर्की (12.4%) और लिथुआनिया (11.4%) शामिल थे।
ट्रम्प बोले- युद्ध मशीन को फंडिंग दे रहा भारत डोनाल्ड ट्रम्प का कहना है कि भारत और चीन जैसे देश रूस से सस्ता तेल खरीदकर उसकी युद्ध मशीन को फंडिंग दे रहे हैं। वहीं भारत का कहना है कि वह रूस से तेल इसलिए खरीद रहा है, क्योंकि यह सस्ता है और इससे भारतीय उपभोक्ताओं को किफायती कीमत पर ईंधन मिल रहा है। रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा भारत रूसी तेल पर भारत पर पेनल्टी, लेकिन चीन पर नहीं अमेरिका के टैरिफ ने भारत-अमेरिका के रिश्तों पर तनाव बढ़ा दिया है। भारत का कहना है कि अमेरिका ने उसे निशाना बनाया। रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार चीन है, लेकिन उसपर कोई पेनल्टी नहीं लगाई गई। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि चीन पर सजा लगाने से वैश्विक तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। भारत के विदेश सचिव ने हाल ही में कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर बातचीत चल रही है। भारत अमेरिकी तेल खरीदने के लिए भी तैयार है, लेकिन रूस से तेल आयात को पूरी तरह बंद करना उसके लिए आर्थिक रूप से संभव नहीं है।


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