नेपाल में फंसे पंजाब के 92 लोग वापस लौटे:आगजनी- कर्फ्यू के बीच भैरवा बॉर्डर किया पार; अमृतसर से जनकपुर धाम गए थे

नेपाल में फंसे पंजाब के 92 लोग वापस लौटे:आगजनी- कर्फ्यू के बीच भैरवा बॉर्डर किया पार; अमृतसर से जनकपुर धाम गए थे
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नेपाल में हालात बिगड़ने के बीच फंसा पंजाब के अमृतसर का 92 यात्रियों का जत्था आज (गुरुवार को) सुरक्षित भारत लौट आया। फिलहाल सभी गोरखपुर में हैं। कर्फ्यू, आगजनी और प्रदर्शन की घटनाओं के बीच जत्था रात के समय नेपाल के बॉर्डर तक पहुंचा था। जिसके बाद आज सभी ने भारत दाखिल होने का प्रयास किया, जो सफल रहा। ये जत्था 3 सितंबर को अमृतसर से रवाना हुआ था और 5 सितंबर को बॉर्डर पार कर जनकपुर धाम पहुंचा। वहां से 6 सितंबर को काठमांडू और उसके बाद पोखरा गया। श्रद्धालुओं का कार्यक्रम सामान्य रूप से चल रहा था, लेकिन 8 सितंबर से नेपाल में हालात अचानक खराब होने शुरू हो गए। इसके बाद जत्था लगातार सुरक्षित वापसी का रास्ता तलाशता रहा है। जत्थे ने रात के अंधेरे में तय किया सफर नेपाल में बिगड़े हालात को देखते हुए जत्थे ने अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रात के समय सफर करने का निर्णय लिया। रिंकू बटवाल ने वीडियो शेयर कर बताया कि 9 सितंबर वे सभी पोखरा में थे। सड़कों पर तनाव और कर्फ्यू का माहौल था। बाइक पर युवा प्रदर्शन करते हुए दिखे। होटल के चारों तरफ आग लगी बिल्डिंगों से धुआं उठता दिख रहा था। प्रशासन की तरफ से इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया। जिसके बाद वे 9-10 सितंबर की रात को नेपाल बॉर्डर की तरफ निकले। भैरहवा बॉर्डर पर इंतजार रातभर के सफर के बाद जत्था 10 सितंबर को नेपाल-भारत सीमा पर स्थित भैरहवा (भैरवा) बॉर्डर तक पहुंच गया। यहां फिलहाल यात्रियों को रोका गया है और सुरक्षा एजेंसियां स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। जत्थे से जुड़े लोगों का कहना है कि अब वे किसी भी तरह से सुरक्षित भारत लौटना चाहते हैं। भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ाई गई सुरक्षा नेपाल में लगातार बढ़ रही हिंसा को देखते हुए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भी सीमा पर चौकसी बढ़ा रखी है। सीमा पर आने-जाने वालों की सख्त जांच की जा रही है। हालात बिगड़ने पर कई जगहों पर अस्थायी रोक-टोक भी लगाई गई है। सूत्रों का कहना है कि भारतीय एजेंसियां नेपाल में फंसे नागरिकों की सूची तैयार कर रही हैं और प्राथमिकता के आधार पर उन्हें सुरक्षित भारत लाने की कोशिश की जा रही है। नेपाल की मौजूदा स्थिति युवा-प्रेरित (Gen-Z) प्रदर्शनों की लहर की शुरुआत सरकार द्वारा सोशल-मीडिया पर कुछ पाबंदियों और भ्रष्टाचार व प्रशासनिक असंतोष को लेकर हुई। बीते हफ्ते सरकार के खिलाफ अचानक भड़के युवा आंदोलन ने पूरे देश में हिंसक रूप ले लिया। सोशल मीडिया पर पाबंदियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ नाराजगी से शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन काठमांडू, पोखरा, जनकपुर और कई अन्य शहरों तक फैल गया। सड़कों पर हजारों की संख्या में युवा उतर आए और देखते ही देखते प्रदर्शन हिंसा में बदल गया। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी दफ्तरों और वाहनों को निशाना बनाया। कई होटलों और सार्वजनिक भवनों में आगजनी की गई। बाइकों पर घूम रहे युवाओं ने जगह-जगह नारेबाजी की और रास्तों को अवरुद्ध किया। स्थिति बिगड़ने पर नेपाल सरकार ने सेना को तैनात किया और कई जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया। इसके बावजूद हिंसा पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, अब तक दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हुए हैं। अस्पतालों में घायलों की भीड़ बढ़ती जा रही है। सुरक्षा बलों पर आरोप है कि उन्होंने भीड़ पर कड़ी कार्रवाई की, जबकि प्रदर्शनकारियों पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे हैं। आम नागरिकों और विदेशी पर्यटकों के बीच भी डर का माहौल है। लोग घरों से बाहर निकलने से बच रहे हैं, जबकि कई विदेशी नागरिक और पर्यटक सीमावर्ती इलाकों की ओर भाग रहे हैं। नेपाल-भारत सीमा पर भीड़ बढ़ गई है। दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं। हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है, लेकिन स्थिति कब सामान्य होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।


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