गंगाजी जलाशय परियोजना के फेज-टू के तहत मधुबन गांव में नए जलाशय के निर्माण के लिए भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। जल संसाधन विभाग की ओर इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए स्थानीय 800 भूमिधारकों को नोटिस जारी किया गया है। जो बिहार में जल आपूर्ति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। नोटिस वितरण और समय सीमा जिन भूमिधारकों तक नोटिस नहीं पहुंच सके हैं, उन्हें डाकघर के माध्यम से सूचना भेजी जा रही है। नोटिस में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि संबंधित भूमिधारकों को 7 सितंबर तक नवादा भू-अर्जन कार्यालय में अपनी दावा-आपत्ति दर्ज करानी होगी। निर्धारित अवधि के बाद किसी भी प्रकार की आपत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी। परियोजना का विस्तार और लागत यह जलाशय घोड़ा कटोरा जलाशय की तुलना में तीन गुना अधिक जल संग्रहण क्षमता रखेगा। जहां घोड़ा कटोरा की क्षमता 9.8 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) है। वहीं प्रस्तावित मधुबन जलाशय की क्षमता 27.3 एमसीएम होगी। परियोजना की कुल लागत 2,909 करोड़ रुपए है। जिसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा चुकी है। फेज-वन के लिए अकेले 1,100 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है। भूमि का विवरण कुल 517 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाना है, जिसमें से केवल 275 एकड़ निजी भूमि है। शेष भूमि सरकारी है, जिसकी समतलीकरण का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है। यह तथ्य इस बात को दर्शाता है कि सरकार ने परियोजना की तैयारी में व्यापक योजना बनाई है। बैठक और जागरूकता कार्यक्रम 28 अगस्त को मधुबन गांव में ग्रामीणों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई थी। मीटिंग में नवादा जिला भू-अर्जन पदाधिकारी अभय कुमार तिवारी, डीएसपी, सीओ, और जल संसाधन कार्यालय के अधिकारियों के साथ-साथ पंचायती राज संस्थानों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता अभिमन्यु सिंह ने बताया कि बैठक में भूमिधारकों को भू-अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि भूमिधारकों की दावा-आपत्ति के निपटारे के बाद भूमि की श्रेणी निर्धारित की जाएगी और तदनुसार मुआवजे की राशि का भुगतान होगा। मुआवजा व्यवस्था प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, भूमिधारकों को उनकी भूमि की श्रेणी के आधार पर मुआवजा दिया जाएगा। आवासीय, एक फसली, दो फसली और अन्य श्रेणियों की भूमि के लिए अलग-अलग दरों पर भुगतान की व्यवस्था की गई है। फेज-टू के पूरा होने के बाद नवादा नगर निकाय के शेष वार्डों में गंगाजल की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। परियोजना के फेज-टू में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण भी शामिल है। फेज-थ्री में हाथीदह से नए जलाशय तक दूसरी पाइपलाइन बिछाकर बिहारशरीफ शहर में भी गंगा जल की आपूर्ति की जाएगी। यह बिहार सरकार की जल आपूर्ति नीति में एक क्रांतिकारी कदम है। परियोजना का महत्व मधुबन जलाशय का निर्माण एक वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना से नवादा के 44 वार्डों के सभी घरों में गंगाजल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी। यह न केवल स्थानीय जल संकट का समाधान करेगा बल्कि क्षेत्र के समग्र विकास में भी योगदान देगा।
नालंदा में 800 लोगों को जमीन अधिग्रहण के लिए नोटिस:मधुबन गांव में नए जलाशय का होगा निर्माण, परियोजना की कुल लागत 2,909 करोड़ रुपए
