जामताड़ा के किसान जयशंकर प्रसाद के सफलता की कहानी‎:लेमग्रास के तेल ने दी जिंदगी को धार, 6 जिले के किसान होते हैं लाभान्वित‎

जामताड़ा के किसान जयशंकर प्रसाद के सफलता की कहानी‎:लेमग्रास के तेल ने दी जिंदगी को धार, 6 जिले के किसान होते हैं लाभान्वित‎
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मेरे पास अपनी जमीन नहीं थी। बावजूद इसके मैंने हार नहीं मानी और करीब 4.5 एकड़ जमीन लीज‎ पर ली। वर्ष 2019 में सेवानिवृत्त होने के बाद मैंने खेती को ही अपनी नई राह बनाया। परंपरागत खेती से हटकर मैंने लेमनग्रास‎ की खेती शुरू की। इसके लिए मैंने करीब 7 लाख रुपए की लागत से बॉयलर, प्लांट, बिजली और पानी की व्यवस्था कर खेती‎ का आधार तैयार किया। शुरुआत में लेमनग्रास की पौध पंजाब के जालंधर से मंगाई गई। अब निरंतर उसी पौधे से बीज लेकर‎ खेती हो रही है। पांच साल तक फसल देता है लेमनग्रास एक बार खेत में लेमनग्रास लगाने के बाद पांच साल तक कटाई होती है। आज मैं लेमनग्रास से सालाना लगभग‎ चार लाख रुपए की शुद्ध आमदनी कर रहा हूं। इसके साथ ही दस किसानों और युवाओं को भी रोजगार मिला है। यही वजह है‎ कि क्षेत्र में मेरी पहचान बनी और किसान मुझसे प्रेरणा ले रहे हैं। मेरी सफलता को देखकर अब अन्य जिलों के किसान भी खेत‎ पर पहुंचकर लेमनग्रास की खेती की तकनीक सीख रहे हैं। औषधीय और सुगंधित पौधों देती है लंबा फायदा मेरा मानना है कि अगर किसान औषधीय और सुगंधित पौधों की ओर‎ ध्यान दें तो उन्हें बेहतर आमदनी होगी। शुरुआती दौर में जरूर पूंजी लगती है, लेकिन एक बार सेटअप तैयार हो जाने के बाद‎ लंबे समय तक मुनाफा मिलता है।‎ संथालपरगना के 6 जिलों में जामताड़ा जिला में ही एकमात्र प्रोसेसिंग प्लांट है। संथालपरगना‎ के विभिन्न जिला दुमका, साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा, देवघर जिले के किसान जामताड़ा जिला के फतेहपुर आकर लेमनग्रास खेती‎ की बारीकियां को सिखाते हैं और प्लांट संचालन की तकनीकी जानकारी लेते हैं। संथालपरगना के अन्य किसी भी जिले में‎ लेमनग्रास से तेल निकालने का प्लांट नहीं होने की वजह से वहां के किसान अपने खेत में उपजाई हुए लेमन ग्रास फसल लेकर‎ जामताड़ा आते हैं और यहां प्लांट से तेल निकलवा कर ले जाते हैं। पिछले वर्ष 40 से अधिक किसान विभिन्न जिलों से आकर‎ यहां लेमनग्रास का तेल निकलवा कर ले गए हैं।‎ अधिक मुनाफा के कारण यूपी, पंजाब, राजस्थान से आते व्यापारी‎ एक एकड़ में करीब 12 किलो लेमनग्रास तेल निकलता है। बाजार में इसकी कीमत लगभग 900 रुपए प्रति लीटर है। यही कारण‎ है कि यह खेती पारंपरिक खेती से कहीं ज्यादा लाभकारी साबित हो रही है। यूपी, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों के व्यापारी‎ यहां से तेल खरीदते हैं। दवा और कॉस्मेटिक उद्योग में लेमनग्रास तेल की भारी मांग है। इसका इस्तेमाल साबुन, तेल, क्रीम समेत‎ कई उत्पाद बनाने में होता है।‎ जानिए… कौन हैं जयशंकर प्रसाद‎ फतेहपुर प्रखंड के शिमलाडंगाल गांव निवासी जयशंकर प्रसाद प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। दो‎ बेटियां जिनकी शादी हो चुकी है, और दो बेटे जो अन्य राज्यों में नौकरी कर रहे हैं। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने खेती को ही‎ अपना जीवन बना लिया। आज वे लेमनग्रास की खेती से न सिर्फ अच्छी आमदनी कर रहे हैं, बल्कि युवाओं और किसानों‎ के लिए प्रेरणा का स्तंभ भी बन चुके हैं। उन्हें देख पूरे संथाल परगना के किसान नई राह तलाश रहे हैं।‎


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