चतरा के किसान उदय कुमार ने दिखाई राह:इलेक्ट्रिक इंजीनियर की नौकरी छोड़ उपजा रहे हरी मिर्च, किसानों को भाया खेती का नया अंदाज‎

चतरा के किसान उदय कुमार ने दिखाई राह:इलेक्ट्रिक इंजीनियर की नौकरी छोड़ उपजा रहे हरी मिर्च, किसानों को भाया खेती का नया अंदाज‎
Share Now

मैंने पॉलिटेक्निक में डिप्लोमा हासिल करने के बाद बीटेक की पढ़ाई पूरी की। इसी आधार पर पुणे की एक कंपनी में इलेक्ट्रिक इंजीनियर की नौकरी लगी‎। लेकिन मेरा मन वहां ज्यादा दिनों तक नहीं लगा। छह महीने में ही पुणे छोड़कर वापस गांव अंबाटांड लौट आया। गांव में ही खेती शुरू की। पारंपरिक ‎खेती की जगह उन्नत कृषि तकनीक का सहारा लिया। तीन एकड़ जमीन पर मिर्च की खेती शुरू की। इसके लिए प्रधानमंत्री ड्रिप सिंचाई योजना की मदद‎ ली। बीते साल जुलाई में शुरू की खेती उन्होंने बताया मिर्च की खेती में एक से सवा लाख रुपए की पूंजी लगी, जिसमें से 90% सब्सिडी मिल गई। मैंने पिछले साल जुलाई में खेती शुरू की थी और महज‎ दो महीने बाद ही यानी सितंबर में उत्पादन शुरू हो गया, जो अब तक जारी है। पिछले 12 महीने में 21 टन मिर्च की पैदावारी हो चुकी है। इससे दस‎ लाख रुपए का कारोबार हो चुका है। इससे उत्साहित होकर इस साल और बड़े पैमाने पर खेती करने की योजना बनाई है। मेरे पास पांच एकड़ अपनी‎ जमीन है। 10 एकड़ जमीन लीज पर ले ली है। अब मेरे पास कुल 15 एकड़ भूमि है। 6 एकड़ में करेंगे हरी मिर्च की खेती बताया कि इस साल 6 एकड़ में मिर्च, 6 एकड़ में टमाटर और तीन एकड़ में‎ मटर की खेती करने की योजना है। खेत तैयार किए जा रहे हैं। उन्नत कृषि तकनीक अपनाने से मेरी आर्थिक स्थिति तो सुदृढ़ हुई ही, नई पहचान भी मिली।‎‎ गांव के मेरे साथी दिनेश कुमार ने खेती का तरीका देखकर प्रभावित हुए और उन्होंने भी मिर्च की खेती शुरू की है। उन्होंने दो एकड़ से अधिक जमीन पर‎ उन्नत तकनीक से काम शुरू किया है। अगले कुछ दिनों में उसकी फसलें देखने लायक होंगी। सुनील साहू मेरी खेती देख बोले- मिर्च की खेती से अच्छी‎ आमदनी कर गांव के लोगों को जगा दिया है। अब मुझे देखकर कई युवा भी खेती करने लगे हैं। अगर सही सोच और उन्नत तकनीक का साथ हो, तो गांव‎ की मिट्टी भी सोने की तरह चमक सकती है।‎ बड़े शहरों से लोग गांव लौटे और उन्नत तकनीक से खेती शुरू की‎ मेरी मेहनत और नवाचारी सोच ने उन युवाओं को प्रेरित किया, जो रोजगार की तलाश में बड़े शहरों में भटक रहे थे। कई युवा गांव लौटे और उन्नत कृषि‎ तकनीकों का सहारा लेकर खेती शुरू की। आज लावालौंग प्रखंड में ऐसे कई युवा हैं जो कृषि से अच्छी आमदनी कर रहे हैं और अपने गांव को एक नई‎ पहचान दे रहे हैं। उन्होंने यह साबित किया कि शहरों की नौकरी ही एकमात्र रास्ता नहीं है, गांव में रहकर भी सफलता की कहानियां लिखी जा सकती हैं।‎ जानिए… कौन हैं उदय कुमार‎ उदय कुमार चतरा जिले के लावालौंग प्रखंड के अंबाटांड गांव के निवासी हैं। महज 25 साल के हैं। प्रारंभिक पढ़ाई गांव में हुई। हाई स्कूल हफुआ‎ (चतरा) से 2015 में मैट्रिक पास करने के बाद केके पॉलिटेक्निक कॉलेज धनबाद से इलेक्ट्रिक कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। इसके बाद 2021 में केके कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट से बीटेक किया। फिर नौकरी करने मुंबई गए। लेकिन टिके नहीं। छह माह में ही वापस‎गांव लौट आए और खेती करने की सोची।‎


Share Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *